भारत में भगवान शिव के विभिन्न मंदिरों का उल्लेख पुराण शास्त्रों में मिलता है। जिनमें हिमाचल प्रदेश में कुल्लू में स्थित बिजली महादेव मंदिर भगवान शिव का एक चमत्कारी और रहस्यमय मंदिर माना जाता है। यह मंदिर 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां तक पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। इस मंदिर से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं और रहस्यमयी घटनाएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।
बिजली महादेव मंदिर की पौराणिक कथा
प्राचीन कथा के अनुसार, इस स्थान पर एक राक्षस कुलांत का वास था, जो बहुत शक्तिशाली और अत्याचारी था। उसने कई ऋषि-मुनियों को अपने आतंक से परेशान कर रखा था। कहा जाता है कि कुलांत इतना विशाल था कि जब वह अपने शरीर को फैलाता, तो पूरी कुल्लू घाटी ढक जाती थी। उसने पार्वती नदी के जल प्रवाह को रोक कर पूरे क्षेत्र को जलमग्न करने की योजना बनाई।
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भगवान शिव ने जब यह देखा, तो उन्होंने कुलांत से युद्ध किया। भगवान शिव की तीसरी आंख खुली और उन्होंने अपने त्रिशूल से कुलांत राक्षस का वध कर दिया। मरते समय कुलांत का विशाल शरीर एक पहाड़ में बदल गया, जिसे आज मणिकर्ण पर्वत कहा जाता है।
कहते हैं कि इस युद्ध के बाद जब भगवान शिव यहां ध्यानमग्न हुए, तब स्वयं इंद्रदेव ने प्रसन्न होकर आकाश से बिजली गिराई, जो सीधे इस स्थान पर शिवलिंग पर गिरी। तभी से इस स्थान का नाम बिजली महादेव पड़ा।
बिजली महादेव मंदिर का रहस्य और चमत्कार
बिजली महादेव मंदिर को लेकर एक अनोखा रहस्य है। माना जाता है कि हर 12 वर्षों में यहां स्थित शिवलिंग पर आकाशीय बिजली गिरती है और यह शिवलिंग खंडित हो जाता है। इस घटना को यहां के स्थानीय लोग भगवान शिव का आशीर्वाद मानते हैं।
जब शिवलिंग खंडित हो जाता है, तो मंदिर के पुजारी इस शिवलिंग के टुकड़ों को मक्खन और सात्विक सामग्री से जोड़कर दोबारा स्थापित कर देते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और कहा जाता है कि इस प्रक्रिया के बाद शिवलिंग फिर से अपनी पूर्ण अवस्था में आ जाता है।
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शिवलिंग की पूजा और विशेष अनुष्ठान
बिजली महादेव मंदिर में भक्त भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
जलाभिषेक: शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, शहद, और बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी प्रसन्न होते हैं।
मक्खन से लेपन: जब बिजली गिरने के बाद शिवलिंग खंडित हो जाता है, तो पुजारी इसे मक्खन से जोड़कर पुनः स्थापित करते हैं।
महादेव की आरती: प्रतिदिन सुबह और शाम को विशेष आरती होती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं।
सावन और महाशिवरात्रि पर्व: इस मंदिर में सावन और महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा होती है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
बिजली महादेव मंदिर की यात्रा
बिजली महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए कुल्लू से 24 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। इसके बाद तीन किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी होती है, लेकिन जब कोई यहां पहुंचता है, तो मंदिर के चारों ओर फैली हिमालय की खूबसूरत वादियां मन को शांति प्रदान करती हैं।
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