नेपाल प्रोटेस्ट: 19 की मौत, गृहमंत्री का इस्तीफा, कई शहरों में कर्फ्यू
दुनिया
• KATHMANDU 08 Sept 2025, (अपडेटेड 08 Sept 2025, 9:11 PM IST)
नेपाल में 'जेन जी' प्रदर्शन ने और ज्यादा गंभीर रूप ले लिया है। सरकार का कहना है कि इसे अराजक तत्त्वों ने हाईजैक कर लिया है।

नेपाल विरोध प्रदर्शन । Photo Credit: Social Media/X
नेपाल में सरकार विरोधी युवाओं का विरोध और ज्यादा गहराता जा रहा है। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के विरोध में युवाओं के इस आंदोलन में नेपाल सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हो चुके हैं। काठमांडू से शुरू हुआ यह आंदोलन अब देश के अन्य भी कई शहरों बिराट नगर, पोखरा, नेपालगंज, बुटवाल और चितवन तक फैल चुका है। अधिकारियों का कहना है कि सात लोगों की नेशनल ट्रॉमा सेंटर में, तीन की एवरेस्ट हॉस्पिटल में, दो की त्रिभुवन यूनिवर्सिटी में और एक की केएमसी हॉस्पिटल में मौत हो गई। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक विरोध प्रदर्शन के बीच नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने बताया कि नैतिक आधार पर उन्होंने यह इस्तीफा दिया है।
नेपाल के सेना के सूत्रों के मुताबिक प्रशासन के कहने पर दो से तीन प्लाटून सेना की तैनात की गई है। हालांकि, सेना अभी तक राजधानी तक ही सीमित है और मुख्यतः वह संसद की सुरक्षा कर रही है। वहीं नेपाल के प्रधानमंत्री के आवास पर नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल की हाई-लेवल की मीटिंग चल रही है। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री के अलावा चीफ सेक्रेटरी नारायण आर्यल, वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल, गृह मंत्री रमेश लेहक, विदेश मंत्री आरजू राणा देबुआ शामिल थे।
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टेलीविजन पत्रकार की मौत
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान न सिर्फ युवाओं की मौत हुई बल्कि कवरेज के दौरान एक टेलीविजन पत्रकार की भी मौत हो गई। कांतिपुर टेलीविजन जर्नलिस्ट श्रेष्ठा को गोली लग गई जिससे उनकी मौत हो गई। प्रदर्शनकारियों ने संसद के गेट पर हिंसक प्रदर्शन किए। इसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने के की कोशिश की।
इस बीच नेपाल के मानवाधिकार आयोग ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल की पुलिस ने जरूरत से ज्यादा बल का प्रयोग किया। बयान में कहा गया कि सरकार को युवाओं की आवाज को गंभीरता से लेना चाहिए और प्रदर्शनकारियों पर जरूरत से ज्यादा बल प्रयोग को तत्काल प्रभाव से रोक देना चाहिए.
#WATCH | Nepal | People in Kathmandu stage a massive protest against the government over alleged corruption and the recent ban on social media platforms, including Facebook, Instagram, WhatsApp and others. pic.twitter.com/vCyY9XKtww
— ANI (@ANI) September 8, 2025
क्यों बढ़ रहा विरोध?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब से नेपाल में लोकतंत्र आया है तब से अब तक तमाम सरकारों ने विकास की बात की है लेकिन युवाओं में भारी बेरोजगारी है। नेपाल के ज्यादातर युवाओं को, खासकर गरीब युवाओं को मलेशिया में कम पैसे वाली नौकरियों के लिए दूसरे देशों में जाना पड़ता है। कुछ लोग यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका भी बेहतर एजुकेशन और ज्यादा सैलरी वाली नौकरियों के लिए जा रहा है। आंकड़े के मुताबिक हर साल लगभग 2 हजार युवा प्रतिदिन देश छोड़कर जाने को मजबूर होते हैं।
जो लोग देश में हैं उनमें से ज्यादातर युवाओं के लिए सोशल मीडिया उनकी आजीविका का आधार बन चुका है। ऐसे में अचानक से उस पर बैन लग जाने की वजह से उनकी आजीविका का आधार छिन गया है। साथ में युवाओं को लगता है कि राजनेताओं के पास पैसे बढ़ते जा रहे हैं इसी ने युवाओं में असंतोष का भाव भर दिया.
तमाम युवा प्रदर्शनकारियों का कहना है कि भ्रष्ट नेता अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजते हैं और लग्जरी लाइफ स्टाइल देते हैं जबकि नेपाल के युवाओं को यहीं पर मुफलिसी की हालत में रहना पड़ता है।
उनका कहना है कि उनके टैक्स के पैसे को उनके द्वारा अपने बच्चों की महंगी लाइफस्टाइल पर क्यों खर्च किया जा रहा है।
कैसे शुरू हुआ प्रोटेस्ट
गुरुवार को (5 सितंबर, 2025) को केपी शर्मा ओली सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दिया था। इनमें एक्स, इन्स्टाग्राम, फेसबुक और वॉट्सऐप भी शामिल थे। सरकार का कहना था कि इन प्लेटफॉर्म्स ने जरूरी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा नहीं किया है।
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हालांकि, फ्री स्पीच के पैरोकारों का कहना था कि बैन रेग्युलेशन की वजह से नहीं था बल्कि विरोध की आवाज को दबाने की वजह से था। इसके बावजूद भी सरकार अपने फैसले के साथ टिकी रही। कुछ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रोटेस्ट किसी पार्टी के झंडे तले नहीं हो रहा है बल्कि यह स्वतः स्फूर्त आंदोलन है जो कि भ्रष्टाचार, रोक लगाने, भाई-भतीजावाद और फेवरटिज़म के विरोध में उठाया गया है।
#WATCH | Kathmandu, Nepal | Protestors climb over police barricades as they stage a massive protest against the ban on Facebook, Instagram, WhatsApp and other social media sites. pic.twitter.com/mHBC4C7qVV
— ANI (@ANI) September 8, 2025
कौन है प्रोटेस्ट के पीछे
हालांकि, कहा जा रहा है कि इस विरोध प्रदर्शन को ऑर्गेजनाइज करने के पीछे एक एनजीओ 'हमी नेपाल' का हाथा है। इसकी स्थापना साल 2015 में हुई थी। हमी नेपाल को इसके सामाजिक कार्यों कि लिए जाना जाता है खासकर किसी प्राकृतिक आपदा के वक्त खाना बांटने, रेस्क्यू ऑपरेशन करने, पानी पहुंचाने इत्यादि के लिए किया जाता है।
हालांकि, इस संगठन ने पहले कभी भी किसी तरह के राजनीतिक विरोध में हिस्सा नहं लिया, लेकिन हाल के दिनों में यह अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए एंटी-करप्शन आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में लगा था। जब सरकार ने इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगा दी तो यह वीपीएन के जरिए लोगों से जुड़ने की कोशिश करता था।
सीएम आवास पर हमला
प्रदर्शनकारियों ने पोखरा में मुख्यमंत्री के आवास पर भी हमला कर दिया है। इसकी प्रतिक्रिया ने पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया है ताकि इस पर काबू पाया जा सके। कहा जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के ऑफिस को भी नुकसान पहुंचाया है।
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क्या बोली सरकार
नेपाल सरकार के प्रवक्ता और सूचना प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने कहा कि सरकार को अस्थिर करने के लिए चल रहे जेन ज़ी प्रोटेस्ट को अराजक तत्वों ने हाईजैक कर लिया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में जो विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के विरोध में था अचानक से वह हिंसक हो गया और संसद व सिंह दरबार जैसे सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले करने लगा।
#WATCH | Nepal | Protesters vandalise the Parliament gate as protests turn violent in Kathmandu.
— TIMES NOW (@TimesNow) September 8, 2025
People staged a massive demonstration against the ban on social media platforms.#Nepal #NepalProtests pic.twitter.com/MItP8SQPUa
कई प्रदर्शनकारियों की मौत को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गुरुंग ने कहा कि यह सब कुछ सरकार विरोधी ऐक्टिविटी की वजह से हुआ है। विरोध प्रदर्शन को अराजत तत्त्वों के द्वारा हाईजैक कर लिया गया था। उन्होंने कहा कि शाम तक गृह मंत्री इस बारे में और ज्यादा सूचना दी जाएगी
गुरुंग ने सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को बैन किए जाने का भी समर्थन किया और कहा कि मेटा ने नेपाल के रजिस्ट्रेशन नियमों का पालन नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'हमने उनसे रजिस्ट्रेशन करने को कहा लेकिन उन्होंने इसका पालन नहीं किया। इसीलिए गैर-रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म्ल को ब्लॉक कर दिया गया। यह राष्ट्रीय संप्रभुता का भी मुद्दा है।' उन्होंने कहा कि किसी भी देश ने सिर्फ सोशल मीडिया के बैन को लेकर इस तरह का विरोध प्रदर्शन नहीं देखा।
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