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11 साल में मनी लॉन्ड्रिंग के 6312 मामले दर्ज, सजा हुई 120 लोगों को, क्या है वजह?

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले एक दशक में मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की क्या स्थिति रही?

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प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम ऐक्ट (पीएमएलए) के 1 जून 2014 से लेकर 31 अक्तूबर 2025 तक कुल 6312 मामले दर्ज किए गए, लेकिन इनमें से केवल 120 मामलों में ही किसी को दोषी करार दिया गया और एजेंसी ने पीएमएलए कोर्ट के समक्ष 93 मामलों को बंद कर दिया। सोमवार को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इस बात की जानकारी दी।

 

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि 1 जून 2014 से 31 अक्टूबर 2025 तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत कुल 6,312 मामले दर्ज किए हैं। इनमें से अब तक 120 लोगों को दोषी ठहराया जा चुका है।

 

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PMLA कानून में हुआ था संशोधन

उन्होंने कहा कि 1 अगस्त 2019 को PMLA कानून में संशोधन हुआ था। इसके बाद अगर मनी लॉन्ड्रिंग किए जाने का कोई अपराध साबित नहीं होता तो ईडी को विशेष अदालत में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ (मामला बंद करने की रिपोर्ट) देना जरूरी कर दिया गया। इस नियम के बाद से अब तक ईडी ने 93 मामले बंद किए हैं।

 

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि 1 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान की धारा 44(1)(बी) में संशोधन करके एजेंसी के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बनता है तो वह क्लोजर रिपोर्ट पेश करे।

120 अपराधी दोषी

साल के हिसाब से ब्रेकअप के अनुसार, एजेंसी ने इसी समय के दौरान 1,805 प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट (PCs) और 568 सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट फाइल कीं। स्पेशल PMLA कोर्ट ने कुल 120 आरोपियों को दोषी ठहराया। हाल के सालों में सज़ा के आंकड़ों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी दिख रही है। 2014-15 और 2015-16 में ज़ीरो सज़ा से बढ़कर 2024-25 में 38 सज़ाएं, और अप्रैल व अक्टूबर 2025 के बीच 15 और सज़ाएं दी गईं।

क्यों बंद किए गए केस

MoS ने कहा कि 2022-23 में 24 लोगों को सज़ा हुई, 2023-24 में 19 लोगों को सज़ा हुई, 2024-25 में 38 लोगों को सज़ा हुई, और इस साल अक्टूबर तक 15 लोगों को सज़ा हुई है। केस को बंद करने के पीछे के कारणों को बताते हुए वित्त राज्य मंत्री चौधरी ने बताया कि वे किसी खास लीगल और जांचगत कारणों से बंद किए गए। शुरुआती जांच में पता चला कि शेड्यूल्ड (प्रेडिकेट) अपराध या तो जांच अधिकारी द्वारा बंद कर दिए गए और या तो कोर्ट ने कहा कि किसी भी तरह का शेड्यूल्ड अपराध नहीं किया गया है।  इसके अलावा, केस तब बंद कर दिए गए जब असल में शेड्यूल्ड अपराध के मामलों को सही कानूनी अधिकारियों ने रद्द कर दिया, जिससे उन मामलों में आगे की कार्रवाई का आधार ही खत्म हो गया।

 

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2019 के बदलाव से पहले, ED को अपने स्पेशल डायरेक्टर की मंज़ूरी से केस बंद करने की इजाज़त थी। 1 जुलाई, 2005 को PMLA शुरू होने और 31 जुलाई, 2019 के बीच, एजेंसी ने पहले के प्रोसेस के तहत ऐसे 1,185 केस बंद किए।


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