बकाया भुगतान के मुद्दे पर कर्नाटक सरकार और सिविल ठेकेदारों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ (KSCA) ने बड़ी चेतावनी दी है। संघ का कहना है कि अगर दिसंबर तक सरकार ने बकाया राशि का भुगतान नहीं किया तो मौजूद प्रोजेक्ट को न केवल रोकेंगे, बल्कि व्यापाक स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे। ठेकेदार संघ का आरोप है कि 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कई विभागों का भुगतान अटका है। इस वजह से ठेकेदारों का करीब 33,000 करोड़ रुपये का बकाया फंसा है। संघ ने कहा कि प्रदेश सरकार ने दो साल से भुगतान को रोक रखा है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ठेकेदार संघ ने दावा किया कि बकाया न मिलने से ठेकेदारों के परिवार भारी मुश्किलों में है। अगर सरकार ने बकाया राशि जारी नहीं की तो संघ राजभवन तक मार्च करेगा। इसके बाद 'दिल्ली चलो' आंदोलन के तहत अपने विरोध प्रदर्शन को और तेज करेगा।
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कांग्रेस ने भी कठिनाइयों को दूर नहीं किया: ठेकेदार संघ
कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ के अध्यक्ष आर मंजूनाथ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछली भाजपा सरकार में हमने कठिनाइयों का सामना किया। आशा था कि कांग्रेस की सरकार हमारी समस्याओं को हल करेगी। मगर यह सपना ही साबित हुआ। ठेके देने और जीएसटी भुगतान के मामले में पैकेज प्रणाली को हटाने समेत हमारी कई मांगें आज भी अधूरी हैं। इस बीच ठेकेदारों का बकाया बढ़कर 33,000 करोड़ रुपये हो गया है।
'कठोर कदम के अलावा कोई रास्ता नहीं'
आर मंजूनाथ का आरोप है कि ठेकेदारों को परेशान किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के अलावा बाकी विभागों के भुगतान में देरी हो रही है। कांग्रेस नेताओं के आश्वासन के बाद भी हमारा भुगतान नहीं हो रहा है। अब ठेकेदारों के पास कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मंजूनाथ ने दावा किया कि पहले की सरकारें त्योहारों पर आंशिक भुगतान करती थीं, लेकिन कांग्रेस की मौजूदा सरकार ने यह परंपरा भी बंद कर दी।
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'एक महीना करेंगे इंतजार'
मंजूनाथ ने दावा किया कि ठेकेदारों के परिवार भारी तनाव में है। हम एक महीना इंतजार करेंगे। अगर बकाया भुगतान नहीं हुआ तो आंदोलन करेंगे। घूसखोरी से जुड़े सवाल पर कहा, 'हमने सीएम सिद्धारमैया को बताया कि उनकी सरकार में अधिक कमीशन वसूला जा रहा है। इस बीच सीएम सिद्धारमैया ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हम जो सुन रहे हैं वह केवल ठेकेदारों की आवाज है, लेकिन पर्दे के पीछे और भी लोग हैं। अगर ठेकेदारों के पास भ्रष्टाचार के सबूत हैं तो उन्हें अदालत जाने दीजिए। निहित स्वार्थ में विवाद को हवा दिया जा रहा है।