राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप पहले ही दिन एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। ट्रंप अब तक कई एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स जारी कर चुके हैं। इन्हीं एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स में से एक 'सजा-ए-मौत' से भी जुड़ा है। ट्रंप का ये आदेश ऐसे वक्त आया है, जब दुनियाभर में मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग हो रही है।
क्या है ट्रंप का ऑर्डर?
व्हाइट हाउस में वापसी करने के बाद एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन करते हुए ट्रंप ने कहा, 'सजा-ए-मौत का विरोध करने वाले राजनेताओं और जजों ने हमारे देश के कानूनों की अवहेलना की है। उन्होंने हमारा देश नष्ट कर दिया है।' ट्रंप ने अटॉर्नी जनरल को सजा-ए-मौत को लेकर 'जरूरी और वैध कार्रवाई' करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी आदेश दिया है कि वो सुनिश्चित करें कि राज्यों के पास सजा-ए-मौत देने के लिए पर्याप्त घातक इंजेक्शन हों।
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सजा-ए-मौत के समर्थक हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप दोषियों को मौत की सजा देने का समर्थन करते रहे हैं। पिछले साल बाइडेन ने मौत की सजा भुगत रहे 37 कैदियों की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। अभी अमेरिका में 3 कैदी मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। ट्रंप ने बाइडेन के इस फैसले को 'मूर्खतापूरण' और 'पीड़ितों के साथ अन्याय' बताया था। तब ट्रंप ने कहा था, 'जैसे ही मैं शपथ लूंगा तो सजा-ए-मौत का पालन करने का निर्देश दूंगा। बलात्कारियों और हत्यारों को कोई माफी नहीं दी जाएगी।'
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पहले कार्यकाल में 13 को दी थी मौत की सजा
डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि बलात्कारियों और हत्यारों को किसी भी कीमत पर माफ नहीं किया जाना चाहिए। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में 13 दोषियों को सजा-ए-मौत दी थी। ट्रंप पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जिनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा कैदियों क मौत की सजा मिली थी।
अमेरिका में मौत की सजा पाए दोषियों को फांसी नहीं दी जाती। वहां ऐसे कैदियों को जहर वाला इंजेक्शन दिया जाता है। इससे उनकी मौत हो जाती है। पिछले साल जनवरी में एक दोषी को नाइट्रोजन गैस के जरिए मौत की सजा दी गई थी। उसे अपनी पत्नी की हत्या करने के जुर्म में मौत की सजा मिली थी।