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'लिस्ट से हटाए गए वोटर्स का ब्योरा सौंपे', ECI को SC का निर्देश

बिहार में अंतिम वोटर्स लिस्ट से हटाए गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्योरा सुप्रीम कोर्ट ने मांगा है। चुनाव आयोग को अगली सुनवाई में इसकी जानकारी पेश करनी है।

Supreme Court.

सुप्रीम कोर्ट। (Photo Credit: PTI)

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से बिहार ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल उन 3.66 लाख मतदाताओं का ब्योरा मांगा है, जिन्हें विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद बनी अंतिम सूची से हटा दिया गया है। बिहार की ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट से 65 लाख नामों को हटाया गया था। मगर अंतिम सूची में नाम जोड़े गए। अब शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या जोड़े गए नाम हटाए गए नाम हैं या नए हैं। इस पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

 

कांग्रेस और माकपा जैसे विपक्षी दलों के नेताओं समेत कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि चुनाव आयोग ने हटाए गए मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची से बाहर करने से पहले कोई नोटिस या कारण नहीं बताया। जवाब में चुनाव आयोग ने बताया कि 30 अगस्त को मसौदा सूची के प्रकाशन के बाद अंतिम सूची में जोड़े गए अधिकांश नाम नए वोटर्स के हैं। अभी तक सूची से हटाए गए किसी मतदाता ने कोई शिकायत नहीं दाखिल की है।

 

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग गुरुवार (9 अक्टूबर) तक सूची से हटाए गए मतदाताओं के बारे में जो भी जानकारी हासिल करेगा। उसका ब्योरा अगली सुनवाई को प्रस्तुत करेगा। अदालत ने कहा कि सबसे पास ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट मौजूद है। अंतिम सूची भी 30 सितंबर को प्रकाशित हो चुकी है। इस वजह से तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से आवश्यक आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकते हैं।

 

न्यायमूर्ति बागची ने चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, 'आप हमारी इस बात से सहमत होंगे कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और पहुंच में सुधार हुआ है। आंकड़ों से पता चलता है कि मसौदा सूची में 65 लाख लोगों के नाम हटाए गए थे। हमने कहा कि जो मृत हैं या स्थानांतरित हुए हैं, वे ठीक हैं, लेकिन अगर आप किसी को हटा रहे हैं, तो कृपया नियम 21 और मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) का पालन करें।'

 

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अदालत ने कहा, 'हमने यह भी कहा कि जो भी नाम हटाए गए हैं, उनका डेटा अपने चुनावी कार्यालयों में जमा करें। सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भ्रम की स्थिति है कि जोड़े गए नामों की पहचान क्या है, क्या वे हटाए गए नाम हैं या नए नाम हैं। आपके पास मसौदा और अंतिम सूची है। बस इन विवरणों को छांटकर हमें जानकारी दीजिए।' वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अपने जवाब में कहा कि जोड़े गए अधिकांश नाम नए मतदाताओं के हैं। कुछ पुराने मतदाता भी हैं। इनके नाम ड्रॉफ्ट लिस्ट प्रकाशित होने के बाद जोड़े गए थे।

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