भारत विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विदेश में लोकतंत्र पर पूछे गए सवाल पर कुछ ऐसा किया जिसने सभी को चौंका दिया। शु्क्रवार को म्युनिख में एक कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र से जुड़े एक सवाल का जवाब उन्होंने उंगली में स्याही दिखाकर इस बात के संकेत दिए कि भारत में लोकतंत्र किस तरह से पूरी तरह सुरक्षित है।
म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए एस जयशंकर शुक्रवार को यूएस के दौरे के बाद सीधे जर्मनी पहुंचे थे। इस कॉन्फ्रेंस के एक सेशन में लोकतंत्र पर चर्चा हो रही थी। इसी दौरान उनसे इस बात पर सवाल पूछा गया कि क्या 'दुनिया भर में लोकतंत्र खतरे' में है। इस सवाल के जवाब में उन्होंने काफी अलग अंदाज में जवाब दिया।
यह भी पढ़ेंः अमेरिका में अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी पर क्या बोला भारत?
जयशंकर ने इस दौरान कहा, 'मैं अपनी उंगली उठाकर शुरू करूंगा। इसे बुरा मत मानिए। यह इंडेक्स फिंगर है। यह जो निशान आप मेरे नाखून पर देख रहे हैं, यह बताता है कि मैंने अभी-अभी मतदान किया है। हमारे राज्य (दिल्ली) में अभी-अभी चुनाव हुए हैं। पिछले साल भी हमारे यहां राष्ट्रीय चुनाव हुए थे। हमारे राष्ट्रीय चुनावों में लगभग 90 करोड़ मतदाताओं में से 70 करोड़ ने वोट डाले। हम एक ही दिन में वोटों की गिनती करते हैं। नतीजे आने पर कोई विवाद नहीं होता। कहने का मतलब है कि हमारे लोकतंत्र को लेकर बेहद आशावादी हैं।'
'लोकतंत्र खतरे में नहीं है'
जयशंकर ने कहा, 'जब से हमने मतदान करना शुरू किया है, तब से लेकर अब तक हमारे वोटिंग प्रतिशत में 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसलिए मैं इस बात से असहमत हूं कि लोकतंत्र दुनियाभर में खतरे में है. मेरा मतलब है कि हम अच्छे से रह रहे हैं, हम अच्छे से मतदान कर रहे हैं।'
उन्होंने वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र के संकटग्रस्त होने के बारे में अपने अलग दृष्टिकोण को उचित ठहराया और कहा, 'चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद कोई भी उस पर विवाद नहीं करता है और वैसे, जब से हमने आधुनिक युग में मतदान करना शुरू किया है, तब से आज 20 प्रतिशत लोग दशकों पहले की तुलना में अधिक मतदान करते हैं।'
यह भी पढ़ेंः 'यह पहले भी होता रहा है' विदेश मंत्री ने संसद में विपक्ष को दिया जवाब
उन्होंने कहा,'तो, पहला संदेश यह है कि किसी तरह से लोकतंत्र वैश्विक स्तर पर संकट में है, दुनिया भर में, मुझे खेद है, मुझे इससे असहमत होना पड़ेगा। मेरा मतलब है, अभी, हम अच्छी तरह से रह रहे हैं। हम अच्छे से मतदान कर रहे हैं। हम अपने लोकतंत्र की दिशा के बारे में आशावादी हैं और जहां तक हमारी बात है लोकतंत्र वास्तव में मौजूद है।'
'ईमानदारी से बात करें'
उन्होंने अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन के इस बयान पर भी प्रतिक्रिया दी कि 'लोकतंत्र खाना उपलब्ध नहीं कराता'। जयशंकर ने कहा, 'वास्तव में, मेरी दुनिया में ऐसा होता है। आज, चूंकि हम लोकतांत्रिक हैं, हम 800 मिलियन लोगों को पोषण सहायता और भोजन देते हैं और उनके लिए यह मायने रखता है कि वे कितने स्वस्थ हैं और उनका पेट कितना भरा हुआ है।'
यह भी पढ़ेंः क्या भारत के साथ मजबूत होंगे अमेरिका के रिश्ते, क्या चल रहा?
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कुछ हिस्सों में अच्छी तरह से काम कर रहा है और कुछ हिस्सों में उतना अच्छा नहीं है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे 'इस बारे में ईमानदारी से बातचीत करें कि ऐसा क्यों नहीं है।'
लेकिन, जयशंकर ने कहा, 'मैं यह तर्क दूंगा कि यदि कोई व्यक्ति निष्पक्ष होकर देखे, जैसा कि आपका प्रश्न था, तो कुछ समस्याएं हैं, इनमें से अधिकांश वैश्वीकरण के उस मॉडल की मिली-जुली समस्याएं हैं जिसे हम पिछले 25-30 वर्षों से अनुसरण कर रहे हैं।
यह भी पढ़ेंः 'यह पहले भी होता रहा है' विदेश मंत्री ने संसद में विपक्ष को दिया जवाब