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पहले ₹5 की थी और अब... एक साल में 40% कैसे बढ़ गई पतंग की कीमत?

मकर संक्रांति से पहले पतंगों की कीमतें बढ़ने लगी हैं। निर्माताओं का कहना है कि कच्चे माल की कीमत बढ़ने की वजह से पतंग महंगी हो रही है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (Photo Credit: PTI)

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मकर संक्रांति आने वाली है। इससे पहले पतंग की कीमत बहुत बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल पतंगों की कीमत 40% तक बढ़ गई है। पतंग की कीमत बढ़ने की वजह महंगा कच्चा माल है।

 

एक निर्माता ने न्यूज एजेंसी PTI से कहा कि पिछले साल जहां एक पतंग की न्यूनतम कीमत पांच रुपये थी, वह इस साल बढ़कर सात रुपये हो गई है।

 

छत्रपति संभाजीनगर के बुड़ी लेन इलाके में रहने वाला राजपूत परिवार पिछले 60 वर्ष से अधिक समय से पतंग बनाने के व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। वे महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों तक पतंगों की आपूर्ति करते हैं। हर साल त्योहारों के सीजन में स्थानीय और बाहर से आने वाले खरीदार बड़ी संख्या में उनकी दुकानों पर पहुंचते हैं। फिलहाल राजपूत परिवार की निर्माण इकाई में पतंग बनाने का काम पूरे जोर-शोर से जारी है।

 

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कैसे महंगी हो गई पतंग?

कीमतों में बढ़ोतरी पर बात करते हुए पतंग निर्माता अनिल राजपूत ने कहा कि पिछले साल की तुलना में कच्चे माल की कीमत में काफी इजाफा हुआ है।

 

उन्होंने कहा, 'पिछले साल हमें कागज की रिम 900 रुपये में पड़ती थी, जो इस साल बढ़कर 1,100 रुपये हो गई है। पहले बांस की 1,000 तीलियों का बंडल 1,050 रुपये का था, लेकिन अब इसकी कीमत लगभग दोगुनी होकर करीब 2,000 रुपये हो गई है।'

 

उन्होंने कहा कि उत्पादन लागत में हुई इस बढ़ोतरी का सीधा असर पतंगों की कीमतों पर पड़ा है। राजपूत ने कहा, 'पिछले साल एक पतंग की न्यूनतम कीमत पांच रुपये थी, जो इस साल बढ़कर सात रुपये हो गई है। अब हमें ग्राहकों को बढ़ी हुई कीमत का कारण समझाना पड़ता है।'

 

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मकर संक्रांति आने पर बिक्री बढ़ने की उम्मीद

अनिल राजपूत ने कहा, 'पतंग बनाना बहुत मेहनत का काम है। हमारी नयी पीढ़ी इस काम को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं ले रही। इस उम्र में हम पेशा नहीं बदल सकते, इसलिए परिवार का भरण-पोषण करने के लिए यह काम जारी रखे हुए हैं।'

 

परिवार के सदस्य लंबे समय तक काम करते हैं। उनका काम अक्सर सुबह नौ बजे शुरू होकर रात दो बजे तक चलता है।

 

परिवार के एक अन्य सदस्य गोवर्धन राजपूत ने कहा कि पतंग बनाना उनका पुश्तैनी पेशा है और यह साल भर चलता है, अगस्तसितंबर में गणेशोत्सव के बाद काम तेज हो जाता है। उन्होंने कहा, 'हमारी पतंगों की आपूर्ति तेलंगाना के निजामाबाद के अलावा नांदेड़, वैजापुर और येवला जैसे स्थानों पर होती है।'

 

उन्होंने यह भी कहा कि मकर संक्रांति नजदीक आने के साथ ही आने वाले दिनों में कारोबार में काफी तेजी आने की उम्मीद है।

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