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डुंगेश्वरी मंदिर बिहार: जहां 6 वर्षों तक भगवान बुद्ध ने की थी तपस्या

बिहार के गया जिले में स्थित डुंगेश्वरी मंदिर अपनी पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यह वही स्थान है, जहां भगवान बुद्ध ने छह साल तक तपस्या की थी।

डुंगेश्वरी मंदिर बिहार

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बिहार के गया जिले में स्थित डुंगेश्वरी मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। महाकाल गुफा के नाम से भी प्रसिद्ध यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि मान्यता है कि भगवान गौतम बुद्ध ने बोधगया जाने से पहले यहां छह वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। मंदिर का शांत और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति की अनुभूति कराता है।

 

डुंगेश्वरी मंदिर की खासियत इसकी भव्य पहाड़ी पर स्थित लोकेशन और भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न मूर्ति है, जो तपस्या और साधना का प्रतीक मानी जाती है। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं, जिससे वे इस पवित्र स्थल का दर्शन कर सकें और बोधगया की यात्रा से पहले यहां आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

 

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डुंगेश्वरी मंदिर की विशेषता और धार्मिक मान्यता

डुंगेश्वरी मंदिर में भगवान बुद्ध की ध्यानमग्न मुद्रा में एक मूर्ति स्थापित है, जो उनकी तपस्या और साधना का प्रतीक मानी जाती है। यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है। यहां की शांति और आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं को मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति की अनुभूति कराता है।

 

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान गौतम बुद्ध ने यहां छह वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इस दौरान उन्होंने आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अलग-अलग साधनाओं का अभ्यास किया था। यह स्थल उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों का साक्षी माना जाता है और बौद्ध धर्म के इतिहास में इसका विशेष स्थान है।

 

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

डुंगेश्वरी मंदिर गया शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए पर्यटक गया रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे से टैक्सी या ऑटो रिक्शा के जरिए आ सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पर चढ़ाई करनी पड़ती है, जो लगभग 30 मिनट की पैदल यात्रा है। रास्ते में बंदर और अन्य वन्यजीवों का सामना हो सकता है।


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