नेपाल में जेन-जी प्रोटेस्ट के बाद अब हालात सामान्य होते दिख रहे हैं। अंतरिम सरकार की कमान सुशीला कार्की के पास है। सुशीला कार्की ने 12 सितंबर को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। अब उनकी सरकार में तीन और मंत्रियों की एंट्री भी हो गई है। सोमवार को राष्ट्रपति रामचंद्र पौदेल ने इन तीनों मंत्रियों को शपथ दिलाई।
अंतरिम सरकार में जिन तीन मंत्रियों की एंट्री हुई है, उनमें कुलमान घिसिंग, रामेश्वर खनाल और ओम प्रकाश आर्यल शामिल हैं।
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बालेंद्र शाह के करीबी की एंट्री
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ नेपाल में पिछले हफ्ते जेन-जी ने प्रोटेस्ट कर दिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया था।
ओली के इस्तीफे के बाद माना जा रहा था कि काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह अंतरिम सरकार में प्रधानमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, उनकी जगह 73 साल की सुशीला कार्की ने यह जिम्मेदारी संभाली। अब इस अंतरिम सरकार में बालेंद्र शाह के करीबी की एंट्री हो गई है।
नेपाल की अंतरिम सरकार में जिन ओम प्रकाश आर्यल को शामिल किया गया है, वह बालेंद्र शाह के सलाहकार हैं। इसके साथ ही वकील भी हैं।
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सरकार में किसे क्या जिम्मेदारी?
राष्ट्रपति रामचंद्र पौदेल ने सोमवार को तीनों नए मंत्रियों को काठमांडू के महाराजगंज में स्थित राष्ट्रपति भवन 'शीतल निवास' पर शपथ दिलवाई।
बताया जा रहा है कि कुलमान घिसिंग को ऊर्जा, जल संसाधन और शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी मिल सकती है। वहीं, रामेश्वर खनाल को वित्त मंत्रालय दिया जा सकता है। जबकि, बालेंद्र शाह के करीबी ओम प्रकाश आर्यल को कानून और गृह मंत्रालय मिल सकता है।
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कब तक रहेगी अंतरिम सरकार?
नेपाल की ओली सरकार के खिलाफ 8 सितंबर को जेन-जी ने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की थी, जिन्हें रोकने के लिए पुलिस ने गोलीबारी की। पहले दिन प्रोटेस्ट में नेपाल में 19 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।
19 मौतों के बाद नेपाल में प्रदर्शन और भी हिंसक हो गया था। 9 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री ओली और पूर्व प्रधानमंत्रियों के आवास समेत संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और कई सरकारी इमारतों को फूंक दिया था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि ओली ने इस्तीफा दे दिया था।
ओली के इस्तीफे के बाद 12 सितंबर को नेपाल की अंतरिम सरकार का प्रमुख सुशीला कार्की को बनाया गया। यह अंतरिम सरकार कुछ महीनों तक ही रहेगी। सरकार पर 5 मार्च 2026 तक नए चुनाव कराने का दबाव है।