रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध थमने की जगह और भड़कता दिख रहा है। यूक्रेन ने अमेरिका से खास मिसाइल मांगी है। अगर अमेरिका यह मिसाइल जेलेंस्की को सौंप दी तो युद्ध और भड़कने के आसार हैं। रूस ने स्पष्ट शब्दों ने कहा कि मिसाइल देने का मतलब रेड लाइन होगा। डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस पर युद्ध विराम का दबाव बनाने में जुटे हैं। मगर उनको सफलता मिलती नहीं दिख रही है। वह कई बार पुतिन पर भड़क चुके हैं। अब यूक्रेन को मिसाइल देने पर ट्रंप प्रशासन गंभीरता से विचार करने में जुटा है। आइये जानते हैं कि अमेरिका की यह खास मिसाइल कौन सी है, रूस इससे चिंतित क्यों हैं और इसकी कितनी मारक क्षमता है?
यूक्रेन ने अमेरिका से टॉमहॉक मिसाइल की मांग की है। रूस इसे चिंता के तौर पर देखता है। उसका मानना है कि अगर यह मिसाइल यूक्रेन के हाथ लगी तो रूस के अंदरूनी इलाकों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। रूस ने एक बयान में कहा कि वह टॉमहॉक मिसाइलों के अनुरोध पर निगाह रख रहा है। अगस्त महीने में ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में हुई शांति वार्ता अभी तक बेनतीजा है। यूक्रेन को दी जाने वाली मदद का विरोध करने वाले ट्रंप भी अपने रुख में बदलाव ला रहे हैं। ऐसे में यूक्रेन और रूस के बीच जंग और बढ़ सकती है।
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एक इंटरव्यू में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने दावा किया कि ट्रंप ने उनसे कहा था कि यूक्रेन रूसी हमलों का जवाब ठीक वैसे ही दे सकता है, जैसा रूस उस पर हमला करता है। अगर रूस ने उसके स्कूल पर हमला किया तो यूक्रेन भी रूस के स्कूल को निशाना बना सकता है। जेलेंस्की कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। उनसे टॉमहॉक मिसाइलें देने का अनुरोध किया। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने जेलेंस्की के दावे की पुष्टि की और कहा कि अमेरिका अब टॉमहॉक मिसाइलों की आपूर्ति पर विचार कर रहा है। अंतिम निर्णय ट्रंप लेंगे।
कितनी घातक हैं टॉकहॉक मिसाइलें?
टॉमहॉक मिसाइल का निर्माण अमेरिकी कंपनी आरटीएक्स करती है। साल 1970 से अमेरिका की नौसेना टॉमहॉक्स मिसाइलों का इस्तेमाल कर रही है। यह एक क्रूज मिसाइल है और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम है। टॉमहॉक मिसाइल 1,250 से 2,500 किमी दूर स्थित टारगेट को तबाह करने की क्षमता रखती है। खास बात यह है कि इस मिसाइल को जमीन, पनडुब्बी और जहाज से भी लॉन्च किया जा सकता है। मिसाइल अपने साथ भारी विस्फोटक ले जा सकती है। बेहद कम ऊंचाई में सबसोनिक स्पीड पकड़ सकती है। इस वजह से इसे रडार में पकड़ना बेहद मुश्किल हैं। इस मिसाइल को सैन्य बंकरों को तबाह करने के लिए डिजाइन किया गया है।
टॉमहॉक मिसाइल क्यों चाहता यूक्रेन?
यूक्रेन के पास रूस के भीतर तक मार करने की क्षमता नहीं है। वह सिर्फ सीमावर्ती इलाकों पर ही हमला कर सकता है। यूक्रेन ने कई बार यूरोपीय देशों से भी लंबी दूरी की मिसाइलें मांगी। यूरोप को डर है कि अगर ऐसा किया तो रूस उन पर सीधा हमला कर सकता है। इसी डर से किसी यूरोपीय देश ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें नहीं सौंपी। अमेरिका ने यूक्रेन को मदद दी लेकिन शर्त के साथ। शर्त यह थी कि रूस क्षेत्रों पर वह अमेरिका हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। हालांकि पिछले साल नवंबर में जो बाइडेन ने अमेरिकी मिसाइलों पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया था।
टॉमहॉक मिसाइल हासिल करने के पीछे की वजह पर जेलेंस्की कहते हैं कि हमें इसकी ज़रूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसका इस्तेमाल करेंगे। अगर हम इसे हासिल कर लेते हैं तो यह पुतिन पर बैठकर बातचीत करने का दबाव बनाएगी। मगर विशेषज्ञों की राय इससे अलग है। उनका मानना है कि अगर यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइलें मिलती हैं तो यूक्रेन की हमला करने की क्षमता में भारी इजाफा होगा। वह रूस के सैन्य ठिकानों, रसद डिपो, एयरबेस और कमांड सेंटरों को तबाह कर सकेगा।
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अमेरिका की नई चाल को रूस कैसे देखता?
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने एक बयान में अमेरिका का कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की दखल से सामूहिक विनाश के हथियारों के साथ युद्ध हो सकता है। उधर, रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव का कहना है कि इन हथियारों को सौंपकर अमेरिका उस लाल रेखा को पार कर सकता है, जो मॉस्को ने पहले ही तय कर दी थी, क्योंकि वह यूक्रेन के सहयोगियों को चल रहे युद्ध में सीधे दखल के तौर पर देखता है। सवाल यह है कि इन मिसाइलों को कौन लॉन्च करेगा। यूक्रेनियन या अमेरिकी सैनिक। इन मिसाइलों का टारगेट कौन तय करेगा, अमेरिका या यूक्रेन।