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पैसा, इश्क और अकेलापन, ISI भारत में कैसे बनाती है जासूस?

पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई आम लोगों के साथ-साथ सेना से जुड़े अधिकारियों को भी अपना निशाना बनाती है। वह कमजोरी को हथियार बनाकर जासूसी का जाल बिछाती है।

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आईएसआई कैसे तैयार करती है जासूस। (AI Generated Image)

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने ऑपरेशन मीर जाफर लॉन्च किया है। इसके तहत देश के अंदर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों को पकड़ा जा रहा है। केंद्रीय और राज्य एजेंसियों ने यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा समेत कई लोगों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश में 12 लोगों को जासूसी के मामलों में पकड़ा जा चुका है। उधर, जासूसी से जुड़े पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों को भारत ने तत्काल देश से बाहर निकाल दिया है। जासूसी के आरोप में गिरफ्तार लोगों पर देश की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान भेजने का आरोप है। मगर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (ISI) इन लोगों की भर्ती कैसे करती है, इन्हें जासूस कैसे बनाती है और भारत में अपने जासूसों का जाल कैसे बिछाती है? आज बात इसी की।

 

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लालच, हनीट्रैप, भय, मजबूरी और साइबर अटैक से लोगों को अपना शिकार बनाती है। एक बार जो उसके चंगुल में फंसा तो कभी बाहर नहीं निकल सका। आईएसआई सबसे पहले किसी भी व्यक्ति या कर्मचारी की कमजोरी को पहचानती है। उसके बाद इसी कमजोरी को हथियार बनाकर जासूसी के जाल में फंसाती है।

लालच

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी भारत में लालच के माध्यम से आम लोगों को अपना शिकार बनाती है। सबसे पहले कर्ज में डूबे, आर्थिक तंगी और लालची लोगों को टारगेट किया जाता है। उनसे अपने आसपास सेना से जुड़ी मूवमेंट की जानकारी मांगी जाती है। बदले में पैसा दिया जाता है। आईएसआई के एजेंट किसी स्थान विशेष की फोटो और वीडिया लाने के बदले बड़ी रकम देने का लालच देते हैं। अक्सर लोग इसी लालच का शिकार बनकर देश के खिलाफ जासूसी करने लगते हैं। 

 

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पंजाब पुलिस ने मलेरकोटला की रहने वाली 31 वर्षीय गुजाला और यामीन मोहम्मद को पकड़ा है। दोनों ने कबूल किया है कि पैसों के लालच में सेना की गतिविधियों की जानकारी पाकिस्तान उच्चायोग को भेजी थी। बदले में उन्हें यूपीआई से 10000, 20000 और 30000 रुपये मिले थे।

ड्रग तस्करों को फंसाना

पाकिस्तान अपराधिक नेटवर्क का इस्तेमाल भी जासूसी में करता है। बदले में उन्हें कई सहूलियत देने का वादा करता है। कई बार सीमा पार से इन अपराधियों को पैसा, नशीली सामग्री और हथियारों की खेप भी पहुंचाई जाती है। नशे के आदी लोगों को भी आईएसआई अपना शिकार बनाती है, क्योंकि कम पैसे में इन्हें जासूसी के लिए तैयार करना आसान है।


ऑपरेशन सिंदूर के बाद पंजाब पुलिस ने गुरदासपुर के अदियान गांव के रहने वाले सुखप्रीत सिंह और चंदू वडाला के करणबीर सिंह को पकड़ा है। दोनों पर संवेदनशील जानकारी लीक करने का आरोप है। दोनों के पास तीन मोबाइल फोन और .30 बोर के आठ कारतूस भी मिले है। गुरदासपुर के एसएसपी आदित्य के मुताबिक दोनों ड्रग तस्करी से जुड़े है। इसके माध्यम से ही वे आईएसआई के संपर्क में आए थे।

हनीट्रैप

आईएसआई भारत में सैन्य अधिकारियों को फंसाने में हनीट्रैप का सहारा लेती है। लड़कियों के नाम से सोशल मीडिया पर बने प्रोफाइल आईएसआई के एजेंट चलाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईएसआई अपनी महिला एजेंट को अश्लील कॉल और चैट करने की ट्रेनिंग भी देती है। पहले प्यार भरी बातें करके दिल जीता जाता है और बाद में देश की संवेदनशील जानकारी मांगी जाती है। साल 2014 में हैदराबाद में सेना के एक सूबेदार को पकड़ा गया था। जांच में सामने आया था कि उसने अनुष्का अग्रवाल नाम की एक महिला को 10 लाख रुपये में सेना की आवाजाही, ठिकानों, उन्नत हथियारों और तोपखाना केंद्रों की जानकारी भेजी थी। अनुष्का बदले में अर्ध नग्न तस्वीरें भेजती थी। 


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अकेलापन और इश्क भी हथियार

साल 2010 में इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में तैनात माधुरी गुप्ता को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आईएसआई के एजेंट ने उनके अकेलेपन को हथियार बनाया था। माधुरी गुप्ता को जमशेद उर्फ जिम नाम के 30 साल के युवक ने अपने प्यार के जाल में फंसाया था। बहकावे में आने के बाद भारतीय अधिकारी माधुरी गुप्ता संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को सौंपने लगी। माधुरी ने जमशेद से शादी करने, इस्लाम अपनाने और इस्तांबुल जाने की इच्छा जताई थी। साल 2021 में 64 वर्ष की उम्र में माधुरी की मौत हो गई।

साइबर अटैक

आईएसआई साइबर अटैक से भी लोगों को जासूसी के जाल में फंसाती है। आईएसआई के एजेंटों ने फेसबुक पर 'सेजल कपूर' के नाम से फर्जी अकाउंट बनाया। 2015 से 2018 तक 98 से ज्यादा अधिकारियों को सिस्टम को साइबर हमले से हैक करने में सफलता हासिल की। सेजल ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल में यूके की हेज एविएशन की कर्मचारी बता रखा था। उसने अधिकारियों को चैट और फोटो भेजने का साझा दिया और एक खास एप इंस्टॉल करने को कहा। मगर इस एप में मैलवेयर था। इसके माध्यम से उसने अधिकारियों के सिस्टम को हैक किया और संवेदनशील जानकारी निकाली। ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े इंजीनियर निशांत अग्रवाल को भी सेजल ने ही अपना शिकार बनाया था। 

 

 

 

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