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देवी कात्यायनी: इस तरह माता को कहा जाने लगा महिषासुरमर्दिनी

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की उपासना का विधान है। आइए जानते हैं कि देवी पौराणिक कथा, पूजा विधि और महत्व।

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देवी कात्यायनी(Photo Credit: Creative Image)

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नवरात्रि पर्व के षष्ठी तिथि के दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी का अवतरण असुरों का संहार करने के लिए हुआ था। देवीभागवत पुराण सहित विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मां कात्यायनी की महिमा और उनकी उपासना से मिलने वाले लाभ को विस्तार से बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

देवी कात्यायनी की पौराणिक कथा

देवी कात्यायनी का अवतरण महिषासुर नामक राक्षस का अंत करने के लिए हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर एक अत्यंत बलशाली असुर था, जिसने देवताओं को हराकर स्वर्ग पर अधिकार स्थापित कर लिया था। उसके आतंक से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा के पास पहुंचे व उनसे इस परेशानी के लिए उपाय की विनती करने लगे।

 

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देवताओं की प्रार्थना पर त्रिदेवों ने अपनी दिव्य शक्तियों से एक अद्भुत देवी अवतरित हुईं। ऋषि कात्यायन ने देवी की घोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप देवी ने उनके घर जन्म लिया और कात्यायन ऋषि की पुत्री कहलाने लगीं। इस कारण उनका नाम 'कात्यायनी' पड़ा।

 

देवी कात्यायनी ने महिषासुर का वध करने के लिए भीषण युद्ध किया। कई दिनों तक चले इस युद्ध में अंत में देवी ने अपने त्रिशूल से महिषासुर का संहार कर दिया। इस कारण वे महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

देवी कात्यायनी का स्वरूप

देवी कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत दिव्य और तेजस्वी है। वे चार भुजाओं वाली हैं और सिंह पर सवार रहती हैं। एक हाथ में उन्होंने त्रिशूल धारण किया हुआ है, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प, तीसरे में वरद मुद्रा और चौथे हाथ में अभय मुद्रा धारण करती हैं। देवी का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकती हुई आभा है और वे सिंह पर सवार होकर भक्तों की रक्षा करती हैं।

देवी कात्यायनी की पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की विशेष पूजा की जाती है। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद मां कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र को पूजास्थल पर रखें। ऐसा करने के बाद मां को केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। फिर गुलाब और कमल के फूल अर्पित करें। साथ ही  मां को शहद, केले, नारियल और मिठाई का भोग लगाएं। देवी कात्यायनी की कृपा पाने के लिए 'ॐ देवी कात्यायन्यै नमः' मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में घी का दीपक जलाकर देवी की आरती करें।

 

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देवी कात्यायनी की पूजा लाभ

मां कात्यायनी की उपासना से भक्तों को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं मां कात्यायनी की पूजा करती हैं। माना जाता है इससे उनके विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि देवी की कृपा से भक्तों के सभी मानसिक और शारीरिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

 

एक मान्यता यह भी है कि जो लोग अपने जीवन में शत्रुओं से परेशान हैं, वे मां की आराधना करके उन पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मां कात्यायनी की पूजा करने से एक लाभ यह भी मिलता है कि भक्तों के भीतर सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति आती है।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।


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