मेरठ के जघन्य हत्याकांड में एक नई खबर आ रही है कि मुस्कान रस्तोगी प्रेग्नेंट है। हुआ क्या कि दो दिन पहले मेरठ जेल में मुस्कान की अचानक से तबीयत खराब हो गई। डॉक्टर को बुलाया गया, जांच कराई गई तो थोड़े बहुत प्रेग्नेंसी से सिम्पट्मस् दिखाई दिए इसके बाद चेकअप के लिए लेडी डॉक्टर को बुलाया गया। मुस्कान को लगातार उल्टियां हो रही थीं। विस्तृत जांच से पता चला कि मुस्कान प्रेग्नेंट है।
ऐसे में एक सवाल सबसे बड़ा यह है कि आखिर जेल में मुस्कान के साथ अब कैसे बर्ताव किया जाएगा, क्योंकि जेल में बंद किसी महिला के लिए जेल मैन्युअल के हिसाब से अलग नियम कानून होते हैं। आम नागिरकों की तरह के नियम कानून उसके ऊपर लागू नहीं होते। कारण है कि महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के ऊपर विपरीत असर न पड़े।
तो खबरगांव आपको बता रहा है कि गर्भवती महिलाओं के साथ जेल में कैसा व्यवहार किया जाता है और उनको किस तरह की छूट या सुविधाएं दी जाती हैं।
यह भी पढ़ेंः पति सौरभ की हत्या की आरोपी मुस्कान है प्रेग्नेंट, CMO ने किया कंफर्म
अस्पताल में होगी डिलीवरी
जेल में बंद किसी महिला के गर्भवती पाए जाने पर नेशनल मॉडल जेल मैनुअल का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। इसके मुताबिक महिला की डिलीवरी जेल के बाहर अस्पताल में करानी होती है। अगर कोई महिला छोटे-मोटे अपराध में अंदर आई है तो उसकी सजा के निलंबन पर भी विचार किया जा सकता है।
इसके अलावा जिस कोर्ट ने महिला को हिरासत में लेने का आदेश दिया गया है उसे भी सूचित करना होता है ताकि कोर्ट को यदि उचित लगे तो वह उसे जमानत पर रिहा कर सके या फिर अपने फैसले में यथोचित संशोधन कर सके।
बच्चे का जन्म स्थान जेल नहीं
इसके अलावा जेल में अगर किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके जन्म प्रमाण पत्र में कभी भी उसके जन्म स्थान के रूप में जेल नहीं लिखा जाएगा ताकि उसे बाद में किसी भी तरह से सामाजिक रूप से किसी भेदभाव का सामना न करना पड़े।
प्रेग्नेंट और दूध पिलाने वाली महिलाओं को राष्ट्रीय जेल मैनुअल के अनुसार स्पेशल डायट दिया जाता है ताकि बच्चे की बेहतर देखभाल हो सके। डिलीवरी के बाद भी बच्चे के एक साल की उम्र तक महिला को अलग से रहने का स्थान दिया जाना चाहिए ताकि महिला और उसके बच्चे को किसी भी तरह के संक्रमण से बचाया जा सके।
गंभीर दंड नहीं दिया जाएगा
इसके अलावा, प्रेग्नेंट या दूध पिलाने वाली महिलाओं के साथ गंभीर दंडात्मक प्रक्रिया नहीं अपनाई जाएगी। प्रेग्नेंट और दूध पिलाने वाली महिलाओं को योग्य डॉक्टर के द्वारा समय समय पर स्वास्थ्य चेकअप और स्वास्थ्य सलाह का भी अधिकार है। बच्चों को दूध पिलाने के मामले में किसी भी प्रकार की असुविधा या बाधा नहीं होनी चाहिए।
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद या गर्भपात अथवा मिसकैरिएज की स्थिति में अच्छे डॉक्टर की सलाह और इलाज का भी प्रावधान किया गया है।
यह भी पढ़ें: मेरठ केस: साथ रहने और नशे की मांग, जेल में कैसे हैं मुस्कान और साहिल
फ्री प्रेग्नेंसी किट की सुविधा
महिला कैदियों को उनकी जरूरत के हिसाब से यूरीन प्रेग्नेंसी टेस्ट किट भी मुफ्त में दिए जाना चाहिए। अगर किसी भी स्थिति में ऐसा लगता है कि कानून के अंतर्गत रहते हुए गर्भपात करवाना पड़ेगा तो इसके लिए महिला को सभी तरह से इलाज और डॉक्टर की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
काम करने का विकल्प
गर्भवती महिलाओं को उनकी प्रेग्नेंसी के दौरान और उसके बाद के चरण में उन्हें काम करने का विकल्प दिया जाना चाहिए, अगर वे करना चाहें तो, लेकिन उनका काम उनके स्वास्थ्य की स्थितियों के अनुकूल ही होना चाहिए। मां और बच्चे का यदि आधार कार्ड नहीं है तो उसे बनवाया जाना चाहिए ताकि वे अन्य सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सकें।