डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं। सोमवार को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। शपथ लेने के बाद उन्होंने पहले भाषण में ही उनके दूसरे कार्यकाल का एजेंडा क्या रहेगा। भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा, 'आज से अमेरिका का स्वर्णिम युग शुरू हो रहा है। हमारा देश अब समृद्ध और सम्मानित होगा। मैं हमेशा अमेरिका को प्राथमिकता दूंगा।'
अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने के बाद पनामा नहर और गल्फ ऑफ मेक्सिको को लेकर फिर वही दोहराया, जो वो अब तक कहते आ रहे थे। उन्होंने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ बढ़ाने की बात भी कही है।
पनामा नहर और गल्फ ऑफ मेक्सिको पर क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा नहर को लेकर दावा किया कि इसे चीन ऑपरेट कर रहा है। उन्होंने कहा, 'हमने इसे चीन को नहीं दिया। हम इसे वापस लेंगे।' ट्रंप ने पिछले महीने भी कहा था कि पनामा नहर पर चीन का नियंत्रण हो गया है। हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति जोसे राउल मुलिनो ने कहा था कि इस नहर पर किसी का नियंत्रण नहीं है।
पनामा नहर के अलावा ट्रंप ने एक बार फिर कहा, 'जल्द ही गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका रखा जाएगा।'
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पनामा नहर पर ट्रंप का रुख
ट्रंप का आरोप है कि इस नहर के इस्तेमाल के लिए पनामा अमेरिका से बहुत ज्यादा कीमत वसूल रहा है, इसलिए उसे वापस लेना बहुत जरूरी है। ट्रंप का ये भी दावा है कि पनामा नहर पर चीन का नियंत्रण है।
क्यों अहम है पनामा नहर?: 1914 में पनामा नहर खोली गई थी। 82 किलोमीटर लंबी नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। 1977 तक इस पर अमेरिका का नियंत्रण था। बाद में पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण रहा। 1999 में इसका पूरा नियंत्रण पनामा के पास आ गया। हर साल यहां से 14 हजार जहाज गुजरते हैं। समंदर के रास्ते होने वाला 5 से 6 फीसदी कारोबार पनामा नहर से ही होता है। 170 देशों के 2 हजार से ज्यादा बंदरगाह इससे जुड़े हैं।
गल्फ ऑफ मेक्सिको पर ट्रंप का रुख
ट्रंप ने पिछले महीने कहा था कि गल्फ ऑफ मेक्सिको का नाम बदलकर गल्फ ऑफ अमेरिका कर देना चाहिए। ये कितना अच्छा नाम है। शपथ ग्रहण के बाद ट्रंप ने फिर इसी बात को दोहराया।
क्यों अहम है गल्फ ऑफ मेक्सिकोः मेक्सिको की खाड़ी को अमेरिका का तीसरा तट भी कहा जाता है, क्योंकि ये 5 अमेरिकी राज्यों से सटी हुई है। मेक्सिको की खाड़ी समुद्र से 16 से 20 लाख वर्ग किलोमीटर एरिया को कवर करती है। ये मेक्सिको, दक्षिणपूर्वी अमेरिका और क्यूबा के समुद्र तटों तक फैली है। अमेरिका के कुल कच्चे तेल का 14 फीसदी और प्राकृतिक गैस का 5 फीसदी उत्पादन इसी खाड़ी से आता है।
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क्या ट्रंप की ख्वाहिश पूरी होगी?
पनामा नहर और मेक्सिको की खाड़ी को लेकर ट्रंप की जो ख्वाहिश है, क्या वो पूरी होगी? फिलहाल तो इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। पनामा के राष्ट्रपति साफ कर चुके हैं कि नहर का हरेक मीटर उनका है और इस पर किसी दूसरे देश का कोई नियंत्रण नहीं है। ट्रंप ने ये आरोप इसलिए लगाया है क्योंकि बीते कुछ सालों में पनामा की करीबियां चीन से बढ़ी हैं। चीन की मदद से पनामा ने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। चीन को रोकने के लिए ही ट्रंप इस तरह की बात कर रहे हैं।
दूसरी बात ये कि पनामा नहर से जहाज लाने-ले जाने के लिए 15 हजार से 3 लाख डॉलर तक खर्च करना पड़ता है। ट्रंप का कहना है कि पनामा इसके लिए अमेरिका से ज्यादा कीमत वसूल रहा है। इस कारण भी पनामा को वापस लेने की बात कर रहे हैं।
जबकि, मेक्सिको की खाड़ी का नाम बदलकर अमेरिका की खाड़ी करना आसान काम नहीं है। पिछले महीने जब ट्रंप ने इसका नाम बदलने की बात कही थी तो मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने कहा था, 'हम इसे मेक्सिको-अमेरिका खाड़ी क्यों नहीं कहते? ये सुनने में अच्छा लग रहा है।'
हालांकि, इस खाड़ी का नाम बदलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मान्यता की भी जरूरत होगी। अगर ट्रंप बिना किसी का साथ एकतरफा इसका नाम बदलते हैं तो अमेरिका में तो इसका नाम बदल जाएगा। मगर बाकी देशों के लिए ये मेक्सिको की खाड़ी ही रहेगी।