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हरियाली अमावस्या कल, इस विधि से करें पूजा, श्राध्द और जानें नियम

हिंदू धर्म में श्रावण मास में हरियाली अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

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सांकेतिक चित्र(Photo Credit: Sora AI)

श्रावण मास की अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म में विशेष रूप से पवित्र और आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह दिन भगवान शिव की उपासना के लिए बहुत श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि श्रावण का महीना स्वयं शिव को समर्पित होता है और मान्यता है कि अमावस्या तिथि को विशेष पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग का जलाभिषेक, व्रत-उपवास, दान और पितरों की शांति के लिए कार्य किए जाते हैं।

 

शास्त्रों में भी बताया गया है कि हरियाली अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, आक आदि अर्पित कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी की कृपा प्राप्त करने से जीवन में नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और मानसिक शांति मिलती है। इस दिन स्नान, ध्यान, और जप से व्यक्ति के पाप भी नष्ट होते हैं।

 

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हरियाली अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 24 जुलाई रात्रि 02:28 पर शुरू हो रही और पूरे दिन रहेगी। इस दौरान पुनर्वसु नक्षत्र और हर्षण योग रहेगा, जिन्हें पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। साथ ही पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जो स्नान-दान के लिए उत्तम रहेगा। साथ ही रुद्राभिषेक के लिए भी हरियाली अमावस्या का दिन शुभ रहने वाला है।

हरियाली अमावस्या पर क्या करें?

शास्त्रों में बताया गया है कि अमावस्या तिथि का संबंध पितरों से भी होता है। हरियाली अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पूर्वजों की आत्मा को शांति देने के लिए जो भी कर्म श्रद्धा से किए जाते हैं, वह उन्हें संतुष्टि प्रदान करते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है। जिनके पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, वह भी इस दिन श्राद्ध कर सकते हैं।

 

इस दिन पूजा की विधि सरल है। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण किए जाते हैं। घर के मंदिर या शिवालय में दीप प्रज्वलित कर भगवान शिव का ध्यान किया जाता है। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद बेलपत्र, फूल, अक्षत और भस्म चढ़ाई जाती है। शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है और अंत में आरती कर प्रसाद बांटा जाता है। यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है।

 

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हरियाली अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए?

हरियाली अमावस्या के दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि इस दिन की पूजा अधिक प्रभावशाली बन सके। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने, सात्विक भोजन करने और अधिकतर समय भगवान का स्मरण करने की सलाह दी जाती है। किसी का दिल न दुखाना, झूठ न बोलना और क्रोध से बचना इस दिन विशेष रूप से जरूरी माना गया है। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या दक्षिणा का दान करना शुभ होता है।

 

अमावस्या के दिन तामसिक भोजन से बचना चाहिए, जैसे मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज आदि। दिनभर संयम के साथ रहकर शाम को दीपदान करना विशेष फलदायी माना गया है। साथ ही, नदी या तीर्थ स्थल में स्नान करने से पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है।

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