जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के पांच दिन बाद, उनकी पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता गीतांजलि अंगमो ने भारत के राष्ट्रपति को एक पत्र भेजकर अपने पति की तुरंत रिहाई की मांग की है। सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लेह में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत पुलिस ने हिरासत में लिया था। यह कार्रवाई हिंसक प्रदर्शनों और पुलिस फायरिंग में चार लोगों की मौत के बाद हुई थी।
गीतांजलि अंगमो, जो हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, ने अपने पत्र में कहा कि उनके पति को 'बिना किसी कारण' हिरासत में लिया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि उन्हें अपने पति से न तो फोन पर बात करने दी गई और न ही उनसे मिलने की अनुमति दी गई। अंगमो ने अपने पत्र में लिखा, 'मेरे पति की गैरकानूनी हिरासत के अलावा, राज्य और उसकी एजेंसियां हमें परेशान कर रही हैं और हमारी निगरानी कर रही हैं। यह भारत के संविधान के भावना और मूल्यों का उल्लंघन है, विशेष रूप से अनुच्छेद 21 और 22, जो हर नागरिक को कानूनी प्रतिनिधित्व का मौलिक अधिकार देते हैं।'
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मांगी गई थी जानकारी
उन्होंने बताया कि 30 सितंबर को HIAL के सुरक्षा गार्ड को एक पत्र मिला, जिसमें एक FIR के साथ-साथ लद्दाख और पहाड़ी क्षेत्रों के फेलोशिप छात्रों, कर्मचारियों, शिक्षकों और प्रशिक्षुओं की पूरी जानकारी मांगी गई थी, जिसमें उनका नाम, माता-पिता का नाम, पता, नवीनतम तस्वीरें और संपर्क नंबर शामिल थे।
अंगमो ने आरोप लगाया कि सोनम वांगचुक के खिलाफ 'पूरी तरह से उत्पीड़न' की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश के लोग उनके समर्थन में एकजुट हो रहे हैं और एक शांतिपूर्ण गांधीवादी कार्यकर्ता के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से 'हैरान' हैं, जिनका राष्ट्र सेवा का शानदार रिकॉर्ड है।
अंगमो ने अपने पति के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय सेना के लिए प्रभावी आश्रय बनाए और लद्दाख के लोगों के 'राष्ट्रवाद' को हमेशा बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा, 'लद्दाख के इस सपूत के साथ ऐसा व्यवहार करना न केवल पाप है, बल्कि एकजुटता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ मजबूत सीमाओं के निर्माण के लिए एक रणनीतिक गलती है।'
देश को जोड़ने का काम किया
उन्होंने कहा कि उनके पति ने हमेशा भारत की एकता, मजबूत सीमाओं और लोकतांत्रिक तंत्र के माध्यम से देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने के लिए काम किया है, जैसे कि राज्य का दर्जा या छठी अनुसूची।
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राष्ट्रपति से सोनम वांगचुक की 'बिना शर्त रिहाई' की मांग करते हुए अंगमो ने कहा कि 'वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने देश की तो बात ही छोड़ दें।' इस पत्र की प्रतियां प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और लद्दाख के उपराज्यपाल के कार्यालय को भी भेजी गई हैं।