कब से होगी छठ महापर्व की शुरुआत? कहानी से मशहूर छठ गीतों तक सब जानिए
हर साल कार्तिकेय महीने की षष्ठी तिथि को छठ पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है। इस पर्व में लोग छठी मैया की पूजा करते हैं और कई कलाकारों ने इस पर्व पर मशहूर गीत गाए हैं।

सांकेतिक तस्वीर, Photo Credit: PTI
छठ पूजा एक हिंदू त्योहार है और इसे मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है। इस दिन लोग छठी मईया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। चार दिन तक चलने वाले इस त्योहार का खास महत्व है। दीपावली के बाद जो षष्ठी तिथि आती है, उसी पर यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन छठ मनाने वाले भक्त भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छठी मैा की पूजा करते हैं। सूर्य का पूजन वैसे तो हिंदू धर्म में कई अवसरों पर किया जाता है लेकिन छठ ही एक मात्र ऐसा पर्व होता है जिस में ढलते सूर्य का पूजन भी किया जाता है और उगते सूर्य का भी पूजन किया जाता है।
छठ मैया के बारे में कथा है कि यह ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं और सूर्यदेव की बहन हैं। छठ मैया को संतान की रक्षा करने वाली और संतान सुख देने वाली देवी के रूप में शास्त्रों में बताया गया है जबकि सूर्यदेव अन्न और संपन्नता के देवता है। इसलिए जब रवि और खरीफ की फसल कटकर आ जाती है तो छठ का पर्व सूर्य देव का आभार प्रकट करने के लिए चैत्र और कार्तिक के महीने में किया जाता है। छठ पर्व को पहले पूर्वांचल में ही मनाया जाता था लेकिन अब इस त्योहार को देश के अलग-अलग हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है।
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चार दिन तक होती है पूजा
दीपावली के बाद कार्तिकेय महीने की षष्ठी तिथि को हर साल इस त्योहार को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत नहाय से हो जाती है। छठ पर्व की शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात,कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती है। दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैय्या को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है।
इस साल छठ की तिथियां
- नहाय खाय - छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस साल 25 अक्टूबर, शनिवार को इस पर्व की शुरुआत होगी।
- खरना - दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं। यह व्रत रविवार 26 अक्टूबर को रखा जाएगा।
- संध्या अर्घ्य - 27 अक्टूबर यानी सोमवार को इस पर्व के तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
- प्रातःकालीन अर्घ्य - 28 अक्टूबर यानी इस पर्व के चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत तोड़ते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।
क्या है इसकी कथा?
पुराणों की कथा के अनुसार, ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना कर रहें थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में बांट दिया था। इसमें एक हिस्सा पुरुष और दूसरा हिस्सा प्रकृति का था। इसके बाद प्रकृति ने अपने आप को छः हिस्सों में बांटा, जिसके छठे अंश के तौर पर मातृ देवी के रूप में छठी मैया प्रकट हुई। धार्मिक कथाओं के अनुसार छठी मैया भगवन शिव के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी हैं। इनकी पूजा आराधना से आरोग्यता, वैभव और संतान का सुख मिलता है। यही वजह है कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक इनकी पूजा होती है।
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मशहूर छठ गीत
छठ पूजा पर कई मशहूर कलाकारों ने कई गाने गाए हैं। इस पर्व पर लोग छठी मैया के गाने सुनते हैं, जो छठ पर्व के माहौल को और ज्यादा भक्तिमय हो जाता है।
पहिले पहिल छठी मैया - मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का यह गीत बहुत मशहूर है। 'पहिले पहिल छठी मैया, हो हरि अनुरोधी, सूरुज देव के पुजा करी' यह बोल छठ पर हर कोई गुनगुनाता है। शारदा सिन्हा की मधुर आवाज में यह गीत छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक है। यह भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है और पूजा के पहले दिन से ही भक्ति का माहौल बनाता है। गीत के बोल छठी मइया और सूर्य देव की महिमा को बखूबी दिखाते हैं। यह गीत हर छठ व्रतधारी के दिल को छूता है और छठ के उत्साह को बढ़ाता है।
उगहि सूरुज देव- अनुराधा पौडवाल की आवाज में यह गाना छठ के उत्सव में रौनक ला देता है। 'उगहि सूरुज देव, हरि अनुरोधी, छठी मइया के जय-जयकार' अनुराधा पौडवाल की भक्ति भरी आवाज में यह गीत सूर्य देव की आराधना को समर्पित है। खासकर सुबह के अर्घ्य के दौरान यह गीत गूंजता है, जब भक्त सूर्योदय का स्वागत करते हैं। इसके मधुर स्वर पूजा के पवित्र माहौल को और गहरा करते हैं। यह गीत भक्तों को छठी मइया और सूर्य देव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम देता है।
उठउ सूरज भइल बिहान - यह गाना भी मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का ही है। 'उठउ सूरज भइल बिहान, छठी मैया के दरस दिखाव, हो सूरज मलजल' गीत सूर्योदय के समय की पूजा को समर्पित है और शारदा सिन्हा की आवाज में यह छठ पूजा के प्रभात अर्घ्य के माहौल को और पवित्र बनाता है। इसके बोल सूर्य और छठी मइया की महिमा का वर्णन करते हैं, जो भक्तों को पूजा की प्रक्रिया में गहरे तक जोड़ता है। यह गीत छठ के पारंपरिक और आध्यात्मिक महत्व को उजागर करता है, जो हर भक्त के लिए खास है।
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छठ मैया - भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव ने 'छठ मैया, हरि अनुरोधी, सुपाव आव, दुखवा हर लिहें' गीत गाया है। खेसारी लाल यादव का यह गीत आधुनिक भोजपुरी शैली में है और खासकर युवाओं के बीच काफी ज्यादा लोकप्रिय है। यह छठी मइया से सुख-समृद्धि और दुखों के निवारण की प्रार्थना करता है। इसकी उत्साहपूर्ण धुन और आधुनिक अंदाज छठ पूजा के उत्सव को और रंगीन बनाता है। यह गीत नई पीढ़ी को परंपरा से जोड़ते हुए उत्सव का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करता है।
केलवा के पात पर - यह मशहूर गीत भी लोकगायिका शारदा सिन्हा की आवाज में ही है। 'केलवा के पात पर, उगेलन सूरज मलजल, हो छठी मइया' शारदा सिन्हा की आत्मीय आवाज में यह गीत छठ पूजा के सबसे पारंपरिक और भावनात्मक गीतों में से एक है। यह केले के पत्ते पर सूर्य को अर्घ्य देने की प्रक्रिया को दर्शाता है और छठी मइया की महिमा का बखान करता है। इसके बोल भक्तों को पूजा की गहराई में ले जाते हैं और सूर्य देव के प्रति श्रद्धा को व्यक्त करते हैं। खासकर संध्या और प्रभात अर्घ्य के दौरान यह गीत पूजा के माहौल को और भक्तिमय बनाता है।
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