हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व है। देवी दुर्गा की उपासना के लिए नवरात्रि पर्व के नौ दिनों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें कि साल में 4 बार नवरात्रि व्रत का पालन किया जाता है। 2 बार गुप्त नवरात्रि और 2 बार सामान्य नवरात्रि। अंग्रेजी कैलेंडर के साल के शुरुआत में गुप्त नवरात्रि व्रत का पालन किया जाएगा। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा गुप्त नवरात्रि व्रत और पूजा महत्व।
गुप्त नवरात्रि 2025 तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 30 जनवरी 2025 से हो रही है और नवरात्रि व्रत का समापन 7 फरवरी 2025 के दिन होगा। गुप्त नवरात्रि के दौरान तंत्र साधना देवी नौ गुप्त सिद्धियों की उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि का महत्व उन साधकों और भक्तों के लिए विशेष है, जो तंत्र साधना, सिद्धियां और देवी की गुप्त शक्तियों को जागृत करना चाहते हैं।
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नौ गुप्त सिद्धियां और उनका महत्व
कामरूप सिद्धि:
यह सिद्धि साधक को अपनी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति देती है। यह प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण से जुड़ी है। साधक अपनी इच्छित चीजों को प्राप्त कर सकता है।
वशीकरण सिद्धि:
वशीकरण सिद्धि से साधक अपनी बातों और इच्छाओं का प्रभाव दूसरों पर देख सकते हैं। यह शक्ति समाज में प्रभावशाली बनने और लोगों को प्रेरित करने के लिए उपयोगी है।
मारण सिद्धि:
यह सिद्धि साधक को नकारात्मक ऊर्जाओं और शत्रुओं से रक्षा करने की शक्ति प्रदान करती है। यह साधना आत्म-सुरक्षा और दुर्भावनाओं के नाश के लिए की जाती है।
मोहिनी सिद्धि:
मोहिनी सिद्धि के माध्यम से साधक दूसरों को अपने प्रति आकर्षित कर सकता है। इसे तंत्र साधना में संबंध सुधारने और सौहार्द बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
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स्तंभन सिद्धि:
यह सिद्धि नकारात्मक शक्तियों और शत्रुओं को रोकने के लिए की जाती है। साधक इसे आत्म-सुरक्षा और अपने चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए करता है।
उच्चाटन सिद्धि:
यह सिद्धि साधक को किसी भी बाधा, दुश्मन या समस्या को अपने जीवन से दूर करने में सक्षम बनाती है। यह साधना नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने के लिए की जाती है।
संकल्प सिद्धि:
संकल्प सिद्धि से साधक को अपने विचारों और इच्छाओं को वास्तविकता में बदलने की शक्ति प्राप्त होती है। यह आत्मविश्वास और सफलता पाने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रत्यंगिरा सिद्धि:
यह सिद्धि साधक को अति शक्तिशाली और आत्मरक्षा के लिए अद्वितीय शक्ति देती है। यह सिद्धि विशेष रूप से साधकों द्वारा अपने शत्रुओं को पराजित करने के लिए की जाती है।
विद्या सिद्धि:
विद्या सिद्धि से साधक को आध्यात्मिक ज्ञान, तंत्र-मंत्र और देवी की रहस्यमयी शक्तियों को समझने की क्षमता मिलती है। यह सिद्धि आत्मज्ञान और उच्च स्तर की साधना के लिए की जाती है।
Disclaimer- यहां दी गई सभी जानकारी सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं। Khabargaon इसकी पुष्टि नहीं करता।