बैंक-बिल्डरों का नेक्सस और घर खरीदारों से धोखा; SC ने CBI से क्या कहा?
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• NEW DELHI 23 Jul 2025, (अपडेटेड 23 Jul 2025, 7:17 AM IST)
घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बैंकों और बिल्डरों के कथित नेक्सस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने CBI को FIR दर्ज करने की इजाजत दे दी है। क्या है यह पूरा मामला? कोर्ट ने क्या कहा? जानते हैं।

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)
NCR में घर खरीदने वालों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को घर खरीदारों को ठगने के लिए बैंकों और बिल्डरों की सांठगांठ के मामले में CBI को 22 FIR दर्ज करने की इजाजत दे दी है। अदालत ने इसे बैंकों और बिल्डरों के बीच 'नापाक सांठगांठ' बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने CBI की शुरुआती जांच की रिपोर्ट के आधार पर यह आदेश दिया है। CBI की जांच के दायरे में NCR के बिल्डर और उत्तर प्रदेश और हरियाणा की डेवलपमेंट अथॉरिटीज आएंगी।
इससे पहले 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने CBI को सुपरटेक समेत कई बिल्डरों के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। यह जांच नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेसवे, गुरुग्राम और गाजियाबाद के प्रोजेक्ट्स से जुड़ी हैं। CBI की इसी जांच रिपोर्ट के बाद अदालत ने अब 22 केस दर्ज करने की इजाजत दे दी है।
इस मामले में NCR के 1,200 से ज्यादा लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने बैंकों और बिल्डरों के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया था। कोर्ट ने माना था कि कुछ रियल एस्टेट कंपनियों और उनके प्रोजेक्ट्स के लिए लोन देने वाले बैंकों ने गरीब घर खरीदारों से वसूली की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है।
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क्या था यह पूरा मामला?
- घर खरीदारों की याचिका: NCR के 1,200 से ज्यादा घर खरीदारों ने याचिका दायर की थी, जिन्होंने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम समेत कई जगहों के प्रोजेक्ट्स में फ्लैट बुक किए किए थे।
- आरोप क्या था?: घर खरीदारों ने सबवेंशन स्कीम के तहत यह फ्लैट बुक किए थे। उनका आरोप था कि बैंक उन पर EMI का दबाव बना रहे हैं, जबकि बिल्डरों ने अभी तक उन्हें फ्लैट की पजेशन नहीं दी है।
- सबवेंशन स्कीम क्या है?: इसके तहत बैंक सीधे बिल्डर के खाते में पैसा जमा करते हैं। इस लोन पर बिल्डर को तब तक EMI भरनी होती है, जब तक घर खरीदारों को पजेशन नहीं मिल जाती।
- बैंकों और बिल्डरों ने क्या किया?: कायदे से बैंक से बिल्डरों को लोन मिला था, जिसकी EMI उन्हें ही चुकानी थी। जब बिल्डरों ने EMI नहीं दी, तो बैंकों ने घर खरीदारों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया।
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CBI की एंट्री कैसे हुई?
घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस मामले की CBI जांच की मांग की थी। 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने CBI को नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और उनके प्रोजेक्ट्स से जुड़े मामलों में 5 प्रारंभिक जांच दर्ज करने को कहा था।
इसके अलावा कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ भी एक प्रारंभिक जांच दर्ज करने की अनुमति दी थी। सुपरटेक के खिलाफ 799 घर खरीदारों ने 8 अलग-अलग शहरों के प्रोजेक्ट से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
इसके बाद CBI ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सीलबंद लिफाफे में प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट दी। CBI ने कहा कि बैंकों और बिल्डरों की कथित सांठगांठ का पता लगाने के लिए 22 FIR दर्ज करने की जरूरत है। CBI ने यह जांच रिपोर्ट 1,000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी और 58 प्रोजेक्ट साइट का दौरा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए CBI की तारीफ की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बैंकों और बिल्डरों के कथित नेक्सस का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अब तक 7 प्रारंभिक जांच करने को कहा है। 5 जांच NCR के प्रोजेक्ट्स से जुड़ी है। एक जांच सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ है। वहीं, एक जांच NCR से बाहर मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, मोहाली और इलाहाबाद के प्रोजेक्ट्स से जुड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने CBI को 6 प्रारंभिक जांच को FIR में तब्दील करने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने CBI से कहा है कि वह इस मामले में 22 FIR दर्ज करे और जांच शुरू करे।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने अपने आदेश में कहा, '6 प्रारंभिक जांचों को पूरा करने के लिए CBI ने जो किया, हम उसकी सराहना करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि रेगुलर FIR दर्ज होने के बाद भी मामले की गंभीरता को देखते हुए CBI जल्द से जल्द जांच पूरी करेगी।'
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने CBI की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट एमिकस क्यूरी एडवोकेट राजीव जैन से साझा करने को भी कहा है। साथ ही कोर्ट ने एडवोकेट राजीव रंजन की रिपोर्ट को भी 'आंख खोल देने वाला' बताया है। इस रिपोर्ट में एडवोकेट राजीव जैन ने बताया है कि RERA जैसी डेवलपमेंट अथॉरिटीज में पारदर्शिता की कमी है और खरीदारों को बेईमान बिल्डरों से बचाने के लिए और कदम उठाने की जरूरत है।
इससे पहले इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया बैंकों और बिल्डरों के बीच 'सांठगांठ' का पता चलता है।
वहीं, एडवोकेट राजीव जैन ने घर खरीदारों से धोखाधड़ी करने के मामले में सुपरटेक लिमिटेड को 'मुख्य दोषी' माना था। उन्होंने बताया था कि 1998 से अब तक अकेले सुपरटेक को सबवेंशन स्कीम के तहत 5,157.86 करोड़ रुपये का लोन बैंकों से मिला है।
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अब आगे क्या होगा?
अदालत ने CBI को इस मामले में 22 FIR दर्ज करने की इजाजत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने NCR के बाहर के प्रोजेक्ट्स से जुड़े मामलों में प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट 6 हफ्ते में देने को कहा है। कोर्ट ने अभी सुनवाई की अगली तारीख तय नहीं की है। हालांकि, इस मामले में अगले 10 या 15 दिन में सुनवाई हो सकती है।
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