इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जियो मेलोनी ने एक किताब लिखी है। उनकी इस किताब का नाम 'I AM GIORGIA: MY ROOTS, MY PRINCIPLES' है। इस किताब में उन्होंने अपनी जिंदगी और राजनीतिक सफर के बारे में विस्तार से लिखा है। दिलचस्प बात यह है कि इस किताब के लिए प्रस्तावना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेटे डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने लिखी है।
पीएम मोदी ने इस किताब को पीएम जॉर्जिया मेलोनी के 'मन की बात' बताया है। पीएम मोदी ने यह भी लिखा कि इस किताब की प्रस्तावना लिखना उनके लिए बहुत सम्मान की बात है। उन्होंने मेलोनी को एक 'देशभक्त और महान नेता' बताया।
किताब की प्रस्तावना में पीएम मोदी ने याद करते हुए बताया है कि कैसे उन्होंने पिछले 11 साल में कई वैश्विक नेताओं से मुलाकात की है, जिनमें से हर एक का सफर अलग-अलग रहा है।
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प्रस्तावना में पीएम मोदी ने क्या लिखा?
मेलोनी की किताब की प्रस्तावना में पीएम मोदी ने लिखा, 'प्रधानमंत्री मेलोनी का जीवन और नेतृत्व हमें कुछ शाश्वत सत्यों की याद दिलाता है। यह किताब भारत में एक शानदार नेता और एक देशभक्त की कहानी के रूप में पसंद की जाएगी। अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और दुनिया के साथ बराबरी से जुड़ने का उनका विश्वास हमारे अपने मूल्यों को दर्शाता है।'
पीएम मोदी ने मेलोनी की तारीफ करते हुए लिखा है कि उनकी 'प्रेरणादायक और ऐतिहासिक' यात्रा भारतीयों के साथ गहराई से जुड़ती है और यह निश्चित रूप से भारतीयों को भी प्रभावित करेगी।
किताब की प्रस्तावना में प्रधानमंत्री मोदी ने मेलोनी की 'मातृत्व, राष्ट्रीय पहचान और परंपरा' की रक्षा करने की तारीफ की है। उन्होंने यह भी लिखा कि भारत और इटली के संबंध कहीं ज्यादा गहरे हैं।
उन्होंने लिखा है, 'हमारे देश परंपरा के सम्मान और आधुनिकता को अपनाने की भावना से जुड़े हैं। यही मेरी और प्रधानमंत्री मेलोनी की निजी दोस्ती का आधार है।'
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2021 में आई थी मेलोनी की किताब
मेलोनी की यह किताब 2021 में लिखी गई थी, तब वह इटली में विपक्ष की नेता थीं। अब उनकी उस किताब को रूपा पब्लिकेशन ने छापा है, जिसमें पीएम मोदी ने प्रस्तावना लिखी है।
इस किताब में मेलोनी ने अपनी जिंदगी से जुड़ी कई बातें लिखी हैं। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री के चुनाव से पहले दिए गए एक नारे- 'मैं जॉर्जिया हूं। मैं एक महिला हूं। मैं एक इटैलियन हूं। मैं एक ईसाई हूं। आप इसे मुझसे नहीं छीन सकते।'
मेलोनी ने लिखा है, 'मैंने कभी इस बात को नहीं माना कि एक महिला को केवल महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए राजनीति में आना चाहिए। राजनीति सभी के लिए है। सबके भले के लिए है। अगर मेरी जैसी किसी महिला को, जिसके पास विशेषाधिकार हैं, उससे यह कहा जाए कि बच्चा होने की वजह से मुझे पीछे हट जाना चाहिए तो फिर एक गर्भवती लड़की, जो कॉल सेंटर में अस्थायी नौकरी करती है, उसके पास क्या मौका होगा? मैं यह साबित करना चाहती हूं कि बच्चे कोई रूकावट नहीं हैं, बल्कि वे तो हमें हमारी सीमाओं को लांघने में मदद करते हैं।'