logo

ट्रेंडिंग:

कीपैड फोन से बचता था हैप्पी पासिया, कितनी मजबूत है प्राइवेसी और एक्सेस

क्या आप जानते है कि आतंकी हैप्पी पासिया खुद को बचाने के लिए बर्नर फोन का इस्तेमाल करता था। क्या है इसकी प्राइवेसी और कैसे हैप्पी करता था ऐसे फोन का इस्तेमाल?

Happy Pasia Burner Phone

बर्नर फोन हैप्पी पासिया, Photo Credit: ANI

पंजाब में 14 ग्रेनेड हमलों के आरोपी गैंगस्टर  हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पासिया को अमेरिका में डिटेन कर लिया गया है। इतने समय तक हैप्पी बर्नर फोन का इस्तेमाल कर ट्रैकिंग से खुद को बचाता आया है। बर्नर फोन एक साधारण फोन जैसे पुराने नोकिया या सस्ता स्मार्टफोन होता है, जिसमें प्रीपेड सिम डाली जाती है। इसे नकद खरीदा जाता है, ताकि कोई रिकॉर्ड न रहे। सस्ता, अस्थायी और गोपीयता बनाए रखने के लिए हैप्पी ऐसे ही फोन का इस्तेमाल करता था। इसका इस्तेमाल आमतौर पर प्रीपेड सिम के साथ किया जाता है और इसे आसानी से डिस्पोज भी किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल संवेदनशील बातचीत, यात्रा और ऑनलाइन गोपनीयता के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसे 'बर्नर फोन' इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे इस्तेमाल करने के बाद जला या फेंक दिया जाता है, ताकि कोई सबूत न रहे। आसान भाषा में, यह एक ऐसा फोन है जिसे आप छोटे समय के लिए यूज करते हैं और फिर नष्ट कर देते हैं, जैसे कि इसे जला दिया हो।

 

बर्नर फोन की प्राइवेसी कितनी मजबूत है?

बर्नर फोन आपको एक ऐसा नंबर देता है, जो आपके मुख्य नंबर से अलग होता है। इससे आप स्पैम कॉल्स, ऑनलाइन ट्रैकिंग, या अवांछित संपर्क से बच सकते हैं। अगर आप नकद में फोन और सिम खरीदते हैं, तो कोई ऑनलाइन ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड नहीं रहता। इसके अलावा इस्तेमाल के बाद फोन और सिम को फेंक सकते हैं, जिससे कॉल या मैसेज का रिकॉर्ड मिट जाता है। वहीं, पत्रकार, कार्यकर्ता, या गोपनीयता चाहने वाले लोग इसका इस्तेमाल सूत्रों की रक्षा या सुरक्षित संचार के लिए करते हैं।

 

यह भी पढ़ें: बच्चों को शिकार बना रही है टाइप 5 डायबिटीज, जानें लक्षण और बचाव

क्या भारत में बर्नर फोन वैलिड है?

भारत में बर्नर फोन का इस्तेमाल वैलिड है लेकिन इसके लिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है। बर्नर फोन का इस्तेमाल करने के लिए भारत में KYC अनिवार्य है। दरअसल, भारत में हर सिम कार्ड चाहे वो प्रीपेड हो या पोस्टपेड के लिए KYC अनिवार्य है। आपको सिम कार्ड खरीदने के लिए आधार, वोटर आईडी या पासपोर्ट जैसे वैलिड डॉक्युमेंट्स देने होंगे। बिना KYC के सिम खरीदना या बेचना गैरकानूनी है और इसके लिए सजा हो सकती है। 

 

ऐसे में अगर आप बर्नर फोन को वैलिड कारणों की वजह से इस्तेमाल करते हैं तो यह पूरी तरह कानूनी है। जैसे पत्रकार अपने सूत्रों की रक्षा करने के लिए ऐसे फोन का इस्तेमाल करते है लेकिन अगर इसका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों जैसे धोखाधड़ी, आतंकवाद, या आपराधिक साजिश के लिए होता है, तो यह गैरकानूनी है। आतंकी हैप्पी पासिया ने बर्नर फोन का इस्तेमाल NIA से बचने के लिए किया था।

 

यह भी पढ़ें: 'SC बनाए कानून, बंद कर दो संसद' निशिकांत दुबे गुस्से में क्यों हैं?

भारत में अनट्रेसेबल नहीं बर्नर फोन

KYC के कारण बर्नर फोन पूरी तरह अनट्रेसेबल नहीं है। इसके अलावा, फोन का IMEI नंबर, कॉल रिकॉर्ड्स, और लोकेशन डेटा पुलिस या जांच एजेंसियों द्वारा ट्रैक किया जा सकता है।

 

स्पैम से बचाव: ऑनलाइन अकाउंट्स, डेटिंग ऐप्स, या अस्थायी सेवाओं के लिए प्रीपेड नंबर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
पत्रकारिता और एक्टिविज्म: पत्रकार और कार्यकर्ता अपनी पहचान छिपाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
यात्रा: विदेशी सिम की तुलना में सस्ते प्रीपेड फोन का उपयोग रोमिंग चार्ज बचाने के लिए किया जा सकता है।
ट्रैकिंग: IMEI, कॉल डिटेल्स, और GPS के जरिए जांच एजेंसियां फोन को ट्रैक कर सकती हैं।
डेटा चोरी का जोखिम: अगर फोन को सुरक्षित नहीं रखा गया, तो उसका डेटा गलत हाथों में जा सकता है।

 

यह भी पढ़ें: 10-12 लड़कों की गैंग चलाने वाली 'लेडी डॉन' जिकरा आखिर है कौन?

हैप्पी पासिया ने बर्नर फोन का इस्तेमाल कैसे किया?

पासिया ने अमेरिका, ब्रिटेन, और अन्य देशों के फोन नंबरों का इस्तेमाल किया। ये नंबर उसके ब्रिटेन में बसे सहयोगियों द्वारा उपलब्ध कराए गए थे, जो BKI और ISI से जुड़े थे। अलग-अलग देशों के कोड वाले बर्नर फोन इस्तेमाल करके वह अपनी लोकेशन को भ्रमित करता था। उदाहरण के लिए, अगर वह भारत में होता, तो ब्रिटेन या अमेरिका का नंबर यूज करता, ताकि कॉल ट्रैकिंग मुश्किल हो। इसके अलावा विदेशी सिम्स को फर्जी दस्तावेजों या प्री-एक्टिवेटेड सिम्स के जरिए हासिल किया जाता था, जो भारत में KYC नियमों को बायपास करता था।

 

पासिया सस्ते फीचर फोन्स (जैसे नोकिया, सैमसंग के बेसिक मॉडल) खरीदता था। इन फोनों को वह कुछ कॉल्स या मैसेज के बाद फेंक देता था। वह प्रीपेड सिम्स को बार-बार बदलता था, ताकि कोई एक नंबर लंबे समय तक ट्रैक न हो। भारत में, उसने कुछ स्थानीय सिम्स का भी इस्तेमाल किया जो फर्जी KYC या तीसरे पक्ष के जरिए हासिल की गई थीं। फोन और सिम खरीदने के लिए वह कैश देता था, ताकि कोई डिजिटल रिकॉर्ड (जैसे UPI या कार्ड) न रहे।

 

आतंकी गतिविधि में किया बर्नर फोन का इस्तेमाल

पासिया ने बर्नर फोनों के जरिए पंजाब में 14-16 ग्रेनेड हमलों की साजिश रची। वह अपने गुर्गों को निर्देश देने, हथियारों की डिलीवरी, और फंडिंग के लिए इन फोनों का उपयोग करता था। इसके अलावा पासिया ने पाकिस्तान की ISI और कनाडा/ब्रिटेन में बसे खालिस्तानी समर्थकों से बर्नर फोनों के जरिए संपर्क बनाए रखा। ये संपर्क हथियार, ड्रोन, और विस्फोटकों की सप्लाई के लिए थे।

 

यह भी पढ़ें: हिंदी पर महाराष्ट्र में रार, विपक्ष को ऐतराज, NEP पर हंगामे की कहानी

पासिया के लिए बर्नर फोन क्यों जरूरी था?

वह NIA, पंजाब पुलिस, और अन्य एजेंसियों की नजर से बचना चाहता था। बर्नर फोन ने उसे अपने गुर्गों, ISI, और विदेशी सहयोगियों से गुप्त संपर्क बनाए रखने में मदद की। चंडीगढ़ और पंजाब में ग्रेनेड हमलों जैसे ऑपरेशन्स के लिए बर्नर फोन ने समन्वय आसान बनाया।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap