नोबेल के लिए गया है महरंग बलोच का नाम, अब आतंकवाद का केस दर्ज हो गया
बूलचिस्तान के लोगों की लड़ाई लड़ने वाली महरंग बलोच के खिलाफ केस दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। आइए इस मामले की पूरी कहानी समझते हैं।

महरंग बलोच, File Photo Credit: Social Media
बलोच यकजेहती कमेटी (BYC) की मुख्य संयोजक महरंग बलोच एक बार फिर मुश्किलों में घिरती दिख रही हैं। पाकिस्तान पुलिस ने महरंग बलोच और 150 अन्य लोगों के खिलाफ आतंकवाद संबंधित मुकदमे दर्ज किए हैं। इन लोगों पर आरोप है कि ये एक मुर्दाघर में जबरन घुसकर लाशें ले गए। आतंकवाद, हत्या और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोपों में मुकदमा दर्ज करने के बाद महरंग बलोच को रविवार गिरफ्तार कर लिया गया है। महरंग बलोच की अगुवाई वाली BYC ने हड़ताल और धरने का आयोजन किया था। महरंग बलोच वही शख्सियत हैं जिन्हें साल 2025 के लिए नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया है। वह लंबे समय से बलूचिस्तान के लोगों के अधिकारों के लिए पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ती रही हैं।
कुछ दिनों पहले बलूचिस्तान में हुए ट्रेन हाईजैक से ही इस पूरे मामले के तार जुड़े हैं। हाइजैक के मारे बाद कई लोगों के शव पाकिस्तानी सेना ने अपने कब्जे में ले लिए थे। वहीं, BYC के लोग इनकी लाशो को दिखाकर यह बता रहे थे कि उन पर कितने जुल्म किए गए हैं। शनिवार को ही सुरक्षाबलों ने धरनास्थल पर छापेमारी की। आरोप हैं कि जिन लाशों को लेकर लोग धरना दे रहे थे उनकी भी तलाशी की गई। यह मामला रविवार को और बिगड़ गया जब यह कहा जाना लगा कि महरंग बलोच को गिरफ्तार कर लिया गया है। जाफर ट्रेन हाइजैक केस में बलोच लिबरेशन आर्मी के कुल 33 आतंकियों को मार गिरराया गया था। स्थानीय प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार इसी की आड़ में उन लोगों को कुचल रही है जो सचमुच अपनी मांगों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' के मुताबिक, यह मामला क्वेटा के सिविल अस्पताल का है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिन पहले जाफर ट्रेन हाईजैक केस में मारे गए पांच लोगों के शव इसी अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए थे। BYC के सदस्य अचानक इस अस्पताल के मुर्दाघर में घुसे और उन लाशों के अपने साथ ले गई। 22 मार्च को पुलिस ने सरियाब पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की है। इन लोगों के खिलाफ एंटी टेररिज्म ऐक्ट (ATA) और पाकिस्तान पीनल कोड (PPC) की अलग-अलग धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है।
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इन आरोपों में आतंकवाद, हत्या, हत्या की कोशिश, हिंसा और विद्रोह भड़काने, कानून व्यवस्था खराब करने, नफरत फैलाने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप शामिल हैं। इस FIR में महंरग बलोच के अलावा BYC के अन्य नेताओं जैसे कि बीबो बलोच, गुलजादी सतकजई, सबीहा बलोच, सबतुलल्ला बलोच, गुलजार दोस्त और अन्य के नाम भी शामिल हैं।'
हंगामा होने के चलते क्वेटा और उशके आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं थीं। हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया कि रविवार शाम तक ही इंटरनेट सेवाएं दोबारा चालू कर दी गईं।

महरंग बलोच और 17 अन्य लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें क्वेटा डिस्ट्रिक्ट जेल में रखा गया है। 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक, FIR में कहा गया है कि BYC के नेताओं ने लोगों को भड़काया और उन्हें पुलिस पर गोली चला दी। आरोप है कि इस गोलाबारी में 3 लोग मारे गए और 15 पुलिसकर्मी भई घायल हो गए। एक दूसरी एफआईआर में कहा गया है कि 100 से 150 BYC समर्थक सिविल अस्पताल के मुर्दाघर में गए और वहीं रखी लाशों को जबरन उठा ले गए। इतना ही नहीं, FIR में यह भी कहा गया है कि इन लोगों ने एक एम्बुलेंस रोककर उसके ड्राइवर को पीटकर भगा दिया और लाशों को उसी में भरकर ले गए।
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कौन हैं महरंग बलोच?
पेश से डॉक्टर महरंग बलोच अब्दुल गफ्फार बलोच की बेटी हैं। अब्दुल गफ्फार एक मजदूर और वामपंथी राजनीति के समर्थक थे। अपने आंदोलनों की वजह से वह भी खूब चर्चा में रहते थे। साल 2009 में अचानक गायब हुए अब्दुल गफ्फार बलोच की लाश 2011 में एक सुनसान जगह पर पाई गई थी। उनके शरीर पर मारने-पीटने और टॉर्चर के निशान थे। इसी वजह से आरोप लगते हैं कि अब्दुल गफ्फार बलोच को सेना उठाकर ले गई थी। पिता की मौत सिर्फ 16 साल की उम्र में देखने वाली महरंग बलोच ने उसी समय कसम खाई थी कि जो उनके पिता के साथ हुआ, वैसा वह किसी और के साथ नहीं होने देंगी। तब से ही उन्होंने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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हालांकि, बलूचिस्तान में इस तरह की गतिविधियां कभी बंद नहीं हुईं। साल 2017 की बात है जब पाकिस्तानी फौज महरंग के भाई को उठा ले गई। इस बार महरंग बलोच ने जोरदार आंदोलन किया। इस आंदोलन ने पाकिस्तानी सेना को झुकाया और 3 महीने बाद सेना ने महरंग के भाई को सकुशल लौटा दिया। बलूचिस्तान में लोगों का ऐसे ही गायब हो जाना और लंबे समय बाद उनकी लाश मिलना लंबे समय से चला आ रहा था ऐसे में इसके खिलाफ आवाज उठाने वाली महरंग बलोच तेजी से मशहूर हुईं।
नोबेल पीस प्राइज की रेस में महरंग
बलूचिस्तान में लोगों की आवाज उठा रहीं महरंग बलोच अब पूरी दुनिया में जाना-माना नाम हैं। इसी महीने उन्हें नोबेल पीस प्राइज 2025 के लिए नॉमिनेट किया गया है। उन्होंने इसके बारे में लिखा था, 'मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं लेकिन यह मेरे बारे में नहीं है। यह उन हजारों बलोच लोगों के लिए है जो जबरन गायब कर दिए गए हैं और उनके परिजन के लिए जो न्याय की मांग कर रहे हैं। मानवाधिकारों की इस लड़ाई को वैश्विक समाज और सभ्य देशों द्वारा अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।'
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इससे पहले महरंग बलोच को बीबीसी ने अपनी 100 प्रभावशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। टाइम मैगजीन ने उन्हें उभरते हुए वैश्विक नेताओं की लिस्ट में जगह दी थी। साल 2019 में महंग ने BYC की स्थापना की थी जो लगातार सक्रिय भी रहती है।
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