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चैत्र महीने में प्रदोष और मासिक शिवरात्रि एक दिन, जानें सही तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत एक दिन रखा जाएगा। जानिए व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त।

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भगवान शिव को समर्पित है प्रदोष व्रत।(Photo Credit: Freepik)

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हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए महाशिवरात्रि व्रत, प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत और एक मासिक शिवरात्रि व्रत का पालन किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।

 

बता दें कि चैत्र महीना शुरू हो चुका है और यह महीना पूजा-पाठ और दान-पुण्य के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने की खास बात यह है कि इस बार एक ही दिन प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत का पालन किया जाएगा।

 

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प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत की तिथि:

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 मार्च रात्रि 1:40 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 27 मार्च को ही मध्य रात्रि 11:01 पर हो जाएगा। इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। बता दें कि मासिक शिवरात्रि व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना मध्य रात्रि में की जाती है और प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना संध्या काल में की जाती है। इसी वजह से यह दोनों व्रत 27 मार्च 2025, गुरुवार के दिन रखा जाएगा और इसी वजह से इस दिन को गुरु प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाएगा।

क्या है प्रदोष व्रत का महत्व?

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि प्रदोष व्रत के दिन संध्याकाल में भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करने से धन, ऐश्वर्य और आरोग्यता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ठीक इसी प्रकार, मासिक शिवरात्रि व्रत पर भी भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। इसी वजह से इन दोनों दिनों को भगवान शिव की उपासना के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है।

 

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प्रदोष व्रत पर क्या करें?

शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही मासिक शिवरात्रि व्रत का भी संकल्प लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं की विधिवत उपासना करें। सूर्य देव को जल अर्पित करना ना भूलें। इसके बाद संध्या काल में विधिपूर्वक भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव का दूध, दही, शक्कर, शहद, घी और जल से अभिषेक करें।

 

ऐसा ही अभिषेक मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा में भी किया जाता है। इस दौरान भगवान शिव के त्र्यंबक मंत्र का उच्चारण करते रहें या "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के दौरान भगवान शिव को भांग, धतूरा, पंचफल, मिठाई आदि अर्पित करें और पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें।

 

Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं।


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