सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सख्त टिप्पणी करते हुए बर्खास्त ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दे दी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि पूजा खेडकर ने कौन सा गंभीर अपराध किया है? खेडकर को पिछले साल ओबीसी और विकलांगता कोटे के तहत आरक्षण लेकर गलत तरीके से सिविल सेवा की नौकरी पाने के लिए धोखाधड़ी करने का आरोप पाया गया था।
मामले में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा, 'उसने कौन सा गंभीर अपराध किया है? वह ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं है। उसने 302 (हत्या) नहीं की है। वह एनडीपीएस अपराधी नहीं है। आपके पास एक सिस्टम या सॉफ्टवेयर होना चाहिए। आप जांच पूरी करें। उसने सब कुछ खो दिया है और उसे कहीं भी नौकरी नहीं मिलेगी।'
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पुलिस-यूपीएससी ने जमानत का विरोध किया
दरअसल, दिल्ली पुलिस और यूपीएससी दोनों ने पूजा खेड़कर की जमानत याचिका का विरोध किया था। पुलिस और यूपीएससी ने कोर्ट से कहा कि पूजा ने जनता के साथ में धोखाधड़ी की है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
यूपीएससी ने लगाई थी रोक
यूपीएससी ने पिछले साल ही पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। साथ ही उसे भविष्य में यूपीएससी की कोई भी परीक्षा देने से रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार ने भी आईएएस (प्रोबेशन) नियम के नियम 12 का हवाला देते हुए खेडकर भारतीय प्रशासनिक सेवा से औपचारिक रूप से मुक्त कर दिया था।
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2023 बैच की आईएएस अफसर
बता दें कि पूजा खेडकर 2023 बैच की आईएएस अफसर थीं। वह पुणे में ट्रेनी अफसर की ट्रेनिंग कर रही थीं। इस दौरान उन पर सुविधाएं मांगने का आरोप लगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के चैंबर पर कब्जा करने की शिकायत भी सामने आई थी। उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार में लाल बत्ती और ‘महाराष्ट्र सरकार’ की नंबर प्लेट लगवाई थी।
पुणे के डीएम सुहास दिवासे ने पूजा के खिलाफ शिकायत की थी, जिसके बाद उनका ट्रांसफर वाशिम कर दिया गया। इसके बाद मामले की जांच की गई तो पता चला कि उन्होंने UPSC में सेलेक्शन पाने के लिए फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया। जांच आगे बढ़ी तो कई चौंकाने वाले खुलासे होते चले गए। रिपोर्ट बताती है कि पूजा ने नौकरी पाने के लिए अपनी मानसिक बीमारी, कम दृष्टि और लोकोमोटर समस्याओं सहित विकलांगता वाले कई प्रमाण पत्रों का इस्तेमाल किया था।