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महेश्वर सूत्र: शिव के डमरू की ध्वनियां, जिनसे बना संस्कृत व्याकरण

भगवान शिव के डमरू की ध्वनियों से संस्कृत व्याकरण के 14 सूत्र निकले थे, उन्हीं सूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर| Photo credit: AI

माहेश्वर सूत्र संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने संस्कृत के शब्दों को आसान बनाने के लिए अपना डमरू बजाया था। महर्षि पाणिनि ने भगवान शिव के डमरू की आवाज से माहेश्वर सूत्र बनाया था। संस्कृत भाषा और व्याकरण की दुनिया में 'माहेश्वर सूत्र' का विशेष स्थान है। इन्ही सूत्रों का प्रयोग करके महान व्याकरणाचार्य पाणिनि ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ 'अष्टाध्यायी' की नींव रखी थी।


माहेश्वर सूत्र में कुल 14 छोटे-छोटे ध्वनि समूह (सूत्र) हैं, जिनमें संस्कृत वर्णमाला (स्वर और व्यंजन) को एक विशेष क्रम व्यवस्थित किया गया है। इन सूत्रों को विशेष क्रम में इसलिए रखा गया है, जिससे संस्कृत भाषा के हर शब्द को व्याकरण के दृष्टि से आसानी से समझा जा सके।

 

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माहेश्वर सूत्रों की उत्पत्ति की कथा

पुराणों के अनुसार, आज से कई सौ साल पहले संस्कृत भाषा को व्यवस्थित रूप देने की आवश्यकता महसूस हो रही थी। उस समय भगवान शिव ने अपने डमरू को 14 बार बजाया और हर बार उससे विशेष ध्वनियां निकलीं। ये ध्वनियां कोई साधारण ध्वनि नहीं थीं, बल्कि संस्कृत के सभी वर्णों की जड़ थीं।

 

इस ध्वनि को सुनने के लिए देवताओं सहित पाणिनि भी वहां मौजूद थे। पाणिनि पहले से ही एक महान विद्वान थे, उन्होंने इन ध्वनियों को गहराई से समझा और इन्हीं 14 सूत्रों को आधार बनाकर 'अष्टाध्यायी' नामक संस्कृत व्याकरण की महानतम किताब की रचना की। यह ध्वनियां महादेव के डमरू से निकली थीं, इसलिए इन्हें 'माहेश्वर सूत्र' कहा जाता है। 

 

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14 माहेश्वर सूत्रों

  • अ इ उ ण्
  • ऋ ऌ क्
  • ए ओ ङ्
  • ऐ औ च्
  • ह य व र ट्
  • ल ण्
  • ञ म ङ ण न म्
  • झ भ ञ्
  • घ ढ ध ष्
  • ज ब ग ड द श्
  • ख फ छ ठ थ च ट त व्
  • क प य्
  • श ष स र्
  • ह ल्

माहेश्वर सूत्र का महत्व

संक्षिप्तता और स्पष्टता:

 

पाणिनि ने इन सूत्रों का प्रयोग करके व्याकरण को बहुत ही छोटे और सटीक रूप में प्रस्तुत किया है। इस सूची का एक छोटा सा सूत्र भी कई नियमों को स्पष्ट कर देता है।

 

शब्दों की रचना को समझना आसान बनाता है

 

संस्कृत में संधि, समास, प्रत्यय, धातु, उपसर्ग, तद्धित इन सबको समझने और उपयोग करने के लिए माहेश्वर सूत्र आधार बनते हैं।

 

ध्वनि विज्ञान

 

ये सूत्र केवल व्याकरण के नहीं, बल्कि उच्चारण (बोलने) के नियम भी समझाते हैं। इससे यह भी समझ आता है कि कौन से अक्षर कैसे और कहां से बोले जाते हैं।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।

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