logo

ट्रेंडिंग:

ट्रम्प के खिलाफ केस, हार्वर्ड ने ऐसा क्यों किया? इनसाइड स्टोरी

डोनाल्ड ट्रम्प और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रम्प के एक फैसले की आलोचना, पूरे देश में हो रही है। पढे़ं रिपोर्ट।

Harvard University

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी। (Photo Credit: Harvard University)

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच फंडिंग को लेकर तकरार बढ़ गई है। डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के खिलाफ अमेरिका के इस प्रतिष्ठित संस्थान ने कोर्ट केस कर दिया है। डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन पर आरोप हैं कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन में राजनीतिक तौर पर दखल दे रहे हैं और संस्था को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगा रहे हैं। अमेरिकी संघीय सरकार के खर्चे में कटौती के नाम पर डोनाल्ड ट्रम्प, पहले भी कई संस्थाओं की फंडिंग रोक चुके हैं, देशभर में उनके इन कदमों की आलोचना हो रही है। 

डोनाल्ड ट्रम्प ने देश के कई विश्वविद्यालयों पर कैंपस में यहूदी विरोधी भावनाओं को बर्दाश्त करने का आरोप लगाए हैं। ट्रम्प प्रशासन ने इन विश्वविद्यालयों के बजट पर कैंची चलाई चलाई है, टैक्स बढ़ाए हैं और विदेशी छात्रों की संख्या को लकेर सवाल उठाए हैं। उन्होंने यही काम हार्वर्ड विश्वविद्यालय के साथ भी किया, जिसके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन सीधे कोर्ट पहुंच गया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने झुकने से ही इनकार कर दिया है।

डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने मैसाचुसेट्स की एक संघीय अदालत में केस दायर किया है। विश्वविद्याल ने अपनी याचिका में कहा है, 'सरकार, शैक्षणिक निर्णय लेने पर नियंत्रण हासिल करने के लिए फेडरल फंडिंग पर रोक लगा रही है। सरकार पहले संविधान संशोधन का उल्लंघन कर रही है, संघीय नियमों का पालन नहीं कर रही है। यह मनमाना रवैया है।'

यह भी पढ़ें: ट्रंप ने डॉलर को खतरे में डाला? क्यों घट रहा इन्वेस्टर्स का भरोसा

डोनाल्ड ट्रम्प की इन कोशिशों को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने धूर्तता कहा है। उन पर मनमाने तरीके से फैसले लेने के आरोप लगे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प पर आरोप हैं कि वे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एंट्रेस प्रक्रिया, अपॉइंटमेंट्स, पॉलिटिकल रुझानों को अपने हिसाब से तय करना चाहते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप पर रोक लगा दी है।

क्यों नाराज है हार्वर्ड प्रशासन?
विश्वविद्याल प्रशासन का कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प एडमिशन से लेकर नियुक्तियों तक में दखल देना चाहते हैं। वह राजनीतिक रुख भी तय करना चाहते हैं। विश्वविद्याल प्रशासन ट्रम्प की दखल नहीं चाहता है। इस अस्वीकरण से नाराज ट्रम्प ने विश्वविद्यालय को दी जाने वाली  2.2 बिलियन डॉलर की फंडिंग रोक दी है। भारतीय रुपये में यह राशि करीब 18,370 करोड़ रुपये है। डोनाल्ड ट्रम्प ने यह फंडिंग ही रोक दी है, जिसके खिलाफ हार्वर्ड युनिवर्सिटी ने कोर्ट का रुख किया है।

यह भी पढ़ें: अमेरिकी टैरिफ का मुकाबला करने के लिए पड़ोसी देशों को साधने में लगा चीन


ट्रम्प क्यों विश्वविद्यालयों पर ले रहे हैं कड़े फैसले?

ट्रम्प प्रशासन ने विश्वविद्यालयों पर यहूदी-विरोधी भावनाओं और अल्पसंख्यकों के लिए विविधता कार्यक्रमों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई शुरू की है। उनका दावा है कि पिछले साल गाजा युद्ध के खिलाफ अमेरिकी कैंपस में हुए विरोध प्रदर्शनों में यहूदी-विरोधी भावनाओं को हवा दिया गया।

हार्वर्ड ने इन विरोधों पर कार्रवाई की लेकिन ट्रम्प ने इसे अपर्याप्त बताया है। उन्होंने हार्वर्ड को घृणा और मूर्खता  सिखाने वाली संस्था करार दिया। ट्रम्प ने 18,370 करोड़ रुपये की संघीय मदद भी रोक दी। हार्वर्ड ने ट्रम्प के नियंत्रण प्रयासों को असंवैधानिक बताया है। इस विश्वविद्यालय ने कोर्ट का रुख किया। ट्रम्प प्रशासन पर आरोप लगाया है कि वह लोकतांत्रिक विरोधों का दमन कर रहे हैं। 

 

Related Topic:#Donald Trump

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap