तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हैदराबाद-बेंगलुरु स्ट्रेच को 'डिफेंस-एयरोस्पेस कॉरिडोर' घोषित करने की मांग की है। उन्होंने यह मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है। रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना का डिफेंस और एयरोस्पेस एक्सपोर्ट दोगुना हो गया है, इसलिए हैदराबाद-बेंगलुरु स्ट्रेच को 'डिफेंस-एयरोस्पेस कॉरिडोर' घोषित किया जाए।
रेवंत रेड्डी ने यह सारी बातें एक कार्यक्रम में कहीं, जिसमें पीएम मोदी भी वर्चुअली मौजूद रहे थे। फ्रांस की एक बड़ी कंपनी सैफरॉन ने कमर्शियल एयरक्राफ्ट में लगने वाले LEAP इंजन के लिए एक प्लांट तेलंगाना में खोला है। इस प्लांट के उद्घाटन के कार्यक्रम में ही रेड्डी ने यह मांग रखी।
इस कार्यक्रम में रेवंत रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना का डिफेंस और एयरोस्पेस एक्सपोर्ट 9 महीने में ही दोगुना होकर 30 हजार करोड़ रुपये हो गया है। यह फार्मा एक्सपोर्ट से भी ज्यादा है।
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रेवंत रेड्डी ने क्यों रखी यह मांग?
सीएम रेवंत रेड्डी का कहना है कि डिफेंस और एयरोस्पेस एक्सपोर्ट में तेलंगाना लगातार आगे बढ़ रहा है। 9 महीने में 30 हजार करोड़ का एक्सपोर्ट हो चुका है।
उन्होंने कहा, 'तेलंगाना को केंद्र सरकार से 'एयरोस्पेस अवॉर्ड' भी मिला है। एयरोस्पेस इन्वेस्टमेंट लाने के लिए स्किल डेवलपमेंट बहुत जरूरी है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेंगलुरु-हैदराबाद स्ट्रेच को डिफेंस-एयरोस्पेस कॉरिडोर घोषित करने का अनुरोध करता हूं।'
उन्होंने बताया कि तेलंगाना सरकार 30 हजार एकड़ में 'भारत फ्यूचर सिटी' बना रही है। उन्होंने पीएम मोदी को 8 और 9 दिसंबर को होने वाली 'तेलंगाना राइजिंग 2047 ग्लोबल समिट' का न्योता भी दिया। इस समिट में कांग्रेस सरकार 2047 तक तेलंगाना को 3 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाने का विजन रखेगी।
रेड्डी ने कहा कि कमर्शियल एयरक्राफ्ट में इस्तेमाल होने वाले LEAP इंजन के लिए फ्रेंच कंपनी सैफरॉन की MRO फैसिलिटी तेलंगाना के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
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डिफेंस कॉरिडोर बनाने से क्या होगा?
डिफेंस कॉरिडोर वह रूट होता है, जहां सेना और रक्षा से जुड़े सामान बनाने वालीं कंपनियां होती हैं। कॉरिडोर बनने के बाद यहां सेना और रक्षा से जुड़े सामान बनाने वाली कंपनियां ही खुलती हैं। और दूसरी कंपनियां यहां नहीं खुल सकतीं।
2018-19 के बजट में सरकार ने दो डिफेंस कॉरिडोर बनाने की घोषणा की थी। पहला उत्तर प्रदेश में और दूसरा तमिलनाडु में। यूपी में बने डिफेंस कॉरिडोर में 6 शहर- आगरा, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट, लखनऊ और कानपुर शामिल हैं। वहीं, तमिलनाडु वाले में 5 शहर- चेन्नई, होसूर, कोयंबटूर, सलेम, और तिरुचिरापल्ली हैं।
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इसका फायदा क्या होता है?
इन डिफेंस कॉरिडोर को इसलिए बनाया जाता है, ताकि देश को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। डिफेंस कॉरिडोर में सेना से जुड़े उपकरण से लेकर वर्दी तक बनाई जाती हैं।
डेडिकेटेड डिफेंस कॉरिडोर बनने से डिफेंस कंपनियों का आना भी आसान हो जाता है। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि भारत अभी अपनी रक्षा जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर है। हालांकि, कुछ सालों में यह निर्भरता थोड़ी कम भी हुई है।
डिफेंस कॉरिडोर में बनी कंपनियां बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, तोप-गोले, मिसाइल और अलग-अलग तरह के हथियार भी बनाती हैं। इससे डिफेंस का प्रोडक्शन बढ़ता है और 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
हालिया सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट काफी तेजी से बढ़ा है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 23,622 करोड़ रुपये था, जो 2023-24 की तुलना में 12 फीसदी ज्यादा था। 2023-24 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 21,083 करोड़ रुपये था।