भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत में मुलाकात की। इस दौरान 16 समझौतों और 4 घोषणाओं पर सहमति बनी, जो दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेंगे। भारत को रूस से निर्बाध तेल और गैस आपूर्ति का आश्वासन मिला, जो ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पुतिन की भारत यात्रा (4–5 दिसंबर 2025) के बाद चीन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए भारत-चीन-रूस त्रिपक्षीय सहयोग को ग्लोबल साउथ का अहम हिस्सा बताया और संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा है कि चीन, रूस और भारत उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं और ये वैश्विक दक्षिण के अहम सदस्य हैं।
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चीन की आधिकारिक प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ ने कहा कि बीजिंग रूस और भारत के साथ मिलकर द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने को तैयार है और भारत-चीन संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टि से मजबूत करना चाहता है। उन्होंने तीनों देशों को 'ग्लोबल साउथ' का महत्वपूर्ण हिस्सा बताते हुए क्षेत्रीय शांति और समृद्धि के लिए सहयोग पर जोर दिया।
पुतिन के बयान, जिसमें उन्होंने भारत और चीन को रूस के करीबी मित्र कहा था और दोनों के मुद्दों में हस्तक्षेप न करने की बात कही थी, जिसको चीनी मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया।
दोनों देशों के बीच बड़े विवाद
1. डोकलाम विवाद (2017)
2017 में डोकलाम, भूटान-चीन सीमा के पास। चीन ने डोकलाम में सड़क निर्माण शुरू किया, जिसे भारत ने अपने सुरक्षा हितों के कारण रोकने की कोशिश की। 73 दिनों तक दोनों सेनाएं आमने-सामने रहीं। कोई हिंसा नहीं हुई और आपसी सहमति से गतिरोध खत्म हुआ।
2. गलवान घाटी विवाद (2020)
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी (LAC के पास) में चीन ने LAC पर अपनी तैनाती बढ़ाई और भारत को गश्त करने से रोकने का प्रयास किया, जिसके बाद 15 जून 2020 को हिंसक झड़प हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि 1962 के बाद सबसे गंभीर संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि चीन को भी काफी नुकसान (38+ सैनिक माने जाते हैं) हुआ, जिससे संबंधों में गिरावट आई और LAC पर तनाव बढ़ा।
3. लद्दाख विवाद (2020-2021)
यह व्यापक मुद्दा है जिसमें गलवान के अलावा देपसांग, पांगोंग त्सो झील और कुग्रांग नदी घाटी जैसे कई सेक्टर शामिल हैं, जहां चीन ने यथास्थिति बदलने की कोशिश की। इस विवाद ने चीन के साथ भारत के रणनीतिक समीकरण बदले और LAC पर सैन्य तैनाती व बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ाया।
भारत-चीन संबंधों में बदलाव
2020 के लद्दाख तनाव के बाद सुधार की प्रक्रिया तेज हो रही है। चीन ने स्थिर और निरंतर संबंधों के लिए भारत के साथ काम करने की पेशकश की है। इसके अलावा, मोदी-पुतिन मुलाकात के बाद चीन ने भारत के लिए ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली शुरू करने का ऐलान किया, जो पर्यटन और व्यापार को आसान बनाएगा। कुल मिलाकर, पुतिन दौरे से चीन भारत के प्रति नरम रुख अपना रहा है ताकि त्रिपक्षीय साझेदारी से एशिया की स्थिरता बढ़े।
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RIC त्रिपक्षीय संबंध
भारत, चीन और रूस के बीच त्रिपक्षीय (RIC) सहयोग को पुनर्जीवित करने की पहल हाल के वर्षों में तेज हुई है, जिसमें शांति, सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता पर जोर दिया जा रहा है। प्रमुख नए क्षेत्र शामिल-
- उभरती प्रौद्योगिकियां: AI, क्वांटम कम्प्यूटिंग और क्रिटिकल मिनरल्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर फोकस।
- कनेक्टिविटी परियोजनाएं: INSTC, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर और उत्तरी समुद्री मार्ग जैसी पहलों को मजबूत करना।
- परमाणु व अंतरिक्ष सहयोग: दीर्घकालिक साझेदारी, जिसमें रूसी सुदूर पूर्व और आर्कटिक में भारतीय निवेश शामिल।
यह सहयोग BRICS और SCO जैसे मंचों से जुड़ा है, जहां तीनों देश क्षेत्रीय स्थिरता के लिए संवाद जारी रखने को तैयार हैं। रूस की अगुवाई में 2025 में RIC प्रारूप की बहाली पर चर्चा तेज है।
चीन ग्लोबल साउथ में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में लगा है जबकि अमेरिका का इस क्षेत्र में दबाव लगातार बढ़ रहा है। रूस के साथ-साथ भारत भी इस क्षेत्र का एक प्रमुख और प्रभावशाली दावेदार है, जिसे चीन अनदेखा नहीं कर सकता। यही समझते हुए चीन और भारत दोनों अपने रिश्तों को और बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। आने वाले समय में दोनों देशों की ओर से और भी कई पहल देखने को मिलेंगी, जो इस क्षेत्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।