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सामान की तरह पहुंचाए जाते हैं इंसान, समझिए कैसे होती है कबूतरबाजी

BJP नेता और केंद्र सरकार में मंत्री रवनीत बिट्टू ने कहा है कि एक समय पर भगवंत मान भी कबूतरबाजी में शामिल हुआ करते थे। आइए इस कबूतरबाजी के बारे में जानते हैं।

indian people deported from US

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय, Photo Credit: PTI

केंद्र सरकार में मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दूसरे देशों से भारतीयों को निकालने की घटनाओं और इन लोगों को विदेश भेजने के अवैध तरीकों की चर्चा के बीच रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा है कि जब भगवंत मान कॉमेडियन हुआ करते थे तब वह भी कबूतरबाजी में शामिल थे। इससे पहले से ही आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीत जुबानी जंग जारी है। अब इस जुबानी जंग में कबूतरबाजी का भी जिक्र आ गया है। कबूतरबाजी के अलावा डंकी रूट पहले से ही खूब चर्चा में है। ये ऐसे तरीके हैं जिनके जरिए हजारों लोग हर साल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अवैध तरीके से घुसते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर के कई देशों में अवैध प्रवासियों की समस्या बेहद गंभीर हो गई है। अब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अवैध रूप से रह रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

 

दरअसल, पंजाब के सीएम भगवंत मान ने सवाल उठाए थे कि जब अमेरिका से डिपोर्ट किए जा रहे लोगों में दूसरे राज्यों के लोग भी हैं तो सारी फ्लाइट पंजाब में ही क्यों लैंड कराई जा रही हैं। भगवंत मान और उनकी आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा था कि यह जानबूझकर किया जा रहा है और इसके जरिए पंजाब को बदनाम करने की साजिश हो रही है। इस पर जवाब देते हुए रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, 'इससे फर्क नहीं पड़ता कि फ्लाइट कहां लैंड हो रही है। इससे पहले भी 200 से 300 लोग हर महीने अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड कर रहे थे। दिल्ली चुनाव में AAP की हार के बाद भगवंत मान बेवजह के मुद्दे को तूल देने की कोशिश कर रही है।'

 

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रवनीत सिंह बिट्टू ने क्या कहा?

 

बीजेपी नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा, 'जब भगवंत मान कॉमेडियन हुआ करते थे, तब वह और उनके एक गायक साथी अपने साथ 15-20 लोगों को अपनी टीम में ले जाते थे। इन लोगों को म्यूजीशियन और कलाकारों के रूप में ले जाते थे और कुछ लोगों को वहीं छोड़ देते थे। उस टाइम उसको कबूतरबाजी कहा जाता था।' आपको यह भी बता दें कि पूर्व में कई ऐसे कलाकार हुए हैं जिन पर इस तरह के आरोप भी लगे हैं। कलाकारों के अलावा भी कई अन्य लोग इस तरह के मामलों में शामिल पाए गए हैं।


क्या है कबूतरबाजी?

 

हजारों साल पहले दुनिया के कई देशों में लोग कबूतर पालते थे। बगदाद, ईरान, तुर्की और बाद में भारत के मुगल शासनकाल में भी कबूतर पालने का रिवाज रहा। कबूतरों को सिखाने और उन्हें उड़ाने के गुर भी सीखे-सिखाए जाते थे। इन कबूतरों के उस्ताद हुआ करते थे जिनके इशारों पर ये कबूतर उड़ जाते थे और लौट भी आते हैं। पुरानी दिल्ली समेत कई इलाकों में अब भी कबूतर पाले जाते हैं और आज भी कबूतरों को तैयार करने वाले ऐसे 'उस्ताद' आपको मिल जाएंगे।

 

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हालांकि, हम जिस कबूतरबाजी की बात कर रहे हैं, वह इससे अलग है। आमतौर पर अगर आप किसी देश जाना चाहें तो वहां का वीजा चाहिए होता है। अवैध प्रवासियों की समस्या से परेशान देश बेहद सख्ती से वीजा अप्लीकेशन की स्क्रूटनी करते हैं, ऐसे में विदेश जाने की ख्वाहिश पालने वालों को समस्या होती है। अवैध तरीके से दूसरे देश जाने वाले लोग डंकी रूट का इस्तेमाल करते हैं। दूसरा तरीका कबूतरबाजी का है। इसमें होता यह है कि ऐसे लोगों की मदद ली जाती है जो बड़े ग्रुप में दूसरे देश जाते हैं। बड़े ग्रुप में ज्यादातर गायक, कॉमेडियन या अन्य स्टेज शो करने वाले कलाकार जाते हैं। इन लोगों के साथ ही कुछ ऐसे लोगों को भेज दिया जाता है। शो खत्म होने के बाद इन्हें लौट आना चाहिए लेकिन ये वहीं चोरी-छिपे रहने लगते हैं। इसी प्रक्रिया को कबूतरबाजी कहा जाता है।

 

ऐसे कई गिरोह काम करते हैं जो पैसे लेकर दस्तावेज तैयार करते हैं, ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जिनके साथ लोगों को भेजा जा सके। इसके बदले में मोटी रकम ली जाती है। यह रकम गिरोह से जुड़े लोगों और उन लोगों को भी दी जाती है जो इस तरह से लोगों को पहुंचाते हैं। दलेर मेहंदी और उनके भाई पर इसी तरह के आरोप लगे थे कि वह पैसे लेकर लोगों को अवैध रूप से विदेश ले जाते थे और उन्हें वहीं छोड़ देते थे।

कैसे चलता है रैकेट?

 

देश के कई राज्यों में लोग विदेश भेजने वाला रैकेट चलाते हैं। पढ़ाई-लिखाई और नौकरी के नाम पर विदेश भेजने का रैकेट चलाने वाले ये लोग अक्सर लोगों को चूना लगाते हैं। कई बार लोगों से ठगी के मामले भी सामने आते रहे हैं। मौजूदा समय में अमेरिका से डिपोर्ट किए जा रहे लोग भी ऐसे ही रैकेट का शिकार हुए हैं। हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में हर साल सैकड़ों-हजारों लोग गिरफ्तार भी किए जाते हैं जो लोगों को विदेश भेजने के नाम पर ठगी करते हैं। 

 

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कबूतरबाजी के जरिए लोगों को भेजने के लिए ये गिरोह 'कैरियर' की मदद लेते हैं। ये कैरियर ही विदेश जाने वाले लोगों को अपने साथ ले जाते हैं। तय देश में पहुंचने के बाद वह शख्स कहां जाएगा, क्या करेगा, यह उसकी खुद की जिम्मेदारी होती है। इसके लिए एक शख्स से 10 से 30 लाख रुपये तक ले लिए जाते हैं। कुछ पैसे भारत में ही ले लिए जाते हैं और कुछ वहां पहुंचने के बाद।

 

इस पूरे प्रोसेस में जाने वाले शख्स के पैन कार्ड, पासपोर्ट, आईटी रिटर्न जैसे कागज असली ही होते हैं। आमतौर पर यूरोपीय देशों में जाने वाले युवाओं पर वहां के इमिग्रेशन विभाग को शक हो सकता है इसीलिए कैरियर काम आते हैं। उदाहरण के लिए, किसी मशहूर शख्सियत के साथ इन लोगों को उनके सहायक, नौकर या अन्य स्टाफ के रूप में भेज दिया जाता है। इस तरह की सर्विस ज्यादातर ऐसे लोग लेते हैं जिन्हें हर हाल में विदेश जाना होता है और उन्हें वीजा मिलने में दिक्कत होती है। उदाहरण के लिए, रिटायर्ड अधिकारी, पुराने खिलाड़ी और बी-ग्रेड कलाकार।

 

रैकेट चलाने वाले लोग दूसरे देशों में होने वाले इवेंट्स, म्यूजिक प्रोग्राम आदि की पूरी जानकारी रखते हैं। वे यह भी पता करते हैं कि कौन-कौन लोग वहां खेलने या परफॉर्म करने जा रहे हैं। फिर परफॉर्म करने जा रहे लोगों को मोटी रकम का लालच दिया जाता है। उदाहरण के लिए- अगर किसी कॉन्सर्ट में कोई म्यूजिक बैंड जा रहा हो तो उसके साथ दो-तीन लोग भेजे जा सकते हैं। इन दो-तीन लोगों को ले जाने के लिए उस बैंड के लोगों को मोटी रकम का लालच दिया जाता है। बैंड के तैयार हो जाने पर उन लोगों को उसी बैंड में शामिल कर दिया जाता है। वहां पहुंचने के बाद ये लोग बैंड से अलग हो जाते हैं और बैंड अपने मूल साथियों के साथ लौट आता है। ऐसे केस में वीजा ऐप्लिकेशन रिजेक्ट होने के चांस कम रहते हैं इसलिए ऐसे रैकेट चलाने वाले लोग इस तरह के तरीकों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसके लिए इमिग्रेशन डेस्क पर काम करने वाले लोगों तक को रिश्वत दी जाती है।


दलेर मेहंदी को हुई थी सजा?

 

दलेर मेहंदी मशहूर गायक हैं। वह दुनियाभर के तमाम देशों में शो करते रहे हैं। 19 सितंबर 2003 को उनके खिलाफ कबूतरबाजी के आरोप में एक केस दर्ज हुआ था। जुलाई 2022 में उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। कुछ समय तक वह जेल में भी रहे लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। 2022 में सुनाए गए पटियाला कोर्ट के फैसले के पहले 2018 में भी उन्हें सजा सुनाई गई थी जिसे पटियाला कोर्ट ने बरकरार रखा था।

 

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दरअसल, दलेर मेहंदी को तब आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 120-बी (साजिश रचना) के तहत दोषी पाया गया था। 2003 में बख्शीश सिंह नाम के शख्स ने पटियाला कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी कि दलेर मेहंदी और उनके भाई शमशेर सिंह ने उनको बख्शीश को कनाडा भेजने के नाम पर 13 लाख रुपये ले लिए लेकिन न तो कनाडा पहुंचा पाए और न ही पैसे वापस किए। बख्शीश सिंह के अलावा 30 अन्य शिकायकर्ताओं ने भी दलेर मेहंदी पर ऐसे ही आरोप लगाए। धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाए जाने के बाद दलेर मेहंदी को सजा हुई थी। उन पर यह आरोप भी था कि वह अपने भाई शमशेर सिंह के साथ मिलकर एक अवैध इमिग्रेशन ग्रुप भी चलाते थे और पैसे लेकर लोगों को विदेश ले जाते थे। 

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