पिछले महीने पश्चिम बंगाल में उर्दू के एक कार्यक्रम में जावेद अख्तर की शिरकत को लेकर बवाल अभी थमा भी नहीं था कि अब फिर से निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन और जावेद अख्तर के बीच सोशल मीडिया पर हुई बहसे ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। वास्तव में तस्लीम नसरीन ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि बंगाली संस्कृति की नींव हिंदू संस्कृति है। इस पोस्ट पर मशहूर गीतकार और कवि जावेद अख्तर ने जवाब दिया, जिससे एक दिलचस्प बहस शुरू हो गई।
तसलीमा ने एक पूजा पंडाल की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा, ‘हम बंगाली—चाहे हमने इतिहास में कोई भी धर्म या दर्शन अपनाया हो—हमारी राष्ट्रीय पहचान भारत से जुड़ी है। हिंदू, बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम और यहां तक कि नास्तिकों के पूर्वज भी अधिकतर भारतीय हिंदू थे।’ उन्होंने आगे कहा कि बंगाली मुस्लिमों की संस्कृति अरब की नहीं, बल्कि हिंदू परंपराओं में जड़ें रखने वाली बंगाली संस्कृति है।
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जावेद अख्तर ने दिया जवाब
जावेद अख्तर ने तसलीमा की बात का जवाब देते हुए गंगा-जमुनी अवध संस्कृति की तारीफ की। उन्होंने लिखा, 'हम पारंपरिक अवध के लोग बंगाली संस्कृति, भाषा और साहित्य का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन अगर कोई गंगा-जमुनी अवध संस्कृति और इसकी सुंदरता व शालीनता को नहीं समझता, तो यह पूरी तरह उसका नुकसान है।'
तसलीमा के अरब संस्कृति वाले बयान पर जावेद ने कहा कि हमारी संस्कृति का अरब से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि, उन्होंने माना कि फारसी और मध्य एशियाई संस्कृतियों का प्रभाव पड़ा है, लेकिन 'हमारी शर्तों पर।' उन्होंने यह भी कहा कि कई बंगाली उपनाम फारसी हैं।
बता दिया अंतर
जावेद ने एक और पोस्ट में लिखा कि संस्कृति को धर्म के आधार पर नहीं बांटा जा सकता। उन्होंने पूछा, 'क्या आप कह रही हैं कि गुजराती हिंदुओं और तमिल हिंदुओं की संस्कृति एक जैसी है? या लखनऊ के मुस्लिम और कोंकण के मुस्लिम की संस्कृति एक जैसी है? या नॉर्थ-ईस्ट के भारतीय ईसाई और फ्रांसीसी ईसाई की संस्कृति एक जैसी है? संस्कृति और भाषाएं क्षेत्रों से जुड़ी होती हैं, धर्मों से नहीं।'
पहले भी हुआ था विवाद
पिछले महीने भी बंगाल में जावेद अख्तर को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। दरअसल, पश्चिम बंगाल में 'हिंदी सिनेमा में उर्दू' विषय पर 31 अगस्त से 3 सितंबर के बीच एक कार्यक्रम होना था। यह कार्यक्रम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा करवाया जाना था। इस कार्यक्रम में जावेद अख्तर को शिरकत करनी थी, लेकिन कट्टरपंथी मुसलमानों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।
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बाद में ममता बनर्जी सरकार को इस पर झुकना पड़ा और राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया। बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में माना जा रहा है कि ममता बनर्जी मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहती हैं।