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सबरीमाला मंदिर: भगवान अय्यप्पा का यह मंदिर खास क्यों है?

करेल में स्थित सबरीमाला मंदिर की मान्यता पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित है।

Sabarimala temple

शबरीमाला मंदिर: Photo Credit: PTI

केरल के पथनमथिट्टा जिले का प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर न सिर्फ आस्था का प्रतीक है बल्कि अनुशासन और तपस्या की एक अनूठी मिसाल भी माना जाता है। समुद्र तल से हजारों फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है, जिन्हें हरिहरपुत्र यानी भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का पुत्र माना जाता है। मान्यता के अनुसार, यहां आने वाले श्रद्धालुओं को लंबे समय तक कठिन व्रत साधना करना पड़ता है, जिसमें ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक जीवन, संयम और भक्ति पर जोर दिया जाता है।

 

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को पंबा से लगभग 5 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी होती है, जिसे कठिनाई भरा पवित्र मार्ग कहा जाता है। सबरीमाला की सबसे बड़ी विशेषता इसकी 18 पवित्र सीढ़ियां हैं, जिन्हें चढ़कर ही मुख्य गर्भगृह तक पहुंचा जा सकता है। परंपराओं और मान्यताओं से जुड़े इस मंदिर में हर साल करोड़ों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। खासकर मंडला पूजा और मकरविलक्कु के दौरान यहां भारी भीड़ उमड़ती है। 

 

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सबरीमाला मंदिर की मान्यता

सबरीमाला मंदिर भगवान अयप्पा को समर्पित है।  मान्यता है कि भगवान अयप्पा ने महिषी नामक राक्षसी का वध यहीं पर किया था। मंदिर से जुड़ी परंपरा के अनुसार, अयप्पा ब्रह्मचारी देवता हैं, इसलिए यहां महिलाओं (10 से 50 वर्ष आयु की) का प्रवेश लंबे समय तक वर्जित रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में इस पर कोर्ट का फैसला आया और यह विवाद का विषय बना हुआ है।

 

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मंदिर की विशेषताएं

  • यह मंदिर हर साल बहुत कम समय के लिए खोला जाता है। सबरीमाला मंदिर विशेष रूप से मंडला पूजा (नवंबर-दिसंबर) और मकरविलक्कु (जनवरी) त्योहार के दौरान खोला जाता है। उस समय यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
  • मान्यता के अनुसार, मंदिर जाने से पहले श्रद्धालु 41 दिन की कठोर तपस्या और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं, जिसे व्रतम कहा जाता है। इस दौरान वे साधारण काले या नीले कपड़े पहनते हैं और मांस, शराब आदि का सेवन त्याग देते हैं।
  • श्रद्धालु मंदिर जाते समय अपने साथ इरुमुडी नामक एक विशेष पोटली लेकर चलते हैं, जिसमें पूजा सामग्री और चढ़ावा रखा होता है।
  • मंदिर की संरचना साधारण लेकिन अत्यंत पवित्र मानी जाती है।

सबरीमाला तक कैसे पहुंचें ?

  • नजदीकी एयर पोर्ट: इस स्थान से केरल का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट त्रिवेंद्रम और कोची है। यहां से बस या टैक्सी से पांब की यात्रा होती है। 
  • नजदीकी रेलवे स्टेशन: चेंगन्नूर और कोट्टायम रेलवे स्टेशन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जहां से बस या टैक्सी के जरिए पांब पहुंचा जा सकता है। 

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