प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में भाग लिया। इस समारोह में डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का जारी किया। पीएम मोदी ने इस समारोह में भारत माता की तस्वीर वाले सिक्के जारी किए। इस तरह के सिक्के देश में पहली बार जारी किए गए। इस कार्यक्रम के बाद सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई। कांग्रेस समेत देश की कई विपक्षी पार्टियों ने संघ समेत बीजेपी को घेरा। विपक्ष ने संस्कृति मंत्रालय के इस कार्यक्रम में RSS के जनरल सेक्रेटरी दत्तात्रेय होसबले की उपस्थिति से आपत्ति जताई है।
मंत्रालय द्वारा जारी इन सिक्कों में RSS के स्वयंसेवकों को भारत माता के सामने ध्वज प्रणाम करने की मुद्रा में दिखाया गया है। इन सिक्कों पर संघ का आदर्श वाक्य 'राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम' लिखा गया है। डाक टिकट पर 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में स्वयंसेवकों की भागीदारी को दिखाया गया है। पीएम मोदी ने इस मौके पर इतिहास के बारे में बात करते हुए कहा कि RSS ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ में विश्वास रखता है, हालांकि आजादी के बाद उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा में शामिल होने से रोका गया।
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सिक्के पर विपक्ष का हंगामा
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने RSS के आजादी के समय भाग लेने पर सवाल खड़ा किया। कांग्रेस ने कई पोस्ट कर इस बात पर जोर दिया कि RSS ने अंग्रेजों के शासन के समय आजादी की लड़ाई में कभी भाग ही नहीं लिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने RSS के बारे में बहुत कुछ कहा। क्या उन्हें पता भी है कि सरदार पटेल ने 18 जुलाई 1948 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को क्या लिखा था?'
जयराम रमेश ने सरदार पटेल का श्यामा प्रसाद को लिखे गए एक पत्र का हिस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा था, 'जहां तक आरएसएस और हिंदू महासभा का सवाल है, गांधीजी की हत्या से जुड़ा मामला कोर्ट में विचाराधीन है और मैं इन दोनों संगठनों की भागीदारी के बारे में कुछ नहीं कहना चाहूंगा, लेकिन हमारी रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि इन दोनों संस्थाओं, खासकर हिंदू महासभा, की गतिविधियों की वजह से देश में ऐसा माहौल बना जिसमें इतनी भयावह त्रासदी संभव हो सकी।'
जयराम रमेश ने हिंदुस्तान टाइम्स में छपे एक लेख का हवाला देते हुए एक और पोस्ट किया जिसमें लिखा, 'सरदार पटेल ने 19 दिसंबर 1948 को जयपुर में एक रैली को संबोधित किया और RSS पर जोरदार तरीके से बात की।'
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कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के सी वेणुगोपाल ने कहा, 'RSS के सम्मान में सिक्के और डाक टिकट जारी करना संविधान और आजादी की लड़ाई का अपमान है। ऐसे संगठन को सम्मान दिया जाना जिसने अंग्रेजो की मदद की, इतिहास के काले दिन के रूप में देखा जाना चाहिए। सरदार पटेल का संगठन पर बैन लगाने के बाद सरकार इसे कैसे सम्मानित कर सकती है? जो लोग हमारे संविधान के दोबारा लिखे जाने और डॉ. अंबेडकर के किए गए सामाजिक न्याय के एजेंडे को नष्ट करने की वकालत करते हैं, उन्हें राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में कैसे सम्मानित किया जा सकता है?'
CPI (M) का हमला
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने डाक टिकट और सिक्के के जारी होने को संविधान के लिए अपमान बताया। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, 'संविधान एक ऐसा कानून है जिसे संघ ने कभी माना ही नहीं।' माकपा ने कहा, 'भारत माता, एक हिंदू देवी की छवि है जिसे RSS ने हिंदुत्व राष्ट्र की अपनी सांप्रदायिक अवधारणा के प्रतीक के रूप में प्रचारित किया है।'
माकपा ने आगे कहा कि 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में RSS स्वयंसेवकों को दिखाने वाला डाक टिकट भी इतिहास को झूठा साबित करता है। 'यह इस झूठ पर आधारित है कि नेहरू ने भारत-चीन युद्ध के समय RSS की देशभक्ति को मान्यता देने के लिए उसे 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। अगर उनकी उपस्थिति थी भी, तो उसका प्रमाण नहीं है।'