चुनाव आयोग ने 9 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची संशोधन के लिए चलाए जा रहे स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया को एक सप्ताह के लिए और बढ़ा दिया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि अब वोटर वेरिफिकेशन की प्रक्रिया 11 दिसंबर तक जारी रहेगी। पहले इसे 4 तारीख तक ही निपटाने का लक्ष्य रखा गया था। अब वोटर वेरिफिकेशन 11 दिसंबर तक चलेगा, फिर 16 दिसंबर को ड्राफ्ट लिस्ट जारी की जाएगी।
पहले ड्राफ्ट लिस्ट, 9 दिसंबर को आने वाली थी। अंतिम वोटर लिस्ट, 7 फरवरी की जगह अब 14 फरवरी को जारी होगा। चुनाव आयोग ने इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की घोषणा 27 अक्तूबर को की थी। बूथ लेवल ऑफिसर, कई जगह काम के ज्यादा दबाव की शिकायतें कर चुके हैं।
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कब से शुरू है SIR?
SIR की प्रक्रिया 28 अक्तूबर से ही 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही है। अब वोटर लिस्ट को अपडेट किया जा रहा है। नए वोटरों के नाम जोड़े जा रहे हैं, वोटर लिस्ट की खामियों को सुधारा जा रहा है। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर लोगों से वोटर फॉर्म सौंप रहे हैं, जानकारी हासिल कर रहे हैं।
क्या BLO पर तनाव है तारीख टलने की वजह?
कई राज्यों में बूथ लेवल ऑफिसर की आत्महत्या और मौत से जुड़े मामले सामने आए हैं। 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही इस प्रक्रिया के दौरान विपक्ष दावा कर रहा है कि बूथ लेवल अधिकारियों पर काम का अतिरिक्त दबाव है। उन्हें तय समयसीमा के भीतर लक्ष्य पूरा करने का निर्देश अधिकारी दे रहे हैं, देर रात तक उन्हें जगना पड़ रहा है, कई अधिकारियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
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विपक्ष ने दावा किया कि बूथ स्तरीय अधिकारियों पर काम का इतना दबाव है कि वे आत्महत्या तक कर बैठ रहे हैं। कुछ जगहों पर खुदकुशी की खबरें सामने आईं हैं, वहीं कई मौतें के भी मामले भी सामने आए हैं। यूपी से लेकर पश्चिम बंगाल तक, ऐसे मामले देखे गए हैं। SIR के दूसरे चरण की प्रक्रिया पर ही सवाल उठे हैं। BLO ज्यादातर सरकारी स्कूल शिक्षक या अन्य कर्मचारी हैं। उन्हें घर-घर जाकर वोटर लिस्ट अपडेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। बूथ अधिकारियों की मौत की खबरें कई राज्यों से सामने आई हैं।
किन राज्यों में मौतों की खबरें आईं?
मध्य प्रदेश, यूपी, गुजरात, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु
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लोग क्या चाहते थे?
बूथ स्तर के अधिकारी मांग कर रहे हैं कि प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाई जाए। कांग्रेस, टीएमसी समेत विपक्षी दल और शिक्षक संगठनों ने भी प्रक्रिया में जल्दबाजी लेकर सवाल उठाए थे। संगठनों का कहना है कि समय सीमा कम से कम 6 महीने किया जाए।
मुश्किलें क्या आ रहीं हैं?
एक बीएलओ को औसतन 900-1200 वोटरों के घर 3 बार जाना पड़ता है। काम के लिए देर तक जगना पड़ रहा है, रात में अधिकारी बैठक कर रहे हैं। केरल, बंगाल, तमिलनाडु में कुछ जगहों पर बूथ स्तरीय अधिकारों ने चुनाव आयुक्त के दफ्तर के बाहर धरना भी दिया है।