क्या है बैराबी-सैरांग प्रोजेक्ट, नॉर्थ ईस्ट की सूरत कैसे बदल रही?
देश
• NEW DELHI 04 Sept 2025, (अपडेटेड 04 Sept 2025, 9:30 PM IST)
मिजोरम की राजधानी जल्द ही रेलवे नक्शे का हिस्सा होगी। असम से आइजोल तक ट्रेन सरपट दौड़ लगाएगी। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है।

बैराबी-सैरांग प्रोजेक्ट। ( Photo Credit: X/RailMinIndia)
2030 तक पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने का प्लान है। अभी तक सिर्फ असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी इस सूची का हिस्सा हैं। जल्द ही आइजोल रेल नेटवर्क में शामिल होने वाली पूर्वोत्तर की चौथी राजधानी बनने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के दूसरे सप्ताह में बैराबी-सैरांग ब्रॉड गेज लाइन का उद्घाटन करेंगे। 5021 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की जा रही 51.38 किमी लंबी यह लाइन न केवल मिजोरम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर राज्यों के विकास में अहम कड़ी साबित होगी। आज मिजोरम की इस परियोजना के अलावा पूर्वोत्तर के उन अहम प्रोजेक्ट के बारे में जानेंगे, जिनसे क्षेत्र की तस्वीर बदल जाएगी।
मिजोरम की राजधानी आइजोल को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली बैराबी-सैरांग ब्रॉड गेज लाइन प्रोजेक्ट को सबसे पहले 2008-09 में हरी झंडी दी गई थी। यह रेल लाइन सैंराग में समाप्त होगी। यहां से आइजोल सिर्फ 20 किमी की दूरी पर है। भोधापुर जक्शन के माध्यम से यह प्रोजेक्ट असम के सिलचर को जोड़ेगा। इसके साथ ही मिजोरम का यह हिस्सा देश के अन्य हिस्सों के अलावा असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश जाएगा। पीएम मोदी ने 29 नवंबर 2014 को प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी।
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पीएम मोदी ने 27 मई 2016 को सिलचर और बैराबी के बीच पहली यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। अब यही रेल लाइन बैराबी से सैरांग तक जाएगी। अभी मिजोरम में सिर्फ 1.5 किमी का रेल ट्रैक बैराबी के पास पड़ता है। मगर नई परियोजना के शुरू होने से इसकी लंबाई लगभग 53 किमी तक हो जाएगी।
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— Ministry of Railways (@RailMinIndia) September 3, 2025
Standing tall at 114 metres, Bridge No. 144 on the Bairabi–Sairang Rail line, Mizoram, surpasses the Qutub Minar by 42 metres. pic.twitter.com/UfyDMOjN8G
प्रोजेक्ट में कुल 48 सुरंगें
बैराबी-सैरांग रेल लाइन पर इसी साल 1 मई को ट्रेनों का सफल परीक्षण किया गया। यह परियोजना इजीनियरिंग के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण थी। पहाड़ों के बीच विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों में तैयार यह प्रोजेक्ट आज इंजीनियरिंग मार्बल है। इसमें कुल 48 सुरंगें हैं। इनकी कुल लंबाई 12.85 किलोमीटर है। सबसे बड़ी सुरंग की लंबाई 1.37 किमी है।
कुल 55 बड़े पुल हैं। अगर छोटे पुलों की बात करें तो इनकी संख्या 87 है। इसके अलावा पांच सड़क ओवरब्रिज और छह अंडरब्रिज का निर्माण किया गया है। सबसे लंबा पुलिस 1.7 किमी का है। सैरांग के पास स्थित क्रुंग पुल सबसे ऊंचा है। बेस से इसकी उंचाई 114 मीटर है और यह कुतुब मीनार को भी पीछे छोड़ चुका है।
बैराबी-सैरांग प्रोजेक्ट से क्या फायदा होगा?
परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में रेल यात्रा किफायती होती है। मिजोरम के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा। अभी सड़क मार्ग से सिलचर जाने में 10 घंटे का समय लगता है। मगर रेललाइन के शुरू होने से यह दूरी सिर्फ 3 घंटे में कवर हो जाएगी। मिजोरम में जरूरत की सामान को सिलचर से लाना पड़ता है। रेल लाइन बनने से सामान तुरंत पहुंच सकेगा। इसके अलावा प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। किसी आपात स्थिति या आपदा में राहत एवं बचाव टीमें जल्दी पहुंच सकेंगी। लॉजिस्टिक गतिविधियां बढ़ने से न केवल मिजोरम, बल्कि असम, अरुणाचल प्रदेश समेत पूरे पूर्वोत्तर को इसका लाभ मिलेगा। दुर्गम रास्तों पर लोगों की निर्भरता भी कम होगी।
यह राजधानियां भी रेलवे से जुड़ीं
ईटानगर प्रोजेक्ट: अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर हरमुती- नाहरलागुन ब्रॉड गेज लाइन से 2014 में रेलवे के नेटवर्क से जुड़ चुकी है। इस प्रोजेक्ट से पहले रेलवे का अरुणाचल प्रदेश में सिर्फ 1.26 किमी लंबा हिस्सा ही पड़ता था। 1997 में हरमुती से ईटानगर तक एक नई परियोजना का सर्वे किया गया। 2006 में प्रदेश सरकार से हरी झंडी मिली। प्रोजेक्ट की शुरुआत असम के हरमुती से होती है। इसके बाद इसका लगभग 6 किमी लंबा हिस्सा लखीमपुर जिले में पड़ता है। प्रोजेक्ट पर लगभग 406 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें 11 बड़े और 46 छोटे पुल हैं। 20 फरवरी 2015 को पहली बार नाहरलागुन (ईटानगर) से नई दिल्ली तक ट्रेन शुरू की गई।
अगरतला प्रोजेक्ट: त्रिपुरा की राजधानी अगरतला भी रेल नेटवर्क से जुडी है। पहली बार ब्रॉड गेज ट्रेन का परीक्षण 13 जनवरी 2016 को हुआ। इसके बाद 31 जुलाई 2016 को दिल्ली के लिए पहली ब्रॉड गेज यात्री ट्रेन चालू की गई। असम की राजधानी दिसपुर भी रेलवे से जुड़ी है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन गुवाहटी है।
इन प्रोजेक्ट पर चल रहा काम
- मणिपुर: जिरीबाम से इंफाल तक ब्रॉड गेज लाइन प्रोजेक्ट को 2003-04 में हरी झंडी मिली। परियोजना की कुल लंबाई 110.62 किमी है। इसकी अनुमानित कीमत 13,809 करोड़ रुपये है। जिरीबाम से वांगाईचुंगपाओ तक 12 किमी का सेक्शन मार्च 2017 से चालू है।
- नागालैंड: साल 2030 तक नागालैंड की राजधानी कोहिमा भी रेलवे के नक्शे में शामिल होगी। दीमापुर से जुब्जा तक तक 82.50 किमी लंबे रेल प्रोजेक्ट को 2006-07 में मंजूरी मिली थी। मगर 2018 से कार्य में तेजी है। अभी परियोजना की अनुमानित लागत 3,000 करोड़ रुपये है। प्रोजेक्ट के पूरा होते ही कोहिमा भी रेलवे से जुड़ जाएगा।
- मेघालय: राजधानी शिलांग को नई रेल लाइन से जोड़ा जाएगा। इसके तहत दो प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिली है। सबसे पहले 2006-07 में तेतेलिया से बर्नीहाट तक 21.50 किमी लंबाई लाइन को स्वीकृति मिली। 2014 के बाद प्रोजेक्ट के काम में तेजी आई। असम में तेतेलिया से कमलाजारी तक 10 किलोमीटर तक काम पूरा हो चुका है। प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1,532 करोड़ है। मगर मेघालय में स्थानीय स्तर पर इसका विरोध हो रहा है। दूसरी लाइन बर्नीहाट से शिलांग तक बिछाई जा रही है। इसकी कुल लंबाई 108.40 किलोमीटर। इसकी अनुमानित लागत 6,000 करोड़ है।
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निर्धारत समय से लेट हैं कई प्रोजेक्ट
रेलवे के मुताबिक 2014 से 2022 के बीच कुल 893.82 किलोमीटर ट्रैक को ब्रॉड गेज में बदला गया। लगभग 386.84 किलोमीटर लंबी नई लाइन का निर्माण किया गया। 356.41 किमी लंबी लाइन का दोहरीकरण किया गया। रेलवे ने 2023 तक पूर्वोत्तर राज्यों की सभी राजधानियों को 2023 तक अपने नेटवर्क से जोड़ने की बात कही थी। मगर कई परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। 2020 में रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष वीके यादव ने कहा था' 'मेघालय और मणिपुर की राजधानी को मार्च 2022, मिजोरम और नागालैंड को मार्च 2023 और सिक्किम को दिसंबर 2022 तक जोड़ दिया जाएगा।' मगर सच यह है कि अभी तक इनमें से अधिकांश प्रोजेक्ट लेट हैं। सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी राज्य रेल नेटवर्क से जुड़े हैं। मगर असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ही रेलवे से जुड़ी हैं।
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