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'हम कैद हो गए थे,' तमिलनाडु भगदड़ में बचे लोगों की आपबीती

तमिलनाडु के करूर में थलापति विजय की रैली में भगदड़ से 39 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। हादसे में 80 से ज्यादा लोग घायल हुए और कई कारणों को इसकी वजह माना जा रहा है।

Family members at a hospital

अस्पताल में परिवार के सदस्य, Photo Credit- PTI

तमिलनाडु के करूर में अभिनेता थलापति विजय की रैली में भगदड़ मचने से कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने मरने वालों की संख्या की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि मृतकों में 10 बच्चे, 17 महिलाएं और 12 पुरुष शामिल हैं। 80 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। तमिलगा वेट्री कड़गम (टीवीके) की रैली में भगदड़ मचने का कारण कई बताया जा रहा है। जैसे भीड़ में भागने के लिए रास्ता ढूंढने की होड़ लगी। करूर में हुए हादसे के बाद कई लोग सामने आए जिन्होंने अपनी आप बीती मीडिया को सुनाई। 

 

घटना के बारे में जानकारी देते हुए राज्य के चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई), सुगंती राजकुमारी ने कहा कि करूर में टीवीके की रैली के दौरान भगदड़ मचने से कुल दो मरीज अभी गंभीर हालत में हैं और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, और कम से कम 39 लोग मारे गए। निदेशक ने बताया कि शवों का पोस्टमार्टम और उनको सौंपने का काम चल रहा है। उन्होंने आगे बताया कि सरकार ने रहने के लिए, भोजन और अन्य जरूरत की चीजों की व्यवस्था कर दी हैं।

 

 

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लोगों ने मीडिया को बताया

 

रैली में मचे भगदड़ के बाद घटना में बचे लोगों ने मीडिया से वहां हुए घटना के बारे में बताया। एस रामकुमार नामक व्यक्ति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'भगदड़ जैसी स्थिति में लोगों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था क्योंकि रोड के दोनों ओर रस्सियों और होर्डिंग्स से रास्ता बंद कर दिया गया था। कुछ लोग होर्डिंग्स के गिरने से घायल हो गए। जब हम शाम 4 बजे तक कार्यक्रम वाली जगह पर पहुंचे, तो होर्डिंग्स और रस्सियां वहां नहीं थीं।'

 

बचे लोगों ने बताया कि कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हुए हजारों लोग सिर्फ लोकल ही नहीं थे, बल्कि थेनी, मदुरै और विरुधुनगर जिलों से भी थे। यह लोग अपने स्टार को करीब से देखने आए थे। उनका कहना है कि सभी ने संख्या को कम करके आंका। जो भीड़ उमड़ी, वह रैली के लिए पर्याप्त थी पर अगर यह खुले मैदान में आयोजित किया जाता। अपनी मौसी माहेश्वरी को खोने वाली अभिन्या एस ने तस्वीर दिखाते हुए कहा, 'वहां अफरा-तफरी मच गई। हम सब बिखर गए थे। कोई भी जागकर यह पता नहीं लगा पा रहा था कि हमारे परिवार वाले कहां हैं, क्योंकि दस-दस लोग हम पर लेटे हुए थे।'

 

कई लोगों का परिवार हुआ बर्बाद

अपने पति शंकर गणेश को खोने वाली एस मलिगा ने कहा, 'मैंने उनसे रैली में जाने के लिए मना किया था, लेकिन वह वहां गए। अब वह हमें बिल्कुल अकेला छोड़कर चले गए हैं।' अन्य लोगों ने कहा कि जो लोग दोपहिया वाहनों पर बैठकर रैली में शामिल होने आए थे, वे लोग भी फंस गए। जैसे ही भीड़ बाहर निकली, मानों सैलाब उमड़ पड़ा, उनके रास्ते में आने वाली हर चीज को हटा दिया गया।

 

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प्रत्यक्षदर्शी निर्मल ने कहा, 'हम एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति को बाहर नहीं निकाल पाए। उसका पैर दोपहिया वाहन में फंस गया था, लेकिन एक दो साल के बच्चे को निकाल लिया गया था। मुझे उम्मीद है कि वह जिंदा बच गया होगा।'

 

वहां जमा हुए लोगों को याद है कि कुछ लोग बेकरी की छतों पर खड़े होकर बच्चों के साथ वाली महिलाओं को बचाने की मदद कर रहे थे। हालांकि, जैसे ही छत गिरी, स्थिति और भी बदतर हो गई क्योंकि महिलाएं अपने बच्चों को ढूंढने के लिए इधर-उधर भागने लगीं।

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