संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र में डॉ. फैजा रिफत ने शांति और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर डाला। भारत का पक्ष रखते हुए उन्होंने 2008 के मुंबई हमले और इसी साल हुए पहलगाम हमले का भी जिक्र किया। भारत का पक्ष मजबूती से रखने की वजह से डॉ. फैजा रिफत चर्चा में आ गई हैं।
फैजा रिफत UN में भारत का विभिन्न मुद्दों पर पक्ष रखती आई हैं। वह राजस्थान के जयपुर की रहने वाली मशहूर स्कॉलर हैं। उन्हें सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली महिला के तौर पर जाना जाता है। वह राजस्थान यूनिवर्सिटी में रिसर्चर के रूप में काम करती हैं। वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में अपनी प्रभावशाली उपस्थिति के लिए जानी जाती हैं। वहां उन्होंने भारत की समावेशी नीतियों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर जोर दिया है।
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फैजा रिफत का परिचय
फैजा रिफत ने अपनी पढ़ाई राजस्थान से ही की है। साइंस से ग्रेजुएशन और मास्टर की डिग्री ली है। वह जनवरी 2023 से UNHRC में भारत की ओर से देश का पक्ष रखती आई हैं।
फैजा NGO RSKS इंडिया की सक्रिय सदस्य हैं। यह संगठन सामाजिक कल्याण और मानवाधिकारों के लिए काम करता है। उन्होंने सितंबर 2025 में जेनेवा में UN में 'द सोल ऑफ भारत' नामक पुस्तक के लॉन्च में हिस्सा लिया, जो वैश्विक शांति और एकता पर केंद्रित थी।
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UNHRC में उनकी उपस्थिति
फैजा रिफत को UNHRC में योगदान के लिए काफी ज्यादा जाना जाता हैं। वह पहली बार सितंबर 2024 में UNHRC के 57वें सत्र में दिए भाषण से चर्चा में आई थीं। उन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का साथ देकर भारत का पक्ष रखा था। उन्होंने UNHRC में कहा था कि CAA अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता देने के लिए जरूरी कदम है।
उन्होंने 22 अप्रैल 2025 को UNHRC के 59वें सत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी। उन्होंने दुनिया के देशों से मांग की पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए।