यमुना नहीं डेटा 'साफ' कर दे रही दिल्ली सरकार? 2 दिन में आई थी नई रिपोर्ट
यमुना में प्रदूषण का मुद्दा फिर से चर्चा में है। इस बार रोचक बात यह है कि DPCC ने पिछले दो महीने से यमुना के प्रदूषण से जुड़ा डेटा ही जारी नहीं किया है।

अभी भी साफ नहीं हुआ यमुना का पानी, Photo Credit: Khabargaon
दिल्ली में यमुना का प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है। हर साल यमुना नदी में पानी कम होते ही झाग दिखने लगती है और कई बार पानी से बदबू भी आने लगती है। आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार से लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार तक यमुना की सफाई को लेकर हजारों करोड़ रुपये खर्च हुए लेकिन अभी भी दिल्ली में यमुना का पानी साफ नहीं हुआ है। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल वादा करते रहे कि वह यमुना में डुबकी जरूर लगाएंगे लेकिन उनका यह वादा पूरा नहीं हुआ। जोरशोर से यमुना का सफाई अभियान शुरू करने वाली दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार भी अब संभवत: इस मामले पर टालमटोल के मूड में आ गई है। इसकी वजह यह है कि दिल्ली सरकार की ओर से अक्तूबर के बाद से यमुना में प्रदूषण के स्तर, नालों में बहने वाले पानी में प्रदूषण की मात्रा और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़ा डेटा ही जारी नहीं किया जा रहा है।
इसी मामले को लेकर अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी रेखा गुप्ता सरकार से सवाल पूछना शुरू कर दिया है। एक रोचक बात यह भी है कि जब आखिरी बार अक्तूबर में दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) ने रिपोर्ट जारी की थी तो 3 दिन के अंदर ही इस रिपोर्ट को बदला गया और बाद में जो रिपोर्ट आई उसमें यह दिखाया गया कि यमुना का पानी अपेक्षाकृत साफ हो गया है। उसके बाद से नवंबर और दिसंबर महीने की कोई रिपोर्ट ही नहीं जारी की गई जबकि साल 2019 में नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने हर महीने एक रिपोर्ट जारी करना अनिवार्य कर दिया था।
यह भी पढ़ें- जेल गए, केस चला और मिल गई जमानत, नेताओं के केस का अपडेट क्या है?
एक साल में क्या बदला?
DPCC की वेबसाइट पर आखिरी रिपोर्ट अक्तूबर 2025 की है। हमने अक्तूबर 2024 और अक्तूबर 2025 की रिपोर्ट की तुलना करके यह समझने की कोशिश की है कि एक साल में यमुना का पानी कितना साफ हुआ। हालांकि, यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि अक्तूबर 2025 के लिए DPCC ने दो रिपोर्ट जारी की थी। आमतौर पर एक महीने में एक ही रिपोर्ट जारी की जाती है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए DPCC से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हमने इस संबंध में DPCC को एक ईमेल भी भेजा है, जवाब मिलने पर खबर अपटेड की जाएगी।
अक्तूबर 2024 में ओखला बैराज पर यमुना के पानी का pH 7.38 था जो कि मानक के मुताबिक ठीक है। अक्तूबर 2025 वाली रिपोर्ट में pH 7.1 था, यह भी मानक के मुताबिक सही है। डिजॉल्व्ड ऑक्सीजन यानी पानी में ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्रीम या उससे ज्यादा होनी चाहिए। 28 अक्तूबर 2024 को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में प्रवेश करते समय यानी पल्ला में यमुना में DO का स्तर 7.1 था यानी पानी मानक के हिसाब से सही था लेकिन ओखला बैराज पहुंचते-पहुंचते यह 1.1 हो गया। तब फीकल कॉलीफॉर्म यानी पानी में मल वाले बैक्टीरिया की मात्रा पिछले साल 2.2 लाख/100 मिली लीटर से ज्यादा थी जबकि इसकी अधिकतम मात्रा 2500 से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। यानी पिछले साल अक्तूबर में यमुना का पानी न तो पीने लायक था और ना ही नहाने के लायक।
यह भी पढ़ें-- 15 के जन आहार से 5 रुपये वाली अटल कैंटीन तक, क्यों खिलाना पड़ता है सस्ता खाना?
अब इस साल 23 अक्तूबर वाली रिपोर्ट की बात करते हैं। इस रिपोर्ट के लिए 9 अक्तूबर 2025 को सैंपल लिए गए। तब पल्ला में DO का स्तर 7.6 यानी मानक के हिसाब से ठीक था। वजीराबाद में यह 4.7 हुआ और ओखला बैराज पर 1.2 यानी मानक से काफी कम हो गया। इतने DO वाले पानी में जलीय जंतु जिंदा नहीं रह सकते। असगरपुर में यह मात्रा शून्य हो गई। इसी तरह फीकल कॉलीफॉर्म पल्ला में 800 था यानी दिल्ली तक आया पानी काफी हद तक साफ था। ISBT तक पहुंचते-पहुंचते यह मात्रा 21 हजार हुई, ओखला बैराज पर 3500 हुई और असगरपुर में 11000 हो गई। यानी पिछले साल की तुलना में पानी थोड़ा बहुत साफ हुआ लेकिन अभी भी यह पानी न तो नहाने लायक हुआ ना ही पीने के लायक।
नई रिपोर्ट में क्या बदल दिया गया?
23 अक्तूबर वाली रिपोर्ट के लिए सैंपल 9 अक्तूबर को लिए गए थे और जो रिपोर्ट 25 अक्तूबर को आई उसके लिए 20 अक्तूबर को सैंपल लिए गए। इस रिपोर्ट के मुताबिक, पल्ला में DO का स्तर 8 और फीकल कॉलीफॉर्म 600 MPN/100 मिली लीटर था। यानी दोनों का स्तर कमोबेश ठीक था। फीकल कॉलीफॉर्म का स्तर वजीराबाद में 800 हुआ, ISBT में 8000 हुआ, निजामुद्दीन ब्रिज पर 7900 हुआ लेकिन ओखला बैराज पर आश्चर्यजनक तरीके से 2700 हो गया। यहां यह बताना जरूरी है कि निजामुद्दीन ब्रिज और ओखला बैराज के बीच में बारापूला नाला यमुना आकर मिलता है, जिसकी सफाई का दावा दिल्ली सरकार करती रही है। हालांकि, फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा भले ही सुधरी हुई दिखाई गई लेकिन DO की मात्रा घटती गई और ओखला बैराज पर सिर्फ 1 रह गई जबकि इसे 5 से ज्यादा होना चाहिए।
यह भी पढ़ें-- कभी हुई उम्रकैद, अब बंपर स्वागत, क्या है बांग्लादेश के तारिक रहमान की कहानी?
क्या बारापूला नाले ने बदल दी तस्वीर?
निजामुद्दीन ब्रिज और ओखला बैराज के बीच अचानक से पानी के स्तर में सुधार दिखने के कारण हमने नालों को लेकर जारी की जाने वाली रिपोर्ट को भी देखा। 2024 के अक्तूबर महीने में बारापूला नाले का pH 7.9 था जो कि 5.5 से 9.0 के बीच होना चाहिए। यानी मानक के हिसाब से ठीक था। TSS की मात्रा 100 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए और यह 98 थी। COD की मात्रा 250 mg/लीटर होनी चाहिए और यह 204 थी और BOD 30 mg/लीटर होनी चाहिए यह मानक से ज्यादा यानी 68 थी।
नालों को लेकर DPCC की 23 अक्तूबर की रिपोर्ट बताती है कि बारापूला नाले का pH 7.1 था। TSS 92, COD 140 और BOD 60 था। यह पिछले साल की तुलना में थोड़ा सा बेहतर है लेकिन यह इतना कम नहीं हुआ है कि इससे पानी की गुणवत्ता पर बहुत असर पड़ जाए।
AAP ने क्या आरोप लगाए?
AAP के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दावा किया है उन्होंने पिछली बार जो एक्सपोज किया, उसी के बाद दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने यमुना के प्रदूषण से जुड़ी रिपोर्ट जारी करना बंद कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे तब साल 2014 से लगातार रिपोर्ट जारी की जाती थी।
https://twitter.com/Saurabh_MLAgk/status/2003322222824554556
ल्ली की रेखा गुप्ता सरकार नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल की ओर से नियुक्त IIT दिल्ली के एक्सपर्ट पैनल को भी रोक रही है और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से सैंपल कलेक्ट करके उसकी जांच नहीं करने दे रही है। उन्होंने DPCC की उस आखिरी रिपोर्ट का भी जिक्र किया है जो अक्तूबर में आई थी। इसके बारे में सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि वह पानी इतना गंदा था कि उसमें इंसानी मल की मात्रा काफी ज्यादा थी।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap


