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'अदालत में ही आना होगा', आवारा कुत्तों के केस में मुख्य सचिवों से सुप्रीम कोर्ट

आवारा कुत्तों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को भी पेश होने का आदेश दिया है। सॉलिसिटर जनरल ने मुख्य सचिवों को डिजिटल माध्यम से पेश होने की अनुमति मांगी थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

आवारा कुत्तों के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दाखिल नहीं करने पर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया था। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने अपील की थी कि राज्यों के मुख्य सचिवों को डिजिटल माध्यम से पेश होने दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को अदालत में ही हाजिर होना होगा।


27 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों की तरफ से हलफनामा दाखिल न किए जाने पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को होने वाली सुनवाई में पेश होने के लिए तलब किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को सभी राज्यों से इसे लेकर हलफमनाम दाखिल करने को कहा था।


इससे सिर्फ तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को छूट दी गई थी, क्योंकि इन दोनों ही राज्यों की ओर से हलफनामा दाखिल किया गया था।

 

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'डिजिटल नहीं, अदालत में आएं'

आवारा कुत्तों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही है। इस बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल ने अपील की थी कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत के सामने डिजिटिल माध्यम से पेश होने की अनुमति दी जाए।


सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया और साफ कर दिया का मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत के सामने प्रत्यक्ष रूप से ही पेश होना होगा।


जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा, 'जब हम उनसे हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हैं तो वे चुप्पी साध लेते हैं। अदालत के आदेश के प्रति कोई सम्मान नहीं है। तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए।'

 

क्या है पूरा मामला?

28 जुलाई को आवारा कुत्तों को लेकर अंग्रेजी अखबार में एक रिपोर्ट छपी थी। इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 11 अगस्त को एक आदेश जारी किया था। इसमें 8 हफ्तों के भीतर दिल्ली-NCR से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में डालने को कहा था।


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ था। इसके बाद मामला जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन जजों की बेंच के पास गया। इस बेंच ने 22 अगस्त को फैसला सुनाया और 11 अगस्त के आदेश को बदल दिया। तीन जजों की बेंच ने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में नहीं डाला जाएगा। उनका वैक्सीनेशन और नसबंदी कर वापस वहीं छोड़ दिया जाएगा, जहां से उन्हें हटाया गया था। बेंच ने यह भी कहा था कि हिंसक प्रवृत्ति वाले कुत्तों को ही शेल्टर होम में रखा जाएगा।


इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी इस मामले में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी किया था। आवारा कुत्तों के मामले पर अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हलफनामा दाखिल करने को कहा था। हालांकि, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी किसी भी राज्य की तरफ से हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। इसके बाद 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 3 नवंबर को अदालत में पेश होने का आदेश दिया था।

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