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बौद्ध मठ पर क्यों एयर स्ट्राइक कर रही म्यांमार की सेना? 23 की मौत

म्यांमार में सेना और विद्रोही गुटों के बीच साल 2021 से ही जंग जारी है। म्यांमार में बौद्ध मठ पर हवाई हमले के बाद हजारों ग्रामीण विस्थापित हो गए। लोग लिन ता लु सहित आसपास के कस्बों और गांवों में शरण ले रहे हैं।

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म्यांमार में एयर स्ट्राइक के बाद हालात। (Photo Credit: Social Media)

म्यांमार के सगाइंग क्षेत्र में एक बौद्ध मठ पर हवाई हमले में कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई। यह हमला गुरुवार देर रात लिन ता लु गांव के मठ में हुआ, जहां 150 से ज्यादा लोग आसपास के गांवों से शरण लेने आए थे। रात करीब 1 बजे एक जेट विमान ने मठ की इमारत पर बम गिराया, जिसमें 23 लोग, जिनमें जिनमें चार बच्चे शामिल थे, मारे गए।

हवाई हमले में 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। घायलों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। डेमोक्रेटिक वॉयस ऑफ बर्मा के मुताबिक मरने वालों की संख्या 30 से ज्यादा हो सकती है। म्यांमार की सेना ने इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की। यह मठ म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले से सिर्फ 35 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में है।

सेना विद्रोही गुटों को बना रही निशाना 

सेना ने पहले कहा था कि वह केवल उन ठिकानों को निशाना बनाती है, जहां विद्रोही गुट सक्रिय हैं। जो सेना के आदेश को नहीं मानते, विरोध के लिए हिंसा करते हैं, उन्हें सेना आतंकी मानती है। म्यांमार में ऐसे बलों को 'रेजिस्टेंस फोर्स' का दर्जा मिला है। म्यांमार में साल 2021 से ही गृहयुद्ध चल रहा है।

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2021 से ही गृह युद्ध से जूझ रहा म्यांमार

म्यांमार में फरवरी 2021 में सेना ने चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हासिल की थी। तब से लेकर अब तक, म्यांमार युद्ध के साए में है। सेना ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को हिंसा से दबाने की कोशिश की, जिसके बाद कई आम नागरिकों ने भी हथियार उठा लिया। अब देश के बड़े हिस्से में संघर्ष चल रहा है।

सागाइंग में सबसे ज्यादा खराब हैं हालात

सेना ने सागाइंग क्षेत्र में पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज को आतंकी माना है और उनके खिलाफ हवाई हमले बढ़ा दिए हैं। प्रतिरोध बलों के पास हवाई हमलों का कोई प्रभावी जवाब नहीं है। 

 

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अपने ही नागरिकों पर बम बरसा रही म्यांमार की सेना 

सैकड़ों सैनिकों ने टैंकों और विमानों के साथ लिन ता लू के पास 5 किमी के क्षेत्र में हमला किया था, जिससे विद्रोही गुटों के कब्जे वाले हिस्से को हासिल किया जाए। इस दौरान आसपास के गांवों के हजारों लोग विस्थापित होकर लिन ता लू और कुछ दूसरी जगहों पर चले गए।

सेना के तेवर क्यों बदले हैं? 

विपक्षी नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट के प्रवक्ता नाय फोन लट्ट ने कहा कि सेना इस साल होने वाले आम चुनाव से पहले विद्रोही गुटों के कब्जाए हुए हिस्से पर जीत हासिल करना चाहती है। यह चुनाव सेना की सत्ता को वैध बनाने के लिए हो रही है। म्यांमार की सेना चाहती है कि सेना के हाथों में सत्ता रहे, जनरलों के शासन पर सवाल न उठाए जाएं। 

दुनिया ने मुंह फेरा, कौन दे रहा म्यांमार की सेना का साथ?

म्यांमार की जुंटा सेना के साथ चीन खड़ा है। जुंटा आर्मी का नियंत्रण अब सिर्फ देश के 24 फीसदी हिस्से पर है। 42 फीसदी हिस्से, स्वतंत्र निकाय की तरह काम कर रहे हैं। यही वहां की सेना को रास नहीं आ रहा है। जुंटा का कंट्रोल देश के बीच वाले हिस्सों पर है। जुंटा का नियंत्रण यंगून, मांडले, नापियाडॉ और सितवे बंदरगार के अहम हिस्सों पर है। जिन इलाकों में नियंत्रण नहीं है, वहीं सेना हमले करती है। 

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