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चर्च के बाहर हनुमान चालीसा, सेंटा बनने पर पिटाई, कहां गई भारत की धार्मिक आजादी?

भारत में ईसाई अल्पसंख्यक हैं फिर भी क्रिसमस, देश के लगभग सभी राज्यों में धूम धाम से मनाया जाता है। अब कुछ जगहों पर इस उत्सव को रोकने की कोशिश हुई है।

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देशभर में लोग क्रिसमस का त्योहार मना रहे हैं। Photo Credit: PTI

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भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। धर्मनिरपेक्ष देश का मतलब होता है कि किसी के साथ भी धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं होता है। भारत में दीपावली भी मनाई जाती है, ईद भी, गुरुपूर्णिमा और क्रिसमस भी। हर त्योहार में बाजारों को सजाया जाता है, धूम-धाम से गलियां रोशन होती हैं, उत्सव का माहौल रहता है। 

उम्मीद यही रहती है कि हर धर्म के लोग इसमें हिस्सा लेंगे, मिलकर खुशियां मानाएंगे। तभी तो ईद की सेवइयां खरीदने वालों में हिंदू शामिल होते हैं, दीपावली के जश्न में मुसलमान। क्रिसमस और न्यू ईयर तो शायद ही कोई ऐसा वर्ग होगा, जो न मनाता हो।

धार्मिक आधार पर हिंदू, मुसलमान, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी को समानता का दर्जा है। क्या हकीकत में ऐसा हो रहा है? क्रिसमस पर देश के अलग-अलग हिस्सों से आई कुछ तस्वीरें, भारत की 'सर्व धर्म समभाव' वाली छवि को कमजोर कर रही हैं। 

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भारत में क्रिसमस पर बवाल क्यों हो रहा है?

देश के कई हिस्सों में हिंदूवादी संगठनों ने क्रिसमस को लेकर हंगामा किया है। चर्च, सामूहिक आयोजन वाली जगहों और जनसभाओं में पहुंचे हिंदू संगठनों का कहना है कि ईसा मसीह विदेशी थे, भारत सनातनी देश है, भारत में यह सब नहीं चलेगा, भारत हिंदुओं का देश है। ये तस्वीरें, लखनऊ, रांची से लेकर कोलकाता तक से सामने आ रहीं हैं। 

सत्यनिष्ठ आर्य नाम के एक शख्स ने पादरी को गाली दी और यीशू के बारे में कहा, 'भारतवर्ष में यह पैदा हुआ ही नहीं था। विदेशी क्रिश्चियन लोगों का, विदेशी भाषाओं का बाइबिल हमारे इंडिया में चलेगा नहीं। हमारा क्या है? चारों वेद हैं। मनुस्मृति है। उपनिषद है। हम कोई भी क्रिश्चियनों का बाइबिल फॉलो नहीं करेंगे।'

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भारत में क्रिसमस की धूम। Photo Credit: PTI

कहां-कहां से आ रहीं परेशान करने वाली तस्वीरें?

  • रायपुर में सांता क्लॉज की प्रतिमा तोड़ी: रायपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी है। तेलीबांधाध थाना इलाके के मैग्नोटो मॉल के बाहर क्रिसमस की तैयारियों में बाधा पहुंचाने की कोशिश की गई है। मैग्नेटो मॉल को क्रिसमस के लिए सजाया गया था। यहां बंद बुलाया गया था। सजावट तोड़ी गई, सांता क्लॉज की प्रतिमा तोड़ दी गई। प्रदर्शनकारियों ने लाठी-डंडे बरसाए। छत्तीसगढ़ पुलिस का कहना है कि अब हालात सामान्य हैं।

  • रायबरेली में चर्च के बाहर हनुमान चालीसा: उत्तर प्रदेश बरेली में चर्च के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ी गई है। वहां चर्च के बाहर कुछ हिंदूवादी लोगों ने हंगामा किया, एक तरफ वहां क्रिसमस का सेलिब्रेशन चल रहा था, दूसरी तरफ लोग हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि किसी के त्योहार में बाधा डालना हिंदुस्तानी संस्कृति नहीं थी, इसे बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है। 

  • जबलपुर में क्रिसमस पर हिंदू संगठनों का हंगामा: मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में धर्मांतरण का आरोप लगाकर धार्मिक संगठनों ने हंगामा किया है। बीजेपी की नगर उपाध्यक्ष अंजू भार्गव ने एक नेत्रहीन महिला का मुंह दबाते हुए कहा था कि अगले जन्म में तू अंधी बनेगी। हवाबाग कॉलेज के ठीक पीछे एक चर्च कैंपस है। वहां कम्युनिटी हॉल में ईसाई समाज के लोग जुटे थे। दिग्यांग और दृष्टिबाधित बच्चे वहां पहुंचे थे। हिंदू संगठनों ने वहां धावा बोल दिया, जमकर मारपीट की। विपक्ष ने इस हंगामे को लेकर सरकार को घेरा है। 

  • उत्तराखंड में क्रिसमस पर हिंदू संगठनों का हंगामा: उत्तराखंड के हरिद्वार में क्रिसमस की पूर्व संध्य पर होटल भागीरथी में एक कार्यक्रम होने वाला था। हिंदू संगठनों ने इतना विरोध किया कि कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा।

  • हरियाणा में भी हंगामा: हिसार में 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस पर बजरंग दल ने सेंट थॉमस चर्च के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने का एलान किया है। बजरंग दल ने लोगों से 25 दिसंबर को क्रांतिमान पार्क में इकट्ठा होने की अपील की है। बजरंग दल ने लोगों को हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए बुलाया है। 

  • राजस्थान में क्रिसमस को लेकर आदेश जारी: राजस्थान के स्कूलों को कहा गया है कि वे क्रिसमस के मौके पर बच्चों को सैंटा क्लॉज बनाने के लिए दबाव न डालें। श्रीगंगानगर जिले के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी करके कह दिया है कि अगर इस बारे में कोई शिकायत आती है तो कार्रवाई की जाएगी। अगर बच्चों और उनके माता-पिता की सहमति से ऐसे आयोजन होते हैं तो कोई आपत्ति नहीं है।
भारत में क्रिसमस की धूम। Photo Credit: PTI


और कहां हो रहा है हंगामा?

कर्नाटक और केरल में भी इस तरह की खबरें सामने आईं हैं। एक स्कूल में बच्चे सांता क्लॉज बनकर आए थे, उनसे हनुमान चालीसा का पाठ कराया गया। ओडिशा में फुटपाथ पर टोपियां बेच रहे एक स्ट्रीट वेंडर से एक शख्स भिड़ गया, कहा कि यहां क्रिसमस की चीजें नहीं बिकेंगे। 

ऑल इंडिया मुस्लिम त्योहार कमेटी ने भी क्रिसमस के खिलाफ नारेबाजी की। दिसंबर 2024 में भी इसी तरह की खबरें लखनऊ से आईं थीं, जब लखनऊ में क्रिसमस कार्यक्रम के बाहर हनुमान चालीसा और राधा-कृष्ण का पाठ हुआ था। अब देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी खबरें सामने आईं हैं। 

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भारत में क्रिसमस की धूम। Photo Credit: PTI

भारत में किस हाल में ईसाई?

साल 2011 में हुए जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि भारत में ईसाई लोगों की संख्या लगभग 2.8 करोड़ है, जो कुल आबादी का सिर्फ 2.3% है। इस वजह से ईसाई धर्म भारत में अल्पसंख्यक धर्म है। भारत में सबसे ज्यादा आबादी हिंदुओं की हैं। हिंदुओ की आबादी करीब 79.8 फीसदी है। मुस्लिम आबादी 14.2 फीसदी है। भारत में ईसाइयों की आमद सैकड़ों साल पहले से रहा है। दक्षिणी राज्यों में कई प्राचीन ईसाई समुदाय हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों में ईसाइयों की संख्या निर्णायक स्थिति में है। 

भारत में धार्मिक आजादी का हाल क्या है?

धार्मिक आजादी पर साल 2025 में अमेरिकी आयोग 'यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम 2025' की एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत 'कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न' के नजरिए से उन 16 देशों के लिस्ट में शामिल है,जहां धार्मिक उत्पीड़न सबसे ज्यादा होता है। भारत को नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान के साथ,चीन, रूस और ईरान जैसे देशों के साथ लिस्ट किया गया था। 

भारत में क्रिसमस की धूम। Photo Credit: PTI

वजह क्या बताई गई?

रिपोर्ट में दावा किया गया कि धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ रही है। अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं। पूजास्थलों में तोड़फोड़ हो रही है। धार्मिक आधार पर भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन अधिनियम, एंटी-कन्वर्जन लॉ, काउ स्लॉटर लॉ जैसे कानून लाए गए हैं। भारत सरकार ने इसका खंडन किया था। 

ओपन डोर वर्ल्ड वाच लिस्ट 2025 में भारत को ईसाइयों पर उत्पीड़न के लिए 11वें स्थान पर रखा गया है। इसकी मुख्य वजह हिंदू राष्ट्रवाद, एंटी कन्वर्जन कानून और हिंसा है। फ्रीडम हाउस 2025 ने भारत को भारत को 'पार्शली फ्री' रेटिंग दी। भारत पर आरोप लगाए गए कि धार्मिक आधार पर भेदभाव हो रहा है। सरकार इन आरोपों को एक सिरे से नकारती है।

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भारत में धार्मिक उत्पीड़न हो तो बचने के अधिकार क्या हैं?

भारतीय संविधान धार्मिक आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है। अनुच्छेद 26 धार्मिक संप्रदायों को संस्थाएं स्थापित करने, प्रबंधन करने और संपत्ति हासिल करने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 27 धार्मिक कर से आजाती है, अनुच्छेद 28 राज्य निधि से संचालित संस्थानों में धार्मिक शिक्षा पर प्रतिबंध लगाता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 'विधि के समक्ष समानता' से जुड़ा है, जो कहा है कि कानून की नजर में हर व्यक्ति समान है, कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यह अनुच्छेद भी धार्मिक भेदभाव पर रोक लगाता है।


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