अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से खासे नाराज हो गए हैं। लिहाजा उन्होंने अब रूस पर सेकंडरी टैरिफ लगाने की बात कही है। माना जा रहा है कि ट्रंप रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 25 से 50 फीसदी टैरिफ लगा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर यूक्रेन जंग खत्म करने की कोशिशों में रूस अड़ंगा लगाता है तो वे रूसी तेल के खरीदारों पर सेकंडरी टैरिफ लगा देंगे। इसका मतलब यह हुआ कि जो भी देश रूस से तेल खरीदेंगे, उन्हें अमेरिका के साथ कारोबार करने में ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
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ट्रंप ने क्या कहा था?
डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक इंटरव्यू में रूसी तेल खरीदारों पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, अगर पुतिन सीजफायर पर सहमत नहीं होते हैं तो वे रूस से तेल खरीदने वालों पर 50 फीसदी टैरिफ लगा देंगे।
उन्होंने कहा था, 'अगर रूस और मैं यूक्रेन में खूनखराबा रोकने पर समझौता नहीं कर पाते हैं तो मुझे लगता है कि यह रूस की गलती है। मैं रूस से आने वाले सभी तेल पर टैरिफ लगा दूंगा।'
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रूस से आता है सबसे ज्यादा तेल
अगर ट्रंप ऐसा करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा। कॉमर्स मिनिस्ट्री का डेटा बताता है कि अप्रैल से दिसंबर 2024 के बीच भारत ने रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीदा है। भारत जितना तेल आयात करता है, उसका 30 फीसदी रूस से ही आता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने कमोडिट मार्केट एनालिटिक फर्म Kpler के डेटा के हवाले से बताया है कि मार्च के 21 दिनों में ही भारत ने रूस से हर दिन 18.5 लाख बैरल तेल खरीदा है। इससे पहले फरवरी में हर दिन 14.7 लाख बैरल और जनवरी में 16.4 लाख बैरल तेल खरीदा था।
अब तक भारत और रिफाइनरी कंपनियों का रुख यही रहा है कि वे ऐसी जगह से तेल नहीं खरीदते, जहां प्रतिबंध लागू हों। अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ही भारत ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया था। वेनेजुएला से भी सीमित मात्रा में ही तेल खरीद रहा था।
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भारत पर क्या होगा असर?
फिलहाल, अभी साफ नहीं है कि ट्रंप रूसी तेल खरीदारों पर कितना टैरिफ लगाते हैं? फिर भी अगर ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो हो सकता है भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर दे।
अगर ऐसा होता है तो भारत को तेल के लिए दूसरे विकल्पों पर ध्यान देना होगा। भारतीय तेल कंपनियों को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और इराक जैसे पुराने तेल सप्लायर्स की ओर जाना होगा। इससे शुरुआत में तो तेल की सप्लाई में दिक्कत हो सकती है लेकिन बाद में यह स्थिर हो जाएगी।
इतना ही नहीं, अगर दूसरी देशों से तेल खरीदा जाता है तो इससे भारत में तेल की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है।