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कहीं भीषण बाढ़ तो कहीं भयानक सूखा, एशिया में मौसम क्यों दिखा रहा दो रंग?

थाईलैंड, वितयनाम, मलेशिया और इंडोनेशिया भीषण बाढ़ से जूझ रहे हैं। अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। यह हाल एशिया के एक छोर का है। दूसरे छोर पर भीषण सूखे से देश हलकान है।

Thailand Flood Update

बाढ़ की चपेट में थाईलैंड। (Photo Credit: X/@jesperbkk)

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एशिया में मौसम एक ही समय में दो रंग दिखा रहा। जहां दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश बाढ़ की चपेट में हैं तो वहीं ईरान, अफगानिस्तान और इराक जैसे देश सूखे से प्रभावित हैं। इंडोनेशिया से श्रीलंका तक कई देश बाढ़ की मार झेल रहे हैं। सिर्फ इंडोनेशिया में आई बाढ़ में 80 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। दर्जनों लोग लापता हैं। 

 

श्रीलंका में अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है। 21 अन्य की तलाश जारी है। थाईलैंड में बाढ़ में 145 लोगों की जान गई है। यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। थाईलैंड के मुर्दाघरों में शव रखने की जगह कम पड़ गई है। श्रीलंका में नरियल के पेड़ में रात बिताने वाले शख्स को बचाया गया है। मलेशिया के आठ राज्य बाढ़ से प्रभावित है।

जानलेवा बारिश की वजह क्या?

दक्षिण पूर्व एशिया में थाईलैंड की खाड़ी से प्रशांत महासागर तक चक्रवात और बाढ़ का एक नया दौर जारी है। फिलिपींस लगातार आने वाले तूफानों की चपेट में है। वियतनाम में भीषण बाढ़ से कई शहरों का संपर्क कट चुका है। वियतनाम में आई बाढ़ में 90 से ज्यादा लोगों की जान गई। वहीं 2 लाख से अधिक घर पानी में डूब गए। हाल ही में फिलीपींस ने कालमेइगी और फंग-वोंग चक्रवातों का सामना किया।

 

 

 

 

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वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है। इसका नतीजा यह है कि तूफान और चक्रवातों की संख्या भी बढ़ रही है। विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक एशिया वैश्विक औसत की तुलना में लगभग दोगुनी स्पीड से गर्म हो रहा है। 

 

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि दो क्लाइमेट सिस्टम के मिलने से दक्षिण पूर्व एशिया में बाढ़ जैसी विभीषिका पैदा हुई है। ला नीना और नकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव के मिलने से पूरा इलाका नमी में बदल चुका है। विशेषज्ञों ने कहना है कि अधिक नमी अधिक वर्षा का ईंधन है।

 

 

भूमध्य रेखा इंडोनेशिया से गुजरती है। माना जाता है कि चक्रवात भूमध्य रेखा के करीब कभी नहीं बनते है। इसी कारण है कि इंडोनेशिया में आया सेन्यार चक्रवात को बेहद दुर्लभ माना जा रहा है। इंडोनेशिया के राष्ट्रीय अनुसंधान एवं नवाचार एजेंसी के जलवायु एवं वायुमंडलीय अनुसंधान केंद्र की शोधकर्ता एर्मा युलिहास्टिन ने कहा कि इंडोनेशिया में चक्रवातों का आना बेह दुर्लभ है। सुमात्रा के मध्य तपनौली और सिबोल्गा में चार दिनों में 800 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। यह चक्रवात मलक्का जलडमरूमध्य से उठा और अपनी चपेट में मलेशिया, इंडोनेशिया और थाईलैंड को ले लिया।

 

थाईलैंड: यहां एक हफ्ते तक हुई बारिश से हालात भयानक बने हुए हैं। अब तक 145 लोगों की जान गई है। दर्जनों लोग लापता हैं। सबसे अधिक तबाही थाईलैंड के नौ दक्षिणी प्रांतों में देखने को मिली है। लोगों को छतों पर दिन गुजारना पड़ रहा है। ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों तक सहायता सामग्री पहुंचाई जा रही है। राहत एवं बचाव कार्य में सेना के 20 हेलीकॉप्टर लगे हैं।

 

थाईलैंड का हाट याई शहर सबसे अधिक प्रभावित है। यहां एक दिन में 335 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। इतनी बारिश पिछले 300 वर्षों में पहली बार हुई है।थाईलैंड की भीषण बाढ़ से 12 राज्यों में लगभग 30 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। वहीं एक हजार से अधिक विदेशी नागरिकों को भी निकाला जा रहा है।

 

 

मलेशिया: यहां के सात राज्य बाढ़ की चपेट में है। अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है। 34 हजार से अधिक लोग अपने घरों से अलग राहत शिविरों में रहने पर मजबूर हैं। थाईलैंड के हाट याई शहर में मलेशिया के 500 पर्यटक फंसे हैं। उनके निकालने का प्रयास किया जा रहा है। 

 

इंडोनेशिया: यहां भीषण बाढ़ और भूस्खलन में  80 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 59 अन्य लोग लापता हैं। सबसे अधिक सुमात्रा द्वीप प्रभावित है। यहां के 12 जिलों में बाढ़ से जन जीवन अस्त-व्यस्त है। दर्जनों लोग लापता हैं। दो अन्य प्रांतों में भी बाढ़ की चपेट में है। सबसे अधिक 55 लोगों की जान सुमात्रा में गई है। 41 लोग लापता हैं। इंडोनेशिया के आचेह प्रांत से लगभग 1500 लोगों को निकाला गया है।

 

श्रीलंका: दक्षिण पूर्व एशिया के अलावा श्रीलंका भी भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। एक हफ्ते हुई मूसलाधार बारिश में 56 लोगों की जान जा चुकी है। 21 लोग लापता हैं। इस बीच श्रीलंका में आगे भी खराब मौसम की चेतावनी जारी की गई है। श्रीलंका इन दिनों हाल ही के वर्षों में आई सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है। इसकी वजह चक्रवात दित्वा है। सरकार ने आनन-फानन परीक्षाओं को रद्द कर दिया है। सरकारी दफ्तर, रेल और स्कूलों को बंद कर दिया गया है। श्रीलंका की सेना और नौसेना हेलीकॉप्टर की मदद से राहत एवं बचाव कार्य में जुटी है। 

 

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अफगानिस्तान से जॉर्डन तक सूखा

मध्य पूर्व इन दिनों सूखे की चपेट में है। इराक और जॉर्डन भीषण सूखा का सामना कर रहे हैं। ईरान की राजधानी तेहान भी पानी की कमी से जूझ रहा हैं। शहर के जलाशय एकदम सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। तेहरान के लातियन बांध में सिर्फ 10 फीसद पानी बचा है। लोगों से पानी बचाने की अपील की जा रही है। अफगानिस्तान के 19 राज्य सूखे की जद में है। आने वाले समय में यह संकट और गहराने का खतरा है। साल 1969 से अब तक अफगानिस्तान आठ बार सूखे की मार झेल चुका है।

 

मध्य पूर्व का देश इराक पिछले 90 साल में सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहा है। सूखे की वजह से हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। कृषि उत्पादन में कमी आई और लोगों की जान भी गई है। इराक की दो प्रमुख नदियां टिगरिस और यूफ्रेट्स में पिछले साल की तुलना में सिर्फ 27 फीसद ही पानी बचा है।

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