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ललिता देवी शक्तिपीठ: जहां गिरा था देवी सती का हृदय

उत्तरप्रदेश के सीतापुर में स्थित ललिता देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था, जिसकी पूजा ललिता देवी के रूप में की जाती है।

Lalita Devi Shakti Peeth

ललिता देवी Shakti Peeth: Photo Credit: UP Tourism

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के नैमिषारण्य में स्थित ललिता देवी मंदिर आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम माना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पौराणिक कथाओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब सती माता ने आत्मदाह किया था, तब भगवान विष्णु ने उनके शरीर को 51 भागों में विभाजित किया था। इनमें से उनकी शरीर का हृदय नैमिषारण्य में गिरा था, जहां आज शक्तिपीठ के रूप में ललिता देवी मंदिर विराजमान है। यही वजह है कि यह स्थान शक्ति उपासना का केंद्र बना और भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

 

श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ललिता देवी के दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्रि के अवसर पर यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। मंदिर की भव्य मूर्ति और प्राचीन वास्तुकला इसकी विशेषता को और भी अनोखा बनाती हैं।

 

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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर से जुड़ी प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, कहा जाता है कि जब सती माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह किया, तो भगवान शिव ने उनके शव को कंधे पर उठाकर तांडव करना शुरू कर दिया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती माता के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया था। जहां-जहां उनके अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

 

मान्यता के अनुसार, नैमिषारण्य स्थित ललिता देवी मंदिर में सती माता का हृदय गिरा था। इसलिए यहां ललिता देवी की स्थापना हुई और यह स्थान शक्तिपीठ कहलाया।

ललिता देवी मंदिर की मान्यता

  • यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है।
  • मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।
  • नैमिषारण्य स्वयं ही पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां हजारों वर्षों तक ऋषि-मुनियों ने तप किया था।
  • नवरात्र और विशेष रूप से चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां भारी भीड़ उमड़ती है।

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ललिता देवी मंदिर की विशेषताएं

  • मंदिर की वास्तुकला प्राचीन और पौराणिक महत्व को दर्शाती है।
  • माना जाता है कि ललिता देवी का विग्रह भव्य और दिव्य आभा लिए हुए है।
  • मंदिर के आस-पास चक्रतीर्थ, हनुमानगढ़ी, और कई अन्य धार्मिक स्थल भी स्थित हैं।
  • यहां पूजा करने से कुंडली दोष, पितृ दोष और विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं।

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता

नजदीकी रेलवे स्टेशन: निकटतम रेलवे स्टेशन सीतापुर है, जो नैमिषारण्य से लगभग 35-40 किमी दूर है।

सड़क मार्ग से: लखनऊ से नैमिषारण्य की दूरी लगभग 94 किमी है। बस या टैक्सी के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

नजदीकी एयरपोर्ट: नजदीकी एयरपोर्ट लखनऊ है। एयरपोर्ट से नैमिषारण्य तक टैक्सी या बस सुविधा उपलब्ध है।

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