logo

ट्रेंडिंग:

2 साल बाद राष्ट्रपति पैलेस पर आर्मी का कब्जा, सूडान में हुआ क्या था?

सूडान की सेनी ने दो साल बाद फिर से प्रेसिडेंशियल पैलेस पर कब्जा कर लिया है। सूडान में दो साल से सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के बीच जंग चल रही थी।

sudan

प्रेसिडेंशियल पैलेस पर कब्जे के बाद सूडानी आर्मी के जवान। (Photo Credit: @hash_sudan)

सूडान में दो साल से चल रहे गृहयुद्ध में बड़ा मोड़ आया है। सूडान की सेना ने दो साल बाद एक बार फिर प्रेसिडेंशियल पैलेस पर कब्जा कर लिया है। यह पैलेस खारतौम में है। यहां अब तक पैरामिलिट्री फोर्स रैपिड सपोर्ट फोर्स यानी RSF का कब्जा था। अब सूडान की आर्मी ने इस पैलेस को RSF से छुड़ा लिया है।


सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों और वीडियो में सूडानी आर्मी के जवान प्रेसिडेंशियल पैलेस के अंदर और बाहर बंदूकें लहराते और नारे लगाते दिखाई दे रहे हैं। 


कुछ वीडियो में सूडानी आर्मी के जवान 'हम अंदर हैं' और 'हम पैलेस में हैं' चिल्लाते हुए भी सुनाई दे रहे हैं। सूडान के मंत्री खालिद अली अल-ऐसर ने X पर लिखा, 'कुछ लोगों को यह मजाक लग रहा था। आज झंडा फहराया गया। पैलेस वापस मिल गया है और जंग जीतने तक यह यात्रा जारी रहेगी।'

 

यह भी पढ़ें-- सैकड़ों मौतें, IDF ने मचाई तबाही, गाजा में सीजफायर खत्म होने की कहानी

क्या अब खत्म होगी जंग?

अफ्रीकी मुल्क सूडान में 15 अप्रैल 2023 को सेना और RSF के बीच जंग शुरू हो गई थी। तब से ही सूडान इस जंग में पिस रहा था। 


हालांकि, प्रेसिडेंशियल पैलेस पर सूडानी आर्मी का दोबारा कब्जा होना बड़ी जीत माना जा रहा है। अप्रैल 2023 में जब सेना और RSF के बीच जंग छिड़ी थी, तो सेना खारतौम समेत कई बड़े हिस्सों पर अपना नियंत्रण गंवा दिया था। कुछ दिन पहले ही RSF के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हमदान डगलो ने कहा था, 'आप यह मत सोचिए कि हम पैलेस से पीछे हट जाएंगे।'

 


लेकिन सेना ने धीरे-धीरे खारतौम शहर के पूर्वी और फिर उत्तरी हिस्सों पर कब्जा करती चली गई। गुरुवार सुबह से ही खारतौम में गोलियों और धमाकों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। गुरुवार की सुबह ही सेना ने पैलेस के पीछे RSF के एक काफिले पर बड़ा हमला किया। इस हमले के बाद RSF के जवान यहां से भाग गए थे।

 

यह भी पढ़ें-- रूस के न्यूक्लियर बॉम्बर एयरबेस पर यूक्रेन का ड्रोन अटैक; देखें Video

जंग इतनी लंबी कैसे चलती रही?

अप्रैल 2023 में यह जंग तब शुरू हुई, जब आर्मी चीफ जनरल अब्दुल फत्तेह अल-बुरहान और RSF के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। अक्टूबर 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद दोनों जनरलों ने एक साथ सत्ता पर कब्जा किया था। मगर बाद में दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई जो बाद में जंग में बदल गई।


इसके बाद से ही सूडान में कब्जे की जंग चल रही है। सड़कों पर गोलियों से छलनी गाड़ियां और धमाकों से मलबे में तब्दील हुईं इमारतें नजर आ रही थीं।


खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि RSF के पास बेहतरीन स्नाइपर्स थे, जो उन्होंने इथियोपिया से भर्ती किए थे। द टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, RSF को संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से हथियार, गोला-बारूद, बंदूकें, ड्रोन और भाड़े के लड़ाके मिल रहे थे, जो इस जंग में उसकी मदद कर रहे थे। दूसरी तरफ रूस, ईरान, तुर्की, कतर और सऊदी अरब ने सूडानी आर्मी की मदद की।

 

यह भी पढ़ें-- ट्रम्प ही लाएंगे यूक्रेन में शांति, जेलेंस्की को क्यों लग रहा ऐसा?

पर जंग शुरू कैसे हुई?

अप्रैल 2019 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के खिलाफ जनता ने विद्रोह कर दिया। राष्ट्रपति बशीर कमजोर होते जा रहे थे। इसी बीच अक्टूबर 2021 में सेना ने तख्तापलट कर दिया। 


उसी साल एक समझौता हुआ, जिसमें तय हुआ कि एक काउंसिल बनाई जाएगी, जो देश की सत्ता संभालेगी। इसके साथ ही अक्टूबर 2023 में चुनाव कराने की बात पर भी सहमति बनी। समझौते के तहत, जो काउंसिल बनी उसके अध्यक्ष आर्मी चीफ जनरल बुरहान बने और उपाध्यक्ष RSF के प्रमुख जनरल हमदान बने।


हालांकि, बाद में दोनों के बीच मनमुटाव शुरू हो गया। इसी बीच प्रस्ताव रखा गया कि RSF के जवानों को सेना में ही शामिल किया जाएगा। ऐसे में सवाल उठा कि सेना और RSF के मिलने से जो नई सेना बनेगी, उसकी कमान कौन संभालेगा? इस कारण दोनों जनरलों में लड़ाई शुरू हो गई।


लगभग दो साल से दो जनरलों के बीच चल रही इस लड़ाई में हजारों लोग मारे गए हैं जबकि लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र सूडान के इन हालात को 'गंभीर मानवीय संकट' मानता है।

Related Topic:#Sudan

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap