अच्छी नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। अच्छी नींद लेने से आप दिन भर खुद को एक्टिव महसूस करते हैं। नींद को कई सारे फैक्टर्स प्रभावित करते हैं जिसमें हार्मोन और लाइफस्टाइल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन सबमें सबसे ज्यादा जरूरी कोर्टिसोल हार्मोन है। कोर्टिसोल हार्मोन 24 घंटे एक चक्र का पालन करता है जो जागरुकता, सतर्कता और आराम करने के समय को तय करता है। अगर ये लय लाइफस्टाइल, स्ट्रेस और स्लीप डिसॉआर्डर की वजह से खराब होता है तो इसका प्रभाव शारीरक और मानसिक दोनों चीजों पर पड़ता है।
कोर्टिसोल आपकी नींद पर डालता है असर
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोर्टिसोल, स्ट्रेस हार्मोन और नींद के बीच में एक संबंध होता है। कोर्टिसोल आपको नींद से जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोर्टिसल एक रूटीन को फॉलो करता है। सुबह 8 बजे ये अपने पीक पर होता है। इसका काम तभी शुरू हो जाता है जब आप आधी नींद में होते हैं, ये आपको नींद से उठाने का काम करता है। पूरे दिन कोर्टिसोल का लेवल कम कोता है और ये आपके शरीर को नेचुरल तरीके से नींद में लेकर जाता है।
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कोर्टिसोल के प्रोडक्शन को हापोथेलेमिक पिट्यूटरी एड्रेनल कंट्रोल करता है जो शरीर को शाम तक नींद लेने के लिए तैयार करता है। हालांकि एचपीए के स्तर में गडबड़ी होने की वजह से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) और खराब नींद की समस्या हो सकती है।
एचपीए डिसफंक्शन और इनसोमनिया - ओवर एक्टिव एचपीए (HPA) एक्सिस की वजह से इनसोमनिया का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि आपका स्लीप साइकिल खराब हो जाता है।
कोर्टिसोल ओवरलोड- नींद की कमी से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है जिसकी वजह से ना सिर्फ नींद खराब होती है बल्कि आपके सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होता है।
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कोर्टिसोल को बैलेंस करने के अपनाएं टिप्स
- सोने का एक नियमित शेड्यूल बनाए, हर दिन एक ही समय पर सोना और जगना है।
- कोर्टिसोल के स्तर को कम करने के लिए एक शांत शाम का वातावरण बनाए जैसे रोशनी कम करना और स्क्रीन से दूर रहें।
- तनाव को कम करने के लिए योगा, मेडिटेशन और गहरी सांस लें।
- सोने से पहले कैफीन और भारी भोजन करने से बचें।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों और सामान्य बातचीत पर आधारित है। खबरगांव इसकी पुष्टि नहीं करता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप अपने किसी डॉक्टर की सलाह लें।