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देश में फ्रॉड नेटवर्क सक्रिय, किन तरीकों से बनाते हैं लोगों को शिकार?

पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि देश में कई ऐसे हॉटस्पॉट हैं, जहां से देश के अलग-अलग राज्यों में ठग साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं।

Cybercrime network India

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Sora

भारत में संगठिक साइबर अपराध नेटवर्क सक्रिय हैं। ये ठग रोजाना हजारों लोगों को अपने चंगुल में फंसाकर रुपये ऐंठने से लेकर उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं। यह संगठन भारत के अलग-अलग राज्यों के हिस्सों में सक्रिय हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, भारत के अलग-अलग हिस्सों में सक्रिय ये साइबर अपराधी यौन शोषण और ऑनलाइन ट्रेडिंग धोखाधड़ी से लेकर फर्जी नौकरी का लालच और पहचान की चोरी तक के क्राइम कर रहे हैं। 

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि ये सिस्टमैटिक सिंडिकेट बेरोजगार युवाओं, छात्रों और दिहाड़ी मजदूरों को अपने चंगुल में फंसा रहे हैं। इन्हें फंसाकर ये  सिंडिकेट उनके बैंक खातों का इस्तेमाल चोरी के पैसे को ठिकाने लगाने के लिए कर रहे हैं। 

 

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पुलिस के आंकड़ों से देश में कई ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान हुई है जो देश में साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। राजस्थान का भरतपुर और उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले सहित हरियाणा का मेवात यौन शोषण रैकेट और होटल बुकिंग घोटालों के लिए जाना जाता है। झारखंड के जामताड़ा और देवघर जिले KYC और क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉइंट धोखाधड़ी के लिए बदनाम हैं।

 

इसके अलावा राजस्थान के जोधपुर और बाड़मेर, गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों के साथ-साथ पैसों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले म्यूल खातों में फ्रॉड करने के लिए पहचाने जाते हैं।

कैसे फंसते हैं पीड़ित?

धोखेबाज ऑनलाइन ट्रेडिंग योजनाओं और फर्जी नौकरी का लालच देकर युवाओं को जल्दी पैसे कमाने का झांसा देते हैं और फिर उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेते हैं। कुछ लोग फिशिंग ईमेल, दुर्भावनापूर्ण मोबाइल ऐप्लिकेशन और 'डिजिटल अरेस्ट' घोटालों का शिकार हो जाते हैं। इनमें फोन करने वाले खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पैसे की मांग करते हैं।

 

 

डीसीपी (दक्षिण-पश्चिम) अमित गोयल ने बताया, 'सबसे ज्यादा असुरक्षित लोग 18 से 44 आयु वर्ग के युवा हैं जिन्हें ठग अक्सर निवेश धोखाधड़ी, ऑनलाइन नौकरी के प्रस्ताव, फिशिंग, एडवेयर और सोशल मीडिया धोखाधड़ी के जरिए निशाना बनाया जाता है।'

 

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रिपोर्ट में बताया गया है कि नाबालिगों युवाओ को साइबरबुलिंग और सेक्सटॉर्शन का सबसे अधिक सामना करना पड़ता है। जबकि महिलाओं को अक्सर फेक प्रोफाइल, फेक तस्वीरें और घर से काम करने के फर्जी प्रस्तावों के जरिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। पुलिस ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों को आमतौर पर 'डिजिटल अरेस्ट' बिजली बिल धोखाधड़ी के जरिए निशाना बनाया जाता है।

किन तकनीकों से करते हैं शिकार?

देश के भोलेभाले लोगों का फ्रॉड करने वाले घोटालेबाज अक्सर सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स पर हनी ट्रैप का इस्तेमाल करके पीड़ितों को वीडियो कॉल में फंसाते हैं। वह लोगों के आपत्तिजनक वीडियो-फोटो रिकॉर्ड करते हैं और इनका पैसे ऐंठने के लिए इस्तेमाल करते हैं। छद्म पहचान वाले मामलों में परेशान करने या मैसेज भेजने के लिए नकली सोशल मीडिया अकाउंट बनाए जाते हैं।

 

लगभग पैसों के सभी साइबर अपराधों में फर्जी सिम कार्ड और म्यूल खाते शामिल होते हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, 'अक्सर UPI या IMPS के ज़रिए बेरोजगार युवाओं, छात्रों, दिहाड़ी मजदूरों या जिनके खातों से छेड़छाड़ की गई है, उनके खातों में पैसे ट्रांसफर की जाती है। इन खाताधारकों को अपने खातों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के लिए पांच से दस फीसदी का कमीशन मिलता है।'

 

पैसे जमा होने के बाद पैसा पीयर-टू-पीयर एक्सचेंजों के जरिए क्रिप्टोकरेंसी, अक्सर USDT, में बदल जाता है। निशान मिटाने के लिए पैसों को छोटी-छोटी रकम में बांट दिया जाता है। एथेरियम और ट्रॉन जैसे ब्लॉकचेन में ट्रांसफर किया जाता है और दुबई, म्यांमार और कंबोडिया में सिंडिकेट द्वारा प्रबंधित डिजिटल वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

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