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पीछे हटने को तैयार नहीं ईरान, कतर पर हमला, अब तक क्या हुआ, पूरी ABCD

कतर पर ईरान के हमले से यह बात तय हो गई है कि ईरान पीछे हटने को तैयार नहीं है। वहीं इजरायल भी पूरी तरह से आक्रामक रुख अपनाए हुए है। 

ayatollah ali khanenei । Photo Credit: PTI

आयतुल्लाह अली ख़ामेनई । Photo Credit: PTI

मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है, जब सोमवार को ईरान ने कतर की राजधानी दोहा में स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे अल-उदीद एयरबेस पर मिसाइल हमला किया। यह हमला अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में था। ईरान ने इसे अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए जरूरी कदम बताया है। इस हमले ने न केवल क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाला, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हलचल मचा दी है।

 

अल-उदीद एयरबेस मध्य पूर्व में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है, जहां करीब 10,000 सैनिकों के तैनाती की व्यवस्था हैं, जाहिर है कि मध्य-पूर्व को कंट्रोल करने के लिए यहा काफी महत्त्वपूर्ण है। ईरान ने दावा किया कि उसने हमले से पहले अमेरिका को चेतावनी दी थी। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ। कतर ने अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, जिससे कई उड़ानें प्रभावित हुईं। इस हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति पर नजर रखने और शांति की अपील की, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि ईरान को जवाब देना पड़ सकता है।

 

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इस हमले के बाद खाड़ी के चार अन्य देशों कुवैत, यूएई, बहरीन और इराक ने भी अपने हवाई क्षेत्र बंद कर दिए, जिससे वैश्विक स्तर पर हवाई यात्राएं प्रभावित हुई हैं। भारत की एयर इंडिया ने भी मध्य पूर्व और यूरोप की उड़ानें रद्द कर दीं। इस घटना ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है, और दुनिया की नजरें अब अगले कदम पर टिकी हैं।

कतर पर हमला कब, क्यों, कैसे?

सोमवार की रात, ईरान ने कतर के दोहा में स्थित अमेरिकी अल-उदीद एयरबेस पर छह बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। यह हमला अमेरिका द्वारा पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों का जवाब था। ईरान ने इसे ‘ऑपरेशन बेशरत फतह’ नाम दिया और दावा किया कि यह उसकी संप्रभुता पर हमले का बदला है।

 

हमले की शुरुआत सोमवार रात करीब 9 बजे हुई, जब ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने मिसाइलें लॉन्च कीं। कतर की वायु रक्षा प्रणाली ने 13 में से 12 मिसाइलों को नष्ट कर दिया, जिससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। ईरान ने दावा किया कि उसने जानबूझकर शहरी क्षेत्रों से दूर निशाना साधा।

 

हमले से पहले, ईरान ने दो राजनयिक चैनलों के जरिए अमेरिका और कतर को सूचित किया था, जिससे हताहतों की संख्या शून्य रही। कतर ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया और कहा कि जवाबी कार्रवाई का अधिकार उसके पास सुरक्षित है।

अमेरिका को दिया था अल्टीमेटम 

ईरान ने अमेरिका को कई बार चेतावनी दी थी कि अगर उसके परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ, तो वह चुप नहीं बैठेगा। 19 जून 2025 को ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामनेई ने कहा था कि अमेरिका की किसी भी आक्रामकता का 'करारा जवाब' दिया जाएगा। इसके अलावा, ईरानी संसद की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी के डिप्टी चेयरमैन महमूद नबवियान ने बयान दिया था, 'अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला करना हमारे लिए इजरायल से भी आसान है। अगर हमला हुआ, तो अमेरिका को 50,000 ताबूत तैयार रखने होंगे।'

 

यह अल्टीमेटम अमेरिका के उस फैसले के बाद आया, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट करने की योजना को मंजूरी दी थी। ईरान ने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। ईरान ने यह भी धमकी दी थी कि वह अपने स्लीपर सेल्स को अमेरिका के अंदर सक्रिय कर सकता है।

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर 

ईरान का कतर में हमला सीधे तौर पर अमेरिका के द्वारा किए गए हवाई हमलों का जवाब था। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज, और इस्फहान पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स से हमला किया था, जिसमें 13,600 किलोग्राम वजनी ‘बंकर बस्टर’ बमों का इस्तेमाल हुआ। इस हमले को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया था, जिसका मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह नष्ट करना था।

 

ईरान ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला माना और तुरंत जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई। ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने कतर के अल-उदीद एयरबेस और पश्चिमी इराक के ऐन अल-असद बेस पर मिसाइलें दागीं। ईरान ने दावा किया कि उसने उतनी ही मिसाइलें दागीं, जितने बम अमेरिका ने उसके परमाणु ठिकानों पर गिराए थे।

‘मेक ईरान ग्रेट अगेन’

अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद यह दावा किया गया कि इन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को 'पूरी तरह तबाह' कर दिया।

 

60-90 मीटर की गहराई में बना फोर्डो सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। नतांज और इस्फहान में भी भारी नुकसान की खबरें आईं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे 'ऐतिहासिक सैन्य सफलता' बताया था और कहा था कि यह इजरायल की सुरक्षा के लिए जरूरी था। ट्रंप ने इसे ‘Make Iran Great Again’ (MIGA) का नारा देते हुए सत्रा परिवर्तन की अपील भी की।

ईरान ने इन हमलों को 'अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन' बताया और कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है।

पांच देशों ने बंद किया एयरस्पेस 

ईरान के सोमवार को कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया। इसके परिणामस्वरूप, पांच देशों—कतर, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), बहरीन, और इराक—ने अपने हवाई क्षेत्र को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। कतर ने हमले के तुरंत बाद अपने एयरस्पेस को बंद किया, क्योंकि यह उसकी संप्रभुता का उल्लंघन मानता था।

 

कुवैत और बहरीन ने अपने हवाई क्षेत्र बंद किए, क्योंकि उनके क्षेत्र में भी अमेरिकी सैन्य ठिकाने हैं, और उन्हें ईरानी हमलों का खतरा था। यूएई ने दुबई और अबू धाबी जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द कर दीं। इराक ने भी अपने हवाई क्षेत्र को बंद किया, क्योंकि ईरान ने वहां ऐन अल-असद बेस पर भी मिसाइलें दागी थीं। इस हमले के बाद सैकड़ों उड़ानें डायवर्ट की गई हैं।

 

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एयर इंडिया ने रद्द की उड़ानें 

ईरान के कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमले के बाद मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए एयर इंडिया ने भी तत्काल प्रभाव से अपनी कई उड़ानें रद्द कर दीं। सोमवार की रात को, एयर इंडिया ने मध्य पूर्व, उत्तरी अमेरिका के ईस्ट कोस्ट व यूरोप के लिए जाने वाली उड़ानें अस्थायी रूप में रद्द करने का ऐलान किया। इसके अलावा, इंडिगो और अन्य भारतीय एयरलाइंस ने भी प्रभावित क्षेत्रों की उड़ानों में कटौती की।

 

कतर, यूएई, कुवैत, बहरीन, और इराक के हवाई क्षेत्र बंद होने से उड़ानें डायवर्ट करनी पड़ीं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दोहा का हमाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो मध्य पूर्व का एक प्रमुख हब है, पूरी तरह प्रभावित हुआ।

 

भारतीय दूतावास ने कतर में मौजूद भारतीयों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी। एयर इंडिया ने यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानों की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, लेकिन स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। 

डोनाल्ड ट्रंप ने कही सीजफायर की बात 

ईरान के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से बयान जारी किया, जिसमें कहा, 'ईरान ने हमें पहले से सूचित किया था, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ। मैं ईरान को धन्यवाद देता हूं, लेकिन यह कमजोर हमला था।' 

 

ट्रंप ने सीजफायर की अपील करते हुए कहा, 'हम शांति चाहते हैं, लेकिन अगर ईरान ने फिर आक्रामकता दिखाई, तो हमारा जवाब पहले से ज्यादा मजबूत होगा।' ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नष्ट कर दिया है, और अब मध्य पूर्व में स्थिरता के लिए ईरान को अपने रवैये को बदलना चाहिए। उन्होंने ‘Make Iran Great Again’ (MIGA) का नारा दोहराया और ईरानी जनता से शासन परिवर्तन की अपील की।

 

ट्रंप ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ बैठक की और पेंटागन को सतर्क रहने का आदेश दिया। उन्होंने कहा, 'हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं, और अमेरिका किसी भी चुनौती के लिए तैयार है।'

दुनिया ने क्या कहा?

ईरान के हमले और अमेरिकी कार्रवाई के बाद कई देशों और नेताओं ने प्रतिक्रिया दी। कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने हमले की निंदा की और इसे 'कतर की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन' बताया। उन्होंने कहा कि अब कतर को जवाबी कार्रवाई का पूरा अधिकार है।

 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपात बैठक बुलाने की मांग की और ईरान का समर्थन करते हुए अमेरिकी हमलों को 'गैरकानूनी' बताया। ओमान ने भी अमेरिकी कार्रवाई की निंदा की और कहा, 'यह क्षेत्र में शांति के लिए खतरा है।'

 

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सभी पक्षों से तनाव कम करने की अपील की, चेतावनी दी कि 'यह वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है।' उन्होंने कहा कि पहले से ही खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके मध्य-पूर्व में अमेरिकी हमला उचित नहीं। हमास ने अमेरिकी हमलों को 'अंतरराष्ट्रीय शांति पर हमला' करार दिया।

 

वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अमेरिका का समर्थन करते हुए कहा, 'ताकत से शांति मिलती है।' फारूक अब्दुल्ला ने मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि निराश हूं मुस्लिम वर्ल्ड चुप है।

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