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दक्षिण कोरिया से अमेरिका तक, अपनी सरकार क्यों बदलना चाहते हैं युवा?

अमेरिका के युवा डोनाल्ड ट्रंप से खुश नहीं है। वह अपने देश में सत्ता परिवर्तन चाहते हैं। इसका खुलासा प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे से हुआ है। दुनियाभर के कई देशों में जनता अपने नेताओं की बेईमानी से परेशान है।

Pew Research Center.

सांकेतिक फोटो। (AI generated image)

दुनिया भर के कई देशों में जेन-जी यानी जेनरेशन जेड गुस्से में है। केन्या से नेपाल और इंडोनेशिया से पेरू तक सब ने हंगामा देखा है। श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल में युवाओं ने सत्ता तक पलट दी। अब दक्षिण अमेरिकी देश पेरू जल रहा है। वहां साल 2022 से ही सत्ता विरोधी आंदोलन का दौर जारी है। अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है। दुनिया भर के युवा अपनी सरकारों से क्यों नाखुश हैं, सरकार क्यों बदलना चाहता हैं। इसका खुलासा एक सर्वे में हुआ है। यह सर्वे 25 देशों में किया गया। इसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। 

 

प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वे में शामिल 25 में से 20 देशों में एक बड़ी आबादी अपने यहां सरकार बदलना चाहती है। इन देशों की जनता मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था और नेताओं से नाखुश है। लोगों का कहना है कि उनके राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। दक्षिण कोरिया, नाइजीरिया, ग्रीस, केन्या, अर्जेंटीना, ब्राजील और अमेरिका में 10 में से 8 युवा अपनी सरकार को बदलना चाहते हैं। 

 

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नेताओं की बेईमानी से परेशान जनता

25 देशों के सर्वे में सामने आया है कि 10 में से 4 लोगों का मानना है कि उनके नेता ईमानदार नहीं है। न ही आम जनता की जरूरत को समझते हैं। देश की अहम समस्या पर भी ध्यान नहीं देते हैं। नेताओं में योग्यता की भी कमी है। 25 देशों की 47 फीसदी जनता का मानना है कि उनके नेताओं में कोई ईमानदार नहीं है। 36 फीसदी कहते हैं कि कुछ ईमानदार हैं। ग्रीस के 68 फीसदी जनता चाहती है कि उनकी सियासी व्यवस्था में पूरी तरह से बदलाव लाना चाहिए। 15 फीसदी अहम बदलाव चाहते हैं। केवल 17% का कहना है कि कोई बदलाव की जरूरत नहीं है।

12 देशों में तुरंत सरकार बदलना चाहते लोग

12 देशों में जनता तुरंत सरकार बदलना चाहते हैं। यहां 10 में से चार से ज्यादा लोगों का मानना है कि बदलाव लाया जा सकता है। दुनियाभर की अधिकांश जनता अपने नेताओं से नाराज है। सात देश ऐसे हैं, जहां 10 में से 4 लोगों का मानना है कि मामूली बदलाव की आवश्यकता है। नीदरलैंड और स्वीडन में लगभग दस में से सात लोग का मानना है कि कोई बदलाव की जरूरत नहीं है। 2024 में 94 फीसदी नाइजीरियाई अपनी अर्थव्यवस्था में बदलाव चाहते थे। लेकिन इस साल माहौल बदल चुका है। अब 91 फीसद लोग सियासी व्यवस्था बदलना चाहते हैं। स्वीडन में 29 फीसद लोग सरकार को बदलना चाहते हैं। 

 

फ्रांस और अमेरिका के युवा अपनी सरकार को कमजोर मानते हैं। सर्वे में शामिल 9 देशों में वृद्धों की तुलना में युवा सत्ता बदलने की अधिक इच्छुक है। कनाडा के 54 फीसदी युवा अपनी राजनीतिक व्यवस्था को बदलने के पक्षधर हैं। 

मोदी सरकार के बारे में क्या सोचती है जनता?

भारत की बात करें तो यहां मोदी सरकार को जनता का साथ मिला रहा है। प्यू रिसर्च के सर्वे के मुताबिक 76 फीसदी लोग मोदी सरकार से खुश हैं। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में 63 फीसदी और मैक्सिको में 78 फीसदी जनता सरकार के साथ है। अन्य देश की बात करें तो जर्मनी 57%, ऑस्ट्रेलिया में 55%, कनाडा में 53%, स्वीडन में 52% फीसदी लोग सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जनता की नाराजगी बढ़ रही है। इसके अलावा ब्राजील, ग्रीस, हंगरी, पोलैंड, स्पेन और तुकिये में भी यही हाल है।

इन देशों में विपक्ष अधिक लोकप्रिय

सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि कई देशों में सत्ता में शामिल पार्टी की तुलना में विपक्षी दलों को जनता अधिक पसंद कर रही है। स्वीडन, केन्या और नाइजीरिया में हवा सत्ता के खिलाफ है। यहां के युवा विपक्षी दलों के पक्ष में अधिक हैं। नीदरलैंड में 32 फीसदी युवा सत्तारूढ़ द पार्टी फॉर फ्रीडम के साथ हैं। वहीं विपक्षी दल ग्रोएनलिंक्स-लेबर पार्टी को 50% युवाओं का साथ मिल रहा है। फ्रांस में भी रेनेसां से अधिक नेशनल रैली के समर्थन में युवा हैं। तुर्किये, जापान, इटली, ब्राजील और ग्रीस की जनता सत्तारूढ़ दल और मुख्य विपक्षी दल को एक जैसा देखती है।

 

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इन देशों में किया गया सर्वे

ग्रीस, फ्रांस, स्पेन, इटली, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान तुर्किये, नाइजीरिया, ब्रिटेन, ब्राजील, पोलैंड, ऑस्ट्रेलिया, मेक्सिको, अर्जेंटीना, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, इजरायल, केन्या, नीदरलैंड, हंगरी, स्वीडन, इंडोनेशिया और भारत।

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