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महादेव के आभूषण में नाग कैसे बने हिस्सा? जानें पूरी कथा

भगवान शिव के आभूषणों में नाग देवता को सबसे प्रमुख स्थान दिया गया है। आइए जानते है भगवान शिव का नाग देवता से क्या संबंध है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर| Photo Credit: AI

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भगवान शिव का स्वरूप जितना रहस्यमय है, उतना ही गहरा उसका पौराणिक महत्व भी है। जब आप भगवान शिव की मूर्ति देखते हैं, तो अक्सर उनके गले में एक सांप लिपटा हुआ दिखाई देता है। यह दृश्य साधारण नहीं है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा और प्रतीकात्मक अर्थ छिपा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव का जीवन अन्य देवी- देवताओं की तरह नहीं हैं बल्कि उनका जीवन अति साधारण और मोह माया से विरक्त है। 

 

महादेव को संहारक, योगी और तपस्वी कहा गया है। वह ऐसे देवता हैं जो श्मशान में घूमते हैं। वह सामान्य वस्तुओं के बजाय असामान्य वस्तुओं को अपने शरीर पर धारण करते हैं, जैसे जटाएं, भस्म, त्रिशूल, डमरू और सांप। शास्त्रों के अनुसार, सांप को उनके गले में वास करने का अधिकार मिला हुआ है, जिसे 'नागों का आभूषण' कहा गया है।

 

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सांप उनके गले का आभूषण क्यों बने? पौराणिक कथा

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तो उसमें  सबसे पहले हलाहल विष निकला था। यह विष इतना जहरीला था कि पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता था। तब सभी देवता और असुर भगवान शिव के पास पहुंचे और उनसे मदद की गुहार लगाई।

 

भगवान शिव ने सबकी रक्षा के लिए वह विष पी लिया और उसे अपने गले में रोक लिया, जिससे वह उनके शरीर में न फैले। विष की वजह से उनका गला नीला हो गया और वह नीलकंठ कहलाए।

 

ऐसे में विष की गर्मी और शक्ति को संतुलित करने के लिए, भगवान शिव के गले में नागराज वासुकी ने अपना स्थान बनाया। वासुकी वही नाग हैं जो समुद्र मंथन के समय मंथन की रस्सी के रूप में उपयोग में लाए गए थे। यह माना जाता है कि विष के प्रभाव को शांत रखने में वासुकी की उपस्थिति ने मदद की थी।

 

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सांपों के साथ भगवान शिव के अन्य संबंध

पुराणों में उल्लेख है कि शिवजी नागों के अधिपति भी हैं। उनके शरीर पर कई प्रकार के नाग रहते हैं:

  • उनके गले में वासुकी नाग हैं।
  • उनके बांहों पर तक्षक।
  • जटाओं में शेष नाग।
  • और उनके कमर में पद्मनाभ नाग उपस्थित हैं।
  • यह सभी नाग इस बात का संकेत देते हैं कि शिवजी सृष्टि की तमाम शक्तियों के नियंत्रक हैं चाहे वह विषैली या विनाशकारी क्यों न हो।

धार्मिक मान्यताएं

नाग को शिव का प्रिय माना जाता है। नाग पंचमी, महाशिवरात्रि और श्रावण मास के समय नागों की पूजा का विशेष महत्व होता है। यह भी मान्यता है कि शिव की पूजा से सर्पदोष, कालसर्प योग जैसी बाधाएं दूर होती हैं।


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